उन्नाव रेप पीड़िता ने CRPF सुरक्षा के लिए SC में की अपील, जस्टिस बेला त्रिवेदी बोलीं- ... तो रो क्यों रही हो
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के परिवार और वकीलों को अगर खतरा लग रहा है तो वह स्थानीय पुलिस के पास जाने के लिए स्वतंत्र हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2017 के उन्नाव रेप केस की पीड़िता की सीआरपीएफ सुरक्षा बरकरार रखने का आदेश दिया है. हालांकि, उनके परिवार के सदस्यों और वकीलों को मिली सुरक्षा वापस ले ली गई. मंगलवार (25 मार्च, 2025) को कोर्ट केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पीड़िता, उसके परिवार और वकीलों को मिली सीआरपीएफ प्रोटेक्शन वापस लेने की अपील की गई थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली बेंच मामले में सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने पीड़िता के परिवार की सीआरपीएफ सुरक्षा वापस लेते हुए कहा कि अगर जरूरी हो तो उन्हें पुलिस सुरक्षा दे सकती है. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता और उसके परिवार को सीआरपीएफ सुरक्षा दी थी. उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले से जुड़े मुकदमे में अदालत का फैसला आ जाने का हवाला देते हुए सुरक्षा को गैरजरूरी बताया था.
सुनवाई के दौरान पीड़िता भी कोर्ट में मौजूद थी. केंद्र की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी कि अब मामले में फैसला आ चुका है इसलिए सीआरपीएफ प्रोटेक्शन हटाई जा सकती है. बेंच के सामने पीड़िता ने खुद को खतरा बताते हुए सुरक्षा बनाए रखने का अनुरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया.
इस दौरान पीड़िता कोर्ट में रोने लगी तो जस्टिस बेला त्रिवेदी ने पाड़िता से कहा, 'इसमें रोने की क्या बात है.' जस्टिस बेला त्रिवेदी ने पीड़िता का अनुरोध स्वीकार करते हुए कहा कि कोर्ट पीड़िता की सीआरपीएफ प्रोटेक्शन जारी रखेगा, लेकिन परिवार और वकीलों के लिए नहीं.
जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा, 'हमारी राय है कि 8 जनवरी, 2019 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से पीड़िता और उसके परिवार को दी गई सीआरपीएफ सुरक्षा वापस ली जा सकती है क्योंकि केस का फैसला आ चुका है और दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुना गई है. हालांकि, हम साफ करते हैं कि पीड़िता की सीआरपीएफ सुरक्षा अगले फैसले तक जारी रहेगी, जबकि दूसरे लोगों की सुरक्षा वापस ली जाती है.' इस मामले में निष्कासित बीजेपी नेता कुलदीप सेंगर आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि पीड़िता के परिवार और वकीलों को अगर अभी भी खतरा महसूस हो रहा है तो वह स्थानीय पुलिस से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र हैं.
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Source: IOCL





















