Putin India Visit: पुतिन आए, बड़ा बिजनेस लाए! क्या अमेरिका को 440 वोल्ट का झटका देंगे रूस-भारत? यहां है मौका
अमेरिका की तरफ से टैरिफ बढ़ाने के बाद भारत के लिए रूस बड़ा नया बाज़ार बन रहा है. पुतिन की भारत यात्रा के बाद व्यापार, निर्यात और स्थानीय मुद्रा में लेनदेन की संभावनाएं मजबूत हुईं है.

अमेरिका की नई शुल्क नीति और वैश्विक व्यापार समीकरणों में आए बदलाव के बीच भारत अब रूस के विशाल बाजार को नए अवसर के रूप में देखने लगा है. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा ने इन संभावनाओं को और मजबूत किया है. व्यापारिक जगत मान रहा है कि आने वाले समय में भारत-रूस व्यापार नई ऊंचाइयों को छू सकता है.
अमेरिका में बढ़ती व्यापारिक अनिश्चितता के बीच भारत की नजर अब रूस पर टिक गई है. देश के प्रमुख व्यापारिक संगठन चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने एबीपी लाइव की टीम को बताया कि भारत अभी रूस को करीब 5 अरब डॉलर का निर्यात करता है, लेकिन यह आंकड़ा रूस की क्षमता के मुकाबले काफी कम है. वहीं चीन लगभग 115 अरब डॉलर का निर्यात कर रूस के बाजार पर मजबूत पकड़ बनाए हुए है.
पुतिन की यात्रा से बढ़ी उम्मीदें
गोयल का मानना है कि राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच व्यापार की नई संभावनाओं को जन्म दिया है. उनका कहना है कि निकट भविष्य में भारत का रूस को निर्यात बढ़कर 10 अरब डॉलर सालाना तक पहुंच सकता है. स्थानीय मुद्रा में व्यापार शुरू होना भी इस बढ़ोतरी को गति दे सकता है.
स्मार्टफोन से लेकर दवाओं तक—अब भी बड़ा गैप
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन निर्माता बन चुका है, फिर भी रूस को भारत सिर्फ 7.5 करोड़ डॉलर के मोबाइल फोन निर्यात करता है. वहीं दवाओं के क्षेत्र में भारत की पकड़ मजबूत है, फिर भी रूस को महज 24.5 करोड़ डॉलर की दवाएं भेजी जाती हैं. इतना ही नहीं, कपड़ा क्षेत्र में भी भारत का निर्यात सिर्फ 2.9 करोड़ डॉलर है, जो क्षमता के मुकाबले बेहद कम माना जा रहा है.
कई सेक्टरों में बढ़ सकता है व्यापार
बृजेश गोयल ने बताया कि इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी, कपड़ा, फार्मा और अन्य कई क्षेत्रों में भारत के लिए रूस में बड़ी संभावनाएं हैं. उन्होंने यह भी कहा कि स्वदेशी मुद्रा में लेनदेन शुरू होने से कारोबार और सुगम होगा और भारतीय उत्पादों की रूस में पैठ और मजबूत हो सकती है.
अमेरिकी शुल्क का झटका और रूस का विकल्प
CTI का मानना है कि ट्रंप प्रशासन की तरफ से भारत पर 50% आयात शुल्क लगाने के बाद अमेरिकी बाजार में भारत का निर्यात प्रभावित हुआ है. ऐसे में रूस एक मजबूत और विश्वसनीय विकल्प बन सकता है, जहां भारतीय वस्तुओं के लिए बड़ा उपभोक्ता आधार मौजूद है.
रक्षा और समुद्री क्षेत्र में भी खुलेंगे नए रास्ते
रक्षा क्षेत्र में भारत लंबे समय से रूस का अहम साझेदार रहा है. गोयल ने बताया कि जहां रूस, भारत को रक्षा उपकरण उपलब्ध कराता है, वहीं भविष्य में भारत में ही इनकी उत्पादन इकाइयों की संभावना भी बन सकती है. दूसरी ओर रूस भारतीय समुद्री उत्पादों के आयात में बढ़ती रुचि दिखा रहा है, जो द्विपक्षीय व्यापार को और गति देगा.
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