हाजीपुर: रामविलास पासवान के हटने से लड़ाई दिलचस्प, पशुपति कुमार पारस के खिलाफ मैदान में महागठबंधन के शिवचंद्र राम
इस सीट पर पांचवे चरण के तहत 6 मई को वोटिंग होनी है. हाजीपुर लोकसभा सीट से रामविलास पासवान आठ बार सांसद रह चुके हैं. इस बार उनके भाई पशुपति कुमार पारस मैदान में हैं. वहीं महागठबंधन की तरफ से आरजेडी के विधायक शिवचंद्र राम उम्मीदवार हैं.

Lok Sabha Election 2019: रामविलास पासवान के चुनावी मैदान से हटने के बाद हाजीपुर की जंग दिलचस्प हो गई है. महागठबंधन के पास खोने के लिए कुछ भी नहीं जबकि एनडीए प्रत्याशी पशुपति कुमार पारस के कंधों पर बड़े भाई की राजनीतिक साख बचाने की जिम्मेदारी है. बिहार की हाजीपुर लोकसभा सीट पर पांचवें चरण के तहत 6 मई को मतदान होने हैं. हाजीपुर बिहार की राजधानी पटना से ठीक सटा हुआ गंगा किनारे बसा क्षेत्र है जो विश्व भर में अपने केलों के लिए जाना जाता है.
हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया रामविलास पासवान का गढ़ माना जाता है. साल 1977 से लेकर अबतक महज दो बार ही उन्हें इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा है. हाजीपुर की जनता ने कुल आठ बार रामविलास पासवान को चुनकर संसद भेजा है लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ बदली हुई हैं.
रामविलास पासवान को राजनीति का 'मौसम वैज्ञानिक' कहा जाता है. साल 1977 में पहली बार भारतीय लोकदल के टिकट पर हाजीपुर की इस सुरक्षित सीट से चुनाव लड़ने और जीतने वाले रामविलास पासवान ने अपने राजनीतिक सफर में कई पार्टियों और गठबंधनों का दामन थामा. जनता पार्टी (सेक्युलर), जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और आखिर में खुद की पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी से रामविलास ने हाजीपुर से चुनाव लड़ा है.
42 साल लंबे चुनावी सफर में रामविलास पासवान सिर्फ दो बार ही संसद जाने से चूके हैं और खास बात तो ये है कि साल 1989 के बाद से अब तक रामविलास पासवान जिस गठबंधन के साथ रहे हैं, केंद्र में सरकार उसी गठबंधन की बनी है. 2009 में वो जरूर चूक गए लेकिन 2014 में वापस से वो एनडीए के रथ पर सवार होकर केंद्र में मंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए.
लेकिन 2019 के आम चुनाव में वो फिर से एनडीए गठबंधन के साथ हैं. ऐसे में उनके मौसम विज्ञान के आधार पर काफी कुछ समझा जा सकता है. चुनाव से पहले एनडीए में सीटों के बंटवारे के समय लोक जनशक्ति पार्टी ने भी खूब दबाव की राजनीति की. पिछली बार सात सीटों पर चुनाव लड़ने वाली LJP को इस बार कम सीटें मिलने की आशंका थी जिसके बाद रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति पारस ने तो बाकायदा एनडीए आलाकमान को डेडलाइन तक दे दी थी.
हालांकि बीजेपी ने किसी तरह एलजेपी को छह सीटों पर चुनाव लड़ने को राजी किया और एक राज्यसभा की सीट ऑफर की. इसे रामविलास पासवान ने लपकने में देरी नहीं की. उम्र का हवाला देते हुए रामविलास पासवान ने राज्यसभा जाने की इच्छा जताई और अपनी हाजीपुर लोकसभा सीट से अपने छोटे भाई और बिहार सरकार में मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री पशुपति कुमार पारस को चुनावी मैदान में उतारा है. पशुपति कुमार पारस नरेंद्र मोदी के नाम और रामविलास पासवान के काम पर जीत की उम्मीद लगाए बैठे हैं. एबीपी न्यूज़ से बातचीत में पशुपति पारस ने बताया कि राष्ट्रवाद का मुद्दा उनके जीत की गारंटी है क्योंकि पीएम मोदी ने सेना को खुली छूट देकर लोगों को एनडीए के पक्ष में कर लिया है जो विकास के मुद्दे पर पहले से ही उनके साथ हैं. पशुपति कुमार पारस का मुकाबला महागठबंधन के प्रत्याशी शिवचंद्र राम से है जो वर्तमान में विधायक हैं और बिहार में महागठबंधन की सरकार के दौरान मंत्री भी रह चुके हैं.
हाजीपुर लोकसभा सीट पर इस बार दोनों प्रमुख दावेदार नए चेहरे हैं, दोनों ही पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. शिवचंद्र राम राजा पाकड़ विधानसभा से मौजूदा विधायक हैं. पशुपति कुमार पारस को बाहरी बताते हुए शिवचंद्र राम अपनी जीत की हुंकार भर रहे हैं. उनका दावा है कि बीते 40 सालों में रामविलास पासवान ने हाजीपुर के लिए कुछ भी नहीं किया और यही कारण है कि इस बार हार ले डर की वजह से वो चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. शिवचंद्र राम का कहना है कि वो तो चिराग पासवान और खुद रामविलास पासवान से लड़ने को तैयार हैं क्योंकि उनके मुताबिक लड़ाई तभी मजेदार होती. वे अपने 20 महीने के मंत्री कार्यकाल को गिनाकर ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि जो काम रामविलास पासवान ने 40 साल तक हाजीपुर का प्रतिनिधित्व करते हुए नहीं किया वो उन्होंने महज 20 महीनों में ही कर दिखाया है इसलिए जनता उन्हें इस बार पूरा समर्थन दे रही है.
हाजीपुर में कुल वोटर - 18,18,078
पुरुष वोटर - 9,78,887
महिला वोटर - 8,39,132
कुल नए वोटर - 7941
(जातीय आंकड़ा लगभग में)
यादव - 5 से 6 लाख के बीच
मुसलमान- 2 से 3 लाख के बीच
भूमिहार - 1 से डेढ़ लाख के बीच
राजपूत - 2 से ढाई लाख के बीच
कुशवाहा - डेढ़ लाख के आस पास
पासवान - 2 से 3लाख के बीच
अति पिछड़ा - लगभग 2 लाख
महादलित - 3 से 4 लाख
ब्राह्मण - 30 हजार
कायस्थ - 25 हजार
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























