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जब आलू के अकाल के कारण लाखों लोगों की हो गई थी मौत, 25 फीसदी तक कम हो गई थी इस देश की आबादी

फंगस लगने की वजह से आलू की फसल बर्बाद हो गई थी. इस फंगस की वजह से आयरिश लोगों को सात साल तक परेशानी का सामना करना पड़ा था.

इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना महामारी से प्रभावित है. ऐसे में नेटिव अमेरिका को आयरलैंड आर्थिक मदद दे रहा है. आर्थिक रूप से लगातार मदद भेजे जाने के पीछे की वजह जानकर आप यकीनन हैरान रह जाएंगे. दरअसल, आयरलैंड में आए आलू के अकाल के समय नेटिव अमेरिका ने मदद की थी. उस वक्त अकाल की वजह से लाखों आयरिश लोगों की जान चली गई थी. चलिए जानते हैं विस्तार से उस अकाल के बारे में...

अकाल की शुरुआत वर्ष 1845 में हुई थी. उस दौरान P. infestans नाम के एक फंगस लगने की वजह से आलू की फसल बर्बाद हो गई थी. इस फंगस की वजह से आयरिश लोगों को सात साल तक परेशानी का सामना करना पड़ा और ये सिलसिला 1852 तक चला. इन सात साल में 10 लाख से अधिक आयरिश लोगों को भूखमरी और खराब आलू खाने की वजह से जान गंवानी पड़ी थी. लाखों लोग उस दौरान दूसरे देशों में चले गए थे. आलू के अकाल की वजह से आयरलैंड की आबादी 25 फीसदी तक कम हो गई थी. तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आलू के अकाल ने लोगों की जिंदगी को किस कदर प्रभावित किया था.

आलुओं में फंगस लगने से परेशान होकर आयरिश नेताओं ने क्वीन विक्टोरिया से मदद की गुहार लगाई. उस वक्त आयरलैंड पर अंग्रेजी शासन था. तमाम स्थितियों को देखते हुए क्वीन विक्टोरिया ने कॉर्न लॉ वापस ले लिया. कॉर्न लॉ वापस लेने से अनाज की कीमतों में कमी आई लेकिन भुखमरी समाप्त नहीं हो सकी. 19वीं सदी में आयरलैंड खेती-किसानी करने वाला देश था. अकाल और महामारियों के चलते आयरलैंड काफी गरीब देश हो गया था. जिस वक्त आलू का अकाल पड़ा था उस वक्त देश की 70 फीसदी जनता आलू पर निर्भर थी.

आयरलैंड में लाखों लोग भुखमरी और कुपोषण से मरने लगे और उनका जीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया. ऐसी परिस्थिति के बावजूद भी ब्रिटेन आयरलैंड से अनाज, पशुधन और मक्खन जैसी चीजें मंगवाता रहा. आयरलैंड ने वर्ष 1847 में बड़ी मात्रा में मटर, बीन्स, खरगोश और मछली जैसी चीजें निर्यात की. इन सब बातों का असर ये हुआ कि आयरलैंड की लगभग 25 प्रतिशत आबादी या तो समाप्त हो गई या फिर उत्तरी अमेरिका और ब्रिटेन चली गई.

उस दौर में आयरलैंड में आए अकाल के वक्त किसी ने मदद का हाथ बढ़ाया वो थे नेटिव अमेरिकन लोग. नेटिव अमेरिकन लोगों को Choctaw भी कहा जाता है. नेटिव अमेरिकन लोगों को जब आयरलैंड के हालात के बारे में मालूम हुआ तो उन्होंने थोड़े-थोड़े पैसे एकत्र करके लगभग 170 डॉलर की मदद भेजी थी. उस वक्त की गई मदद को आयरिश लोग आजतक नहीं भूल पाए हैं. नेटिव अमेरिकी लोगों की कोरोना महामारी के दौर में आयरलैंड के लोग लगातार फंड जोड़कर पैसे भेज रहे हैं और मदद कर रहे हैं.

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