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चीन में क्यों बढ़ी धर्मों के खिलाफ सरकारी कार्रवाई, 3 साल के अंदर तोड़ दी गई हजारों मस्जिदें

चीनी मुसलमानों ने चीन के उत्तर-पश्चिम में एक मस्जिद को ध्वस्त करने वाले अधिकारियों के साथ झड़प की. कोर्ट के आदेश के बाद मस्जिद की मीनार और गुंबद को तोड़ा जा रहा था.

चीन के यूनान प्रांत के नागु में 14वीं सदी की एक मस्जिद के गुंबद और मीनारों को गिराने की कोशिश के खिलाफ प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हुई हैं. अधिकारियों ने नजियायिंग मस्जिद के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने की कोशिश की, जिसके जवाब में शनिवार को अशांति फैल गई.

साल 2020 में एक अदालत ने फैसला सुनाया था कि मस्जिद में हाल ही में एक गुंबददार छत और मीनार जोड़ना अवैध था और इसे हटाया जाना चाहिए. इस फैसले के बाद पिछले हफ्ते मस्जिद के ऊपरी हिस्से को तोड़ने का काम शुरू हुआ तो नागु में स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई. आपत्ति जताने वाले ये सभी लोग मुस्लिम अल्पसंख्यक हुई जातीय समूह के हैं. बता दें कि नाजियिंग मस्जिद का निर्माण बीते कुछ सालों में हुआ है. इस दौरान नई मीनारें और गुंबद बनाए गए हैं. 

चीन में मस्जिदों का तोड़ना कोई नई बात नहीं है. चीन ने लगातार शिनजियांग में मस्जिदों और कई मशहूर तीर्थ स्थलों को या तो बंद कर दिया या पूरी तरह ध्वस्त कर रहा है. इन स्थलों को बंद करने और मिटाने के पीछे चीन का व्यापक अभियान है, इस अभियान का मकसद उइगरों, कजाखों और अन्य मध्य एशियाई जातीय समूहों के सदस्यों को कम्युनिस्ट पार्टी के वफादार अनुयायियों में बदलना है.

1966 से हो रही है चीन में ये तोड़-फोड़

कैनबरा के एक शोध समूह 'ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट' की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017 के बाद से शिनजियांग में लगभग 8,500 मस्जिदों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है. मस्जिदों की ये तोड़-फोड़ माओ त्से तुंग के शासनकाल में 1966 में शुरू हुई. 

दूसरी तरफ चीन की सरकार धार्मिक स्थलों को व्यापक रूप से गिराए जाने की खबरों को पूरी तरह से खारिज करती आई है. चीनी सरकार का कहना है कि वह मस्जिदों की सुरक्षा और मरम्मत को महत्व देती है. 

चीनी अधिकारियों ने ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट पर चीन को बदनाम करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है. चीन का ये कहना है कि ये संस्था संयुक्त राज्य अमेरिका के वित्तीय पोषण से चलती है और पक्षपात करती है. संस्थान इस दावे को खारिज करता है, उसका कहना है कि शोध उसके फंडर्स से पूरी तरह से स्वतंत्र है. न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी अधिकारियों ने शिनजियांग के भीतर आवाजाही पर कड़े नियंत्रण रखे हैं.

तीन साल में हजारों मस्जिदों को तोड़ा गया

चीन के शिनजियांग में इमाम आसिम दरगाह एक बड़ी दरगाह थी. 2015 तक यहां पर उइगर मुअज़्ज़िन नमाज पढ़ते थे. 2020 तक इस मस्जिद को तोड़ दिया गया. पिछले साल काशगर की इस मस्जिद को बार में बदल दिया गया. पिछले साल काशगर की एक और मस्जिद को दुकान में बदल दिया गया. इसी तरह नानयुआन स्ट्रीट मस्जिद को 2018 में तोड़ा गया. ओर्डम मजार को 2019 में तोड़ा गया. 

थिंक टैंक ऑस्ट्रेलियन स्ट्रेटेजिक पॉलिसी इंस्टीट्यूट के मुताबिक शिनजियांग में 24,000 से ज्यादा मस्जिदें थी, अब यहां पर महज 3000 मस्जिदें बची हैं.  रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 के बाद से 30% मस्जिदों को ध्वस्त कर दिया गया था, और 30% किसी न किसी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे. इनमें से कई मस्जिदों का गुंबद और मीनार को खासतौर से हटा दिया गया. रिपोर्ट में कहा गया है कि मस्जिदों के टूटने के बाद कई खाली जगह अभी भी खंडहर बनी हुई हैं. कुछ को सड़कों और कार पार्कों में बदल दिया गया या खेती के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. शिनजियांग में हजारों मस्जिदों को केवल तीन सालों के अंदर क्षतिग्रस्त या पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया है.

चीन हलाल उत्पादों के खिलाफ भी छेड़ चुका है अभियान

चीन ने शिनजियांग प्रांत में 2018 में हलाल उत्पादों के खिलाफ एक अभियान शुरू किया था. अधिकारियों का कहना था वो शिनजियांग प्रांत में लोगों की 'शिक्षित' करने के लिए कैंप खोल रहा है. वो वहां के मुसलमानों की विचारधारा को बदलने के लिए ऐसा कर रहे हैं. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक शिनजियांग की राजधानी ऊरूम्ची में अधिकारियों का कहना था कि हलाल से धार्मिक और सेक्युलर जिंदगी के बीच फासला धूमिल हो जाता है. इसलिए वो वो हलाल चीजों के इस्तेमाल में कमी लाना चाहते हैं.

अगस्त 2018 में एक संयुक्त राष्ट्र की कमेटी को बताया गया था कि शिनजियांग में दस लाख मुसलमानों को 'हिरासत 'में रखा गया है, जहां उन्हें 'दोबारा शिक्षा' दी जा रही है. हालांकि चीन इन सभी खबरों को सिरे से नकारता रहा है. बता दें कि शिनजियांग में मीडिया पर पाबंदी है. 

चीन ने हाल के वर्षों में धार्मिक समूहों की गतिविधियों पर नियंत्रण बढ़ाया

साल 2021 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने धर्म के चीनीकरण का नारा दिया, यानी कि सभी धार्मिक आस्थाओं को चीनी संस्कृति और समाज के रंग में ढाला जाए.

बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक चीनी समाज और राजनीति पर नज़र रखने वाले लोग कहते हैं कि चीन ने हाल के वर्षों में धार्मिक समूहों की गतिविधियों पर नियंत्रण बढ़ाया है. चीन एक नास्तिक देश है. धर्म पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी-माओवादी सिद्धान्त को मानती है. अब लोग इस मामले पर सरकार का विरोध कर रहे हैं. 


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चीन में पांच धर्मों को कानूनी रूप से मान्यता? 

कम्युनिस्ट पार्टी चीन में पांच धर्मों को कानूनी रूप से तभी संचालित करने की इजाजत देता है, जब ये सभी धर्म चीन के "देशभक्त" संघों में शामिल हो जाएं. ये धर्म हैं- बौद्ध धर्म, दाओवाद, इस्लाम, कैथोलिक धर्म और प्रोटेस्टेंट ईसाई धर्म. 

इन धर्मों के अलावा कई अन्य धर्मों के मानने वाले लोग भी हैं. हान बहुसंख्यक लोगों में बौद्ध धर्म और ईसाई धर्म के लोग हैं. चीन में लगभग 20 प्रतिशत आबादी बौद्ध धर्म को मानती है. ईसाई धर्म पिछले तीन या चार दशकों में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ धर्म है. इस धर्म को मानने वाले लोगों में हर साल 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. 

अगर ईसाई धर्म के मानने वाले लोगों में हर साल सात प्रतिशत की बढ़ोतरी और हो तो चीन 2030 तक बड़ा ईसाई देश बन जाएगा. चीन में हान चाइनिज इस्लाम में परिवर्तित हो रहे हैं. बता दें कि यहां पर इस्लाम एक एथनिक समूह माना जाता है. चीन में 10 जातीय अल्पसंख्यकों की आबादी 22 मिलियन से ज्यादा है.

चीनी राष्ट्रवाद धार्मिक विश्वास को कैसे प्रभावित करता है?

द डिप्लोमैट में छपी एक रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक चीन के आर्थिक विकास और विश्व राजनीति में बढ़ती ताकत के साथ चीनी राष्ट्रवाद बढ़ रहा है. कम्युनिस्ट पार्टी-राज्य ने राष्ट्रवाद के साथ मिश्रित देशभक्ति को प्रोत्साहित किया है. देशभक्ति और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने के लिए कम्युनिस्ट पार्टी ने चर्चों, मंदिरों और मस्जिदों को तोड़ना शुरू किया. 

चीनी सरकार ने कई देशों में कई सौ कन्फ्यूशियस संस्थानों की स्थापना और वित्त पोषण किया है. चीन में कई संस्थान, संघ और कन्फ्यूशियस मंदिर स्थापित किए गए हैं. चीनी सरकार ऐसा करके कट्टरपंथी कन्फ्यूशीवाद को बढ़ावा देना चाहती है. हालांकि अलग-अलग धार्मिक समुदाय अपने विश्वास की प्रकृति पर जोर देते हैं. 


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चीन में प्रतिबंधित धार्मिक समूह

कई धार्मिक और आध्यात्मिक समूह को चीन में "हेटरोडॉक्स पंथ" कहा जाता है. ये धार्मिक समूह नियमित रूप से सरकारी कार्रवाई के अधीन हैं. पार्टी-राज्य ने इस आधार पर 12 से ज्यादा ऐसे धर्मों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सरकार का मानना है कि इस धर्म का इस्तेमाल करके लोग छलावा करते हैं. ये लोग देश के प्रमुख सदस्यों को अपमानित करते हैं. सभी चीजों पर अपनी मर्जी चलाना चाहते हैं. सरकार का कहना है कि देश में कई धर्म अंधविश्वासी विचारों को बढ़ावा दे रहे हैं. 

चीनी सरकार की तरफ से बैन किए गए धर्म- चीन ने छिटपुट रूप से प्रतिबंधित धार्मिक समूहों की लिस्ट प्रकाशित की. लिस्ट को 1995, 2000  , 2014 में और फिर 2017 के सितंबर में प्रकाशित किया गया था. अब तक 12 से ज्यादा धर्म या धार्मिक समूहों को चीन में बैन किया जा चुका है. 


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चीन के लोगों को मिलनी चाहिए धार्मिक आजादी

1970 के दशक में राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने चीनियों को धार्मिक स्वतंत्रता देने के बारे में तत्कालीन चीनी सर्वोच्च नेता डेंग जियाओपिंग से कुछ अपील की थी. इसके बाद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी-राज्य ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा पुष्टि किए गए कुछ आधुनिक मानदंडों को अपनाया. द डिप्लोमैट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी सरकार या अधिकारियों को ये अभी भी समझने की जरूरत है कि लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता मिलनी चाहिए. 

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