भारत सरकार ने नहीं दी सिख जत्थे को पाकिस्तान जाने की इजाजत, SGPC बोली- ‘हमें गुरुद्वारों में जाने से...'
SGPC Secretary Pratap Singh: SGPC सचिव प्रताप सिंह ने भारत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर क्रिकेट टीम पाकिस्तान के साथ खेल सकती है, तो सिख जत्थे उनके धर्मस्थलों के दर्शन करने क्यों नहीं जा सकते?

भारत सरकार की ओर से पाकिस्तान में सिख जत्थे के जाने के आदेश संबंधी पत्र जारी करने के बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) ने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. SGPC सचिव प्रताप सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के नाम पर जत्थों को पाकिस्तान जाने से रोकना सरकार की बड़ी विफलता है. प्रताप सिंह ने कहा कि यह पत्र सीधे एसजीपीसी के पास नहीं पहुंचा, बल्कि राज्य सरकार को भेजा गया है. इसमें कहा गया है कि सुरक्षा कारणों से पाकिस्तान जाने वाले जत्थे को रोका गया है.
उन्होंने कहा कि अगर पाकिस्तान सरकार को सुरक्षा व्यवस्था करने में कोई कठिनाई होती, तो वह स्वयं जत्थे को अनुमति नहीं देते. लेकिन अगर पाकिस्तान सरकार सिख तीर्थयात्रियों को आने की अनुमति देने को तैयार है, तो भारत सरकार की ओर से उन्हें रोकना अनुचित है. उन्होंने तर्क दिया कि सिख समुदाय का किसी भी समुदाय या धर्म से कोई विरोध नहीं है. गुरु नानक देव जी ने मानवता को प्रभु का नाम जपने, कड़ी मेहनत करने और विभाजन से बचने का संदेश दिया. इसी संदेश के अनुसार सिख धर्मस्थलों के दर्शन करने जाते हैं. इसलिए जत्थे को रोकना धार्मिक स्वतंत्रता पर सीधा हमला है.
SGPC सचिव ने भारत सरकार पर साधा निशाना
SGPC सचिव ने भारत सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर क्रिकेट टीमें पाकिस्तान के साथ खेल सकती हैं, तो सिख जत्थे उनके धर्मस्थलों के दर्शन करने क्यों नहीं जा सकते? उनके अनुसार, यह सरकार की विफलता है कि वह अपने ही धार्मिक तीर्थयात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने में असमर्थ रही.
प्रताप सिंह ने कहा कि युद्ध के माहौल में पाबंदियां समझ में आती हैं, लेकिन शांति के समय धार्मिक तीर्थयात्राओं को रोकना पूरी तरह से अनुचित है. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत और पाकिस्तान की आम जनता शांति चाहती है. लोग न तो युद्ध चाहते हैं और न ही व्यापारिक संबंध तोड़ना चाहते हैं. केवल राजनीतिक नेताओं की नीतियां ही तनाव पैदा कर रही हैं.
सिखों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करे सरकार- SGPC
SGPC ने सरकार से सिखों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने और जत्थों को धर्मस्थलों के दर्शन करने की अनुमति देने की अपील की. प्रताप सिंह ने कहा कि सिख समुदाय लगातार प्रार्थना करता रहा है कि विभाजन के दौरान सिख समुदाय से अलग हुए धार्मिक स्थलों के दर्शन बिना किसी बाधा के किए जाएं. उन्होंने दोहराया कि जब दोनों देशों में खेल और व्यावसायिक गतिविधियां संभव हैं, तो धार्मिक तीर्थयात्राओं को रोकना न केवल गलत है, बल्कि सरकार की एक बड़ी विफलता भी है.
यह भी पढ़ेंः श्रीनगर में ED की 32वीं त्रैमासिक कॉन्फ्रेंस संपन्न, मनी लॉन्ड्रिंग केसों को तेजी से निपटाने पर जोर
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL























