FATF: अमेरिकी जनरल को पाकिस्तान ने दिया सेना का सर्वोच्च सम्मान, ट्रंप को खुश कर क्या हासिल करना चाहता है PAK ?
Pakistan Is IN FATF Fear: पहलगाम आतंकी हमले के बाद FATF ने पाकिस्तान को जकड़ना शुरू कर दिया है और TRF के आतंकी संगठन घोषित होने से पाकिस्तान काफी डरा हुआ है.

अमेरिका के प्रति एक बार फिर से अपनी वफदारी साबित करने के लिए पाकिस्तान ने इस बार बड़ा कारनामा कर दिखाया है. राजधानी इस्लामाबाद में बुलाकर अमेरिकी मध्य कमान (USCENTCOM) चीफ जनरल माइकल कुरिल्ला को अपने देश के सर्वोच्च राजकीय सम्मानों में से एक निशान-ए-इम्तियाज (मिलिट्री) से सम्मानित किया है. पाकिस्तान ने ये सब फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की पाबंदियों से बचने के लिए किया है.
अमेरिकी जनरल को ये सम्मान पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने दिया. बता दें कि जनरल माइकल कुरिल्ला पिछले कुछ महीनों में कई बार पाकिस्तान की तारीफ कर चुके हैं. वो कई बार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान के योगदान को अहम बता चुके हैं.
डोनाल्ड ट्रंप के प्रति वफादारी दिखा रहा पाकिस्तान
माना जा रहा है कि पाकिस्तान की शरीफ सरकार ऐसा करके डोनाल्ड ट्रंप के प्रति अपनी वफादारी के सबूत पेश कर रही है, जिन्होंने पिछले दिनों पाकिस्तान के फील्ड मार्शल असीम मुनीर से मुलाकात की थी. पाकिस्तान अमेरिका सैन्य संबंध मजबूत करने में योगदान के लिए जनरल माइकल कुरिल्ला को सम्मानित किया गया है. जनरल कुरिल्ला ने जरदारी और पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर से काफी देर तक बातचीत की.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद FATF ने पाकिस्तान को जकड़ना शुरू कर दिया है और TRF के आतंकी संगठन घोषित होने से पाकिस्तान काफी डरा हुआ है और उन्हें लगता है कि ग्रे-लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. FATF की बैठक सितंबर-अक्टूबर में होने वाली है और उससे पहले पाकिस्तान अमेरिका को खुश करने की हर संभव कोशिश कर रहा है.
2018 में FATF की ग्रे-लिस्ट में रखा गया था पाकिस्तान
पाकिस्तान को 2018 में FATF की ग्रे-लिस्ट में रखा गया था और अक्टूबर 2022 में बाहर निकाला गया. डिप्लोमेटिक सूत्रों का कहना है कि सर्वोच्च सैन्य सम्मान प्रदान करके, पाकिस्तान अमेरिकी रक्षा प्रतिष्ठान के प्रति अपनी वफादारी और तालमेल दिखा रहा है. अमेरिका FATF का संस्थापक सदस्य है और उसकी नीति निर्धारण प्रक्रिया में अहम भूमिका रहती है इसलिए पाकिस्तान का यह कदम वॉशिंगटन से आर्थिक मदद पाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान दोहरी भूमिका निभा रहा है क्योंकि एक तरफ वे चीन पर निर्भर हैं वहीं दूसरी तरफ इस्लामाबाद अब ये संकेत दे रहा है कि वह अब पूरी तरह से चीन पर निर्भर नहीं है. 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान से बाहर निकलने के बाद CENTCOM क्षेत्रीय सैन्य रणनीति के लिए महत्वपूर्ण बना हुआ है.
ये भी पढ़ें
लोकसभा में आज 'ऑपरेशन सिंदूर' पर होगी 16 घंटे लंबी बहस, राजनाथ सिंह ने कर ली बड़ी तैयारी
Source: IOCL





















