गाज़ियाबाद में प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए किए गए सरकारी इंतजाम में उड़ी सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां
गाज़ियाबाद के रामलीला मैदान में सोशल डिस्टेंसिंग का नामो-निशान तक नजर नहीं आया. हजारों की संख्या में मजदूर एक-दूसरे से सटे और एक-दूसरे पर लदे हुए नजर आए. पुलिस के भी इस स्थिति को काबू करने पाने में पसीने छूट गए.

नई दिल्ली: देश में लॉकडाउन 4 की शुरुआत हो चुकी है. इस सब के बीच लगातार मजदूरों का पलायन भी जारी है. लेकिन पहले की अपेक्षा अब तस्वीर थोड़ी सी बदल भी रही है क्योंकि अब पलायन कर रहे मजदूरों को सरकारी मदद भी मिलनी शुरू हो गई है. अलग-अलग राज्य सरकारें जहां बसें चला रही है तो वहीं केंद्र सरकार ने पलायन कर रहे मजदूरों के लिए रेल सेवा भी शुरू की है.
इन सबके बीच लगातार सोशल डिस्टेंसिंग के उल्लंघन की खबरें सामने आ रही हैं. आज भी कुछ वैसा ही हुआ उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में, जहां पर प्रवासी मजदूरों को बिहार और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में भेजने के लिए तैयारी की गई थी. लेकिन जब गाजियाबाद के रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में मजदूर जुटे तो सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ गई.
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में बिहार और उत्तर प्रदेश के लिए पलायन कर रहे मजदूरों को रामलीला मैदान में जुटने को कहा गया था. इसमें से बड़ी संख्या में मजदूर ऐसे थे जो अलग-अलग हाईवे से पकड़ कर लाए गए थे और उनको आश्रय गृह में रखा गया था. तो सैकड़ों की संख्या में मजदूर ऐसे भी थे जिनको पुलिस और प्रशासन से जानकारी मिली कि रामलीला मैदान से उनको बिहार और उत्तर प्रदेश के अलग-अलग इलाकों में भेजने के लिए बसें मिल सकती हैं और इस वजह से वह वहां पर पहुंचे. लेकिन जब रामलीला मैदान में यह सारे मजदूर इकट्ठा हुए तो खुलेआम सोशल डिस्टेंसिंग का मजाक उड़ा.
गाजियाबाद के रामलीला मैदान में हजारों की संख्या में मजदूर जुटे थे इनमें से बड़ी संख्या उन लोगों की थी जो बिहार राज्य के अलग-अलग इलाकों में जाने के लिए यहां पहुंचे थे. ऐसे मजदूरों के लिए रेल प्रशासन ने तीन ट्रेनें चलाई थी लिहाजा गाजियाबाद के रामलीला मैदान पहुंचे मजदूरों को पहले रामलीला मैदान पहुंचकर रजिस्ट्रेशन करवाना था. उसके बाद उनका स्वास्थ्य परीक्षण होना था. स्वास्थ्य परीक्षण सही पाए जाने के बाद उनको बस में बैठा कर रेलवे स्टेशन के लिए रवाना करना था और बस में ही मजदूरों को रेलवे का टिकट भी दिया जाना था. लेकिन इस दौरान रामलीला मैदान में हजारों मजदूर जुट गए जिससे वहां पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया.
गाजियाबाद के रामलीला मैदान में तस्वीर ऐसी बन गई कि वहां पर मजदूर कहीं ज्यादा थे और ट्रेनों में जा पाने वाले मजदूरों की संख्या कहीं कम. इस वजह से गाजियाबाद प्रशासन ने कोशिश की कि जो मजदूर ट्रेनों में नहीं जा पा रहे हैं उनके लिए अलग से बसें चलाई जाएं जैसे कि मजदूरों को उनके इलाकों में भेजा जा सके. सबके बीच जो मजदूर रामलीला मैदान में जुटे थे उनको तो बस एक ही बात से मतलब था कि कैसे भी हो जल्द से जल्द उनके राज्य, जिले, कस्बे और गांव तक भेज दिया जाए और इस दौरान किसी को भी सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं था.
गाजियाबाद के रामलीला मैदान से सामने आई तस्वीरों के बाद अब कई सारे सवाल भी खड़े हो जाते हैं. क्योंकि जिस तरह से यह मजदूर हजारों की संख्या में जुटे और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं किया गया और ना ही कोरोना वायरस से बचाव के लिए जिन बातों पर ध्यान देने को कहा गया था उनमें से किसी बात पर ध्यान नहीं दिया गया. कहीं ऐसा ना हो कि जब यह मजदूर अपने-अपने परिवारों के पास में पहुंचे तो उनके लिए एक ऐसा अनचाहा तोहफा लेकर पहुंचे जिसका पता लगने पर ना सिर्फ परिवार बल्कि पूरे इलाके के लिए मुसीबत बन जाएं.
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