Corona effect: लखनऊ के डॉलीगंज कब्रिस्तान में 5 की बजाए दस फिट गहरी खोदी जा रही हैं कब्र
कोरोना जमीन में ही दफन रहे इसलिए इन क्रबों को दस फीट तक खोदा जा रहा है. कब्रिस्तान में जनाजे के साथ 20 से ज्यादा लोगों के आने पर भी पाबंदी है.

लखनऊः कोरोना संकटकाल ने आम जनजीवन में कई अहम बदलाव किए हैं. इस महामारी से बचने के लिए लोग खासे एहतियात बरत रहे हैं. यही नहीं भविष्य में भी कोरोना का संकट न खड़ा हो जाए, इसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं. ऐसा ही नजारा देखने को मिला लखनऊ के दो सौ साल पुराने डॉलीगंज कब्रिस्तान में, जहां मुर्दों को दफनाने के लिए पांच के बजाए दस गज से गहरी कब्रें खोदी जा रही हैं.
साल की शुरुआत से ही कोरोना का संकट पूरे विश्व पर दिखने लगा था. भारत में भी अब यह बीमारी भयावह रूप ले चुकी है. बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी है, जो इस बीमारी की वजह से जान गंवा चुके हैं. मृतकों का पूरे एहतियात के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा है.
इसी कड़ी में लखनऊ के डॉलीगंज कब्रिस्तान में मुर्दों को पांच फुट के बजाए दस फुट गहराई में दफन किया जा रहा है. वजह यह है कि भविष्य में जब भी दूसरे मुर्दे दफनाने के लिए कब्र खोदी जाए तो कोरोना जमीन में ही दफन रहे. लखनऊ के डालीगंज कब्रिस्तान के इंचार्ज उस्मान अली के मुताबिक कोरोना संकटकाल में यह व्यवस्था की गई है कि यहां आने वाले मुर्दों को पांच के बजाए दस फुट में दफन किया जाएगा. वैसे तो यह इंतजाम कोरोना से मरने वालों के लिए किया गया था, लेकिन लोग इन दिनों मरने वाले की मौत का कारण छुपा रहे हैं. ऐसे में यहां आने वाले हर मुर्दे को दस फुट गहराई में ही दफन कर रहे हैं.
नियम पांच फ़ुट की कब्र खोदने का है. ऐसे में जब कोरोना काल बीत जाएगा और इन क़ब्रों के दोबारा खुदने का नंबर आएगा तो कोरोना ज़मीन में ही दफन रहेगा. इसके अलावा कब्रिस्तान में जनाजे के साथ बीस से ज्यादा लोगों के आने पर भी पाबंदी लगाई गई है.
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