देश में हिन्दू के 'ह' और मुसलमान के 'म' से बने 'हम' को अलग करने की कोशिश हो रही है: मौलाना आज़मी
आज़मी ने कहा कि यही "हम" एक साथ मिला, तो देश आजाद हुआ. उस समय आजादी की जितनी जरूरत थी, उससे ज्यादा आज है. आज जरूरत है आजादी, संविधान बचाने और हिंदू मुस्लिम के एक होकर "हम" होने की. नहीं हुए तो शायद हिंदू या मुसलमान जीत जाए, पर हिंदुस्तान हार जाएगा.

गोरखपुर: हजरत मौलाना ओबैदुल्लाह खान आजमी ने मंगलवार को कहा कि हिन्दू का "ह" और मुसलमान का "म" साथ रहेगा तो हिंदुस्तान में अमन आएगा. वर्तमान में "हम" को अलग करने का प्रयास किया जा रहा है.
आज़मी ने कहा कि यही "हम" एक साथ मिला, तो देश आजाद हुआ. उस समय आजादी की जितनी जरूरत थी, उससे ज्यादा आज है. आज जरूरत है आजादी, संविधान बचाने और हिंदू मुस्लिम के एक होकर "हम" होने की. नहीं हुए तो शायद हिंदू या मुसलमान जीत जाए, पर हिंदुस्तान हार जाएगा.
मौलाना आज़मी ने कहा कि आज मुद्दों से भटकाकर वोटरों को ठगा जा रहा है. मुद्दा बजरंग बली और हजरत अली का नहीं है. आज राजनीतिक पार्टी जीत रही है देश नहीं है.
एमएसआई इंटर कॉलेज बक्शीपुर में आयोजित तीन दिवसीय सालाना जलसा के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करने आए यूपी, बिहार व एमपी से तीन बार राज्यसभा सांसद रहे मौलाना ओबैदुल्लाह खां आजमी ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि इस दौर में अनेकता में एकता को बचाने की जरूरत है. पढ़ो-लिखो, इंसान बनो. भारत की पहचान बनो. यही इस देश की आत्मा है और इसी को परवान चढ़ाने से हिंदुस्तान दुनिया की अगुवाई कर सकता है.
राम मंदिर के सवाल पर मौलाना ओबैदुल्लाह खान आजमी ने कहा कि इसमें मुसलमान कहीं से भी रास्ते में नहीं है. यह मामला आरएसएस और हुकूमत राजनीतिक कारणों से उलझाए हुए है. मुसलमानों ने तो कह दिया है कि सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला होगा वह मान्य होगा. देश का संविधान, कोर्ट का निर्णय सभी मुसलमानों को मान्य है. उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश दोराहे पर खड़ा है.
जहां मुल्क की मेजारिटी जो चाहेगी वही होगा. अल्पसंख्यक कुछ नहीं कर सकता. उन्होंने कहा कि देश सिविल वार की तरफ जा रहा है. उन्होंने सवाल किया कि क्या बुलंदशहर की घटना आतंकवाद नहीं है? उन्होंने कहा कि राजनीति के नाम पर हिंदू धर्म को वर्तमान में प्रदूषित किया जा रहा है. जिस धर्म में अहिंसा परमो धर्म: है, उसके नाम पर इंसान की हत्या क्यों? अपनी राजनीति अपने नाम पर करें. मजहब के नाम पर ऐसा करना गलत है.
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