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(Source:  ECI | ABP NEWS)

Nobel Prize In Chemistry: एक कमरे का घर, पिता कसाई और बचपन की प्यास, जानें उमर यागी कैसे बने सऊदी के पहले नोबेल विजेता

जॉर्डन में एक साधारण परिवार में जन्में सऊदी वैज्ञानिक उमर यागी ने रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार जीतकर इतिहास रचा है. उनके धातु-कार्बनिक ढांचे पर किए गए शोध ने कमाल कर दिया है.

जॉर्डन के अम्मान शहर में एक कमरे के घर में पले-बढ़े उमर यागी आज रसायन विज्ञान की दुनिया के सबसे सम्मानित नामों में शामिल हैं. 8 अक्टूबर 2025 को रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने उमर यागी को रसायन विज्ञान का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया. यह सम्मान उन्होंने जापान के सुसुमु कितागावा और ऑस्ट्रेलिया के रिचर्ड रॉबसन के साथ साझा किया गया. इन तीनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार धातु-कार्बनिक ढांचे (Metal-Organic Frameworks – MOFs) के विकास के लिए मिला, जो गैस को स्टोर करने, जलवायु नियंत्रण और रेगिस्तानी हवा से पानी निकालने जैसी तकनीकों में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए जाने जाते हैं.

रॉयल स्वीडिश एकेडमी के अध्यक्ष हेनर लिंके ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यागी और उनके साथियों का काम विज्ञान के नए युग की शुरुआत है. उन्होंने कहा कि इन वैज्ञानिकों ने ऐसे पदार्थ बनाए हैं, जिनके अंदर बहुत बड़ी खोखली जगह होती हैं, जैसे किसी होटल में कमरे, जिनमें अणु अतिथि की तरह आते-जाते हैं. उन्होंने यह भी कहा कि यह पदार्थ एक जादुई थैली की तरह है, जो बहुत कम जगह में भारी मात्रा में गैस स्टोर कर सकता है. इन ढांचों का इस्तेमाल आज कार्बन डाइऑक्साइड कैप्चर, हाइड्रोजन स्टोरेज और हवा से पानी निकालने जैसे क्षेत्रों में किया जा रहा है.

जब बचपन की प्यास ने विज्ञान को दिशा दी

उमर यागी ने खुद कहा था कि बचपन में उन्होंने पानी के लिए घंटों लाइन में खड़े रहकर समय बिताया. जब पानी खत्म हो जाता था तो उन्हें नया स्रोत ढूंढना पड़ता था. उन्होंने बताया, “जब मैंने हवा से पानी निकालने वाला पदार्थ बनाया तो यह मेरे बचपन की प्यास का जवाब था.”  उमर एम. यागी का जन्म 1965 में अम्मान, जॉर्डन में एक फ़िलिस्तीनी शरणार्थी परिवार में हुआ. परिवार बेहद साधारण स्तर का था. उनके पास महज एक कमरे का घर था. कुछ जानवर थे और आठ बच्चे थे. उनके पिता कसाई थे. आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद पिता ने उमर यागी  से कहा कि तुम्हें बाहर जाकर पढ़ना है ताकि हमारी अगली पीढ़ी का भविष्य बदल सके.”

इस तरह से वे 15 वर्ष की उम्र में  अमेरिका के ट्रॉय (न्यूयॉर्क) चले गए. वहां उन्होंने Hudson Valley Community College और फिर SUNY Albany में पढ़ाई की. वह किराने की दुकान में काम करते, फर्श साफ करते और लैब में असिस्टेंट बनकर प्रयोगशाला में समय बिताते थे. वह कहते हैं कि मुझे कक्षा नहीं, प्रयोगशाला पसंद थी, जहां मैं चीज़ें बना सकता था.”

प्रयोगशाला से नोबेल मंच तक

1985 में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ इलिनोइस (Urbana-Champaign) से 1990 में पीएचडी प्राप्त की. उसके बाद वे हार्वर्ड विश्वविद्यालय में नेशनल साइंस फाउंडेशन फेलो बने और फिर एरिज़ोना स्टेट, मिशिगन और यूसीएलए में प्रोफेसर के रूप में काम किया. 2012 में वे कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले से जुड़ गए, जहां उन्होंने लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी और कावली एनर्जी नैनोसाइंस इंस्टीट्यूट में महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियां निभाईं. उन्होंने Berkeley Global Science Institute की स्थापना की, जो विकासशील देशों के छात्रों को विश्व वैज्ञानिक समुसदाय से जोड़ता है. उनके 300 से अधिक शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं और उनके कामों को ढाई लाख से अधिक बार मेंशन किया गया है, जो किसी भी वैज्ञानिक के लिए एक असाधारण उपलब्धि है.

अरब गौरव और अंतरराष्ट्रीय सम्मान

सऊदी अरब ने 2021 में उमर एम. यागी को नागरिकता दी और वे पहले सऊदी नागरिक बने जिन्हें नोबेल पुरस्कार मिला. 2024 में उन्हें संयुक्त अरब अमीरात के ग्रेट अरब माइंड्स अवार्ड से भी सम्मानित किया गया. दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने कहा,''हम प्रोफेसर उमर यागी को ही नहीं, बल्कि पूरे अरब जगत को बधाई देते हैं. हमारे युवाओं में असीम प्रतिभा है और यागी इसका सबसे चमकदार उदाहरण हैं.''अरब मीडिया ने उन्हें अरब विज्ञान का सितारा और आधुनिक युग का इब्न सीना करार दिया है.

ये भी पढ़ें: Nobel Prize 2025: केमिस्ट्री के नोबेल पुरस्कार का ऐलान, जानें किन देशों के वैज्ञानिकों को मिला दुनिया का सबसे सम्मानित अवॉर्ड?

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