Mahant Narendra Giri Death: नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में आरोपी आनंद गिरि कौन है? कैसे वो महंत तक पहुंचा, जानें सब कुछ
Mahant Narendra Giri Death: आनंद गिरि राजस्थान के भीलवाड़ा में आसींद क्षेत्र के सरेरी गांव के निवासी हैं. उनका असली नाम अशोक है और उनके पिता का नाम रामेश्वर लाल चोटिया है.
Mahant Narendra Giri Death: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मौत के मामले में आरोपी आनंद गिरि को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. महंत नरेंद्र गिरि के अन्य शिष्य की शिकायत पर उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ. हालांकि आनंद गिरि ने गिरफ्तारी से पहले ही अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इनकार किया है. फिलहाल यूपी पुलिस ने आनंद गिरि को गिरफ्तार कर लिया और अन्यू तमाम पहलूओं पर जांच कर रही है. इस बीच अब ये भी सवाल उठ रहा है कि आनंद गिरि कौन हैं और वो महंत नरेंद्र गिरि तक केसै पहुंचे.
कौन हैं आनंद गिरी
आनंद गिरि राजस्थान के भीलवाड़ा में आसींद क्षेत्र के सरेरी गांव के निवासी हैं. उनका असली नाम अशोक है और उनके पिता का नाम रामेश्वर लाल चोटिया है. वो अपने चार भाइयों में सबसे छोटे हैं. दरअसल साल 1997 में आनंद 12 साल की उम्र में अपना घर छोड़कर हरिद्वार चले गए थे. हरिद्वार में उन्हें नरेंद्र गिरी मिले. मुलाकात होने पर नरेंद्र गिरि ने आनंद से पूछा कि तुम क्या चाहते हो? तो जवाब में आनंद ने कहा था कि वो पढ़ना चाहता है. इसलिए नरेंद्र गिरी ने आनंद को पढ़ाई करवाई और दीक्षा भी दी.
टीवी देखकर घरवालों ने पहचाना
टीवी चैनल संस्कार पर आनंद गिरि का प्रवचन आता था, उसी पर उसके घरवालों ने उन्हें देखा और पहचान लिया. 2012 में महंत नरेंद्र गिरि के साथ अपने गांव भी आए थे. नरेंद्र गिरि ने उनको परिवार के सामने दीक्षा दिलाई और वह अशोक से आनंद गिरि बन गए. आनंद गिरि शक के दायरे में इसलिए हैं, क्योंकि नरेंद्र गिरि से उनका विवाद काफी पुराना था. इसकी वजह बाघंबरी गद्दी की 300 साल पुरानी वसीयत है, जिसे नरेंद्र गिरि संभाल रहे थे. कुछ साल पहले आनंद गिरि ने नरेंद्र गिरि पर गद्दी की 8 बीघा जमीन 40 करोड़ में बेचने का आरोप लगाया था. इसके बाद विवाद गहरा गया था.
आनंद ने नरेंद्र पर अखाड़े के सचिव की हत्या करवाने का आरोप भी लगाया था. परिवार के लोगों ने बताया कि आनंद गिरि जब सातवीं कक्षा में पढ़ते थे, तब ही गांव छोड़ हरिद्वार चले गए थे. वह ब्राह्मण परिवार से हैं. पिता गांव में ही खेतीबाड़ी करते हैं. आनंद गिरि परिवार में सबसे छोटे हैं. उनके तीन भाई हैं. एक भाई आज भी सब्जी का ठेला लगाते हैं. दो भाई का सूरत में कबाड़ का काम है. सरेरी गांव आनंद गिरि को एक अच्छे संत के रूप में मानता है. उन्हें शांत और शालीन स्वभाव का बताया जाता है.
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