सहारा ग्रुप मनी लॉन्ड्रिंग केस, ED ने दाखिल की चार्जशीट, करोड़ों की प्रॉपर्टी बेचने का खुलासा
ED probe on Sahara: 12 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने CRCS को फिर 5000 करोड़ जारी करने की इजाजत दी. अब ये रकम भी डिपॉजिटर्स को लौटाई जाएगी. ED की जांच ने CRCS की दलील को मजबूत किया.

कोलकाता ED की टीम ने सहारा ग्रुप से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ी कार्रवाई की है. ED ने सहारा ग्रुप के दो गिरफ्तार आरोपियों जितेंद्र प्रसाद वर्मा और अनिल विलापरमपिल अब्राहम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है. जांच में सामने आया है कि सहारा ग्रुप की कई प्रॉपर्टी, जो जनता से जमा किए गए पैसों से खरीदी गई थी, उन्हें गुपचुप तरीके से बेचा जा रहा था. इन सौदों में भारी कैश ट्रांजैक्शन हुए. ED का कहना है कि जितेंद्र वर्मा और अनिल अब्राहम इन प्रॉपर्टीज़ को बेचने में अहम रोल निभा रहे थे और दूसरों के साथ मिलकर पूरी डील को अंजाम दे रहे थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सहारा ग्रुप ने मार्च 2025 तक करीब 16138 करोड़ सहारा-सेबी (SEBI) अकाउंट में जमा किए थे. इस पैसे पर ब्याज भी बढ़ता रहा. कोर्ट के आदेश पर इसमें से 5000 करोड़ सेंट्रल रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव सोसायटीज़ (CRCS) को दिए गए ताकि सहारा की सोसायटी के डिपॉजिटर्स को रिफंड मिल सके.
अब तक इतने लोगों को वापस मिले पैसे
जुलाई 2023 से रिफंड शुरू हुआ और फरवरी 2025 तक 12.97 लाख लोगों को 2314 करोड़ वापस मिले. जुलाई 2025 तक 27 लाख से ज्यादा डिपॉजिटर्स को 5000 करोड़ का रिफंड मिल चुका था. इसके अलावा, सहारा सोसायटीज़ ने 14000 करोड़ से ज्यादा के क्लेम्स वेरीफाई कर लिए है.
12 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने CRCS को फिर 5000 करोड़ जारी करने की इजाजत दी. अब ये रकम भी डिपॉजिटर्स को लौटाई जाएगी. ED की जांच ने CRCS की दलील को मजबूत किया. जिसके बाद कोर्ट ने फंड रिलीज़ करने का आदेश दिया. आगे कोशिश है कि सहारा-सेबी अकाउंट में पड़े बाकी 19533 करोड़ भी डिपॉजिटर्स को जल्द वापस मिल सके.
ED की जांच में बड़ा खुलासा
ED की जांच में सामने आया कि सहारा ग्रुप लंबे समय से एक पोन्ज़ी स्कीम चला रहा था. हजारों एफआईआर दर्ज है जिनमें 500 से ज्यादा केस अलग-अलग राज्यों में दर्ज हुए. इनमें से 300 से ज्यादा केस पीएमएलए के तहत आते है. आरोप है कि सहारा ग्रुप ने लोगों को बार-बार फोर्स करके री-डिपॉजिट कराया, मैच्योरिटी पर पैसा नहीं लौटाया और खातों में हेरफेर करके सब छुपाया. एक कंपनी से दूसरी कंपनी में फर्जी तरीके से कर्ज ट्रांसफर किए गए और आखिर में चार कोऑपरेटिव सोसायटीज़ पर भारी कर्ज का बोझ डाल दिया गया.
लोगों के जमा किए हुए पैसों से खरीदी गई प्रॉपर्टी
जांच में ये भी खुलासा हुआ कि डिपॉजिटर्स के पैसे से बेनामी प्रॉपर्टी खरीदी गई. निजी इस्तेमाल के लिए खर्च किया गया और कई फंड्स विदेशों में भी भेजे गए. ED अब तक चार अटैचमेंट ऑर्डर निकाल चुकी है जिसमें सहारा ग्रुप की बेनामी ज़मीनें और कुछ व्यक्तियों की संपत्तियां जब्त की गई है. फिलहाल जितेंद्र प्रसाद वर्मा और अनिल अब्राहम न्यायिक हिरासत में है. ED का कहना है कि सहारा ग्रुप के सीनियर अधिकारियों और विदेशों में हुए ट्रांजैक्शंस की जांच अभी जारी है.
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Source: IOCL
























