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President Droupadi Murmu: नहीं मिलती महामहिम को SPG और NSG की सुरक्षा, फिर कौन करता है उनकी हिफाजत, जानिए यहां

President Droupadi Murmu's Security: देश के अन्य राष्ट्रपतियों की तरह ही 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) भी SPG और NSG की सुरक्षा में नहीं रहेंगी. फिर कौन करेगा उनकी हिफाजत यहां जानिए.

President Droupadi Murmu's Security: भारत में राष्ट्रपति का पद देश का सबसे बड़ा संवैधानिक पद है. यह लाजमी है कि इतने बड़े पद पर रहने वाले शख्स की सुरक्षा की व्यवस्था भी पुख्ता और बेहतरीन होती होगी, लेकिन आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि देश के महामहिम को विशेष सुरक्षा दल -एसपीजी (Special Protection Group-SPG) और राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड एनएसजी (National Security Guard -NSG) की सुरक्षा नहीं मिलती है. देश के महामहिम को मिलने वाली सुरक्षा जेड प्लस, जेड या वाई श्रेणी में भी नहीं आती. दरअसल देश के पहले नागरिक और तीनों सेनाओं के सर्वोच्च सेनापति के तौर पर उनकी हिफाजत की जिम्मेदारी 'प्रेसीडेंट्स बॉडी गार्ड्स- पीबीजी' (President's Bodyguard -PBG) के पास होती है. ये सेना की सबसे पुरानी और एलीट रेजिमेंट हैं, इसलिए ये बॉडीगार्ड्स बेहद खास होते हैं. उनका चुनाव भी एसपीजी और एनएसजी के कंमाडोज से कम नहीं होता है. पीबीजी के बॉडीगार्ड का रूतबा ही अलग और बेहद सम्मान का पद होता है. इनकी ट्रेनिंग से लेकर सर्विस भी स्पेशल होती है. देश की 15 वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (Droupadi Murmu) भी अब इनकी हिफाजत में रहेंगी. 

आजादी से पहले भी थी पीबीजी

ब्रितानी हुकूमत में गवर्नर जनरल वॉरेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) के समय में साल 1773 में ये खास बॉडी गार्ड यूनिट बनाई गई थी. उस वक्त इसमें करीब 48 गार्ड रखे गए थे. इनको वायसराय की हिफाजत के लिए लगाया गया था. इन गार्ड्स की संख्या को बढ़ाकर बाद में 100 कर दिया गया.देश को आजादी मिलने के बाद यह यूनिट खत्म नहीं हुई. इसका अस्तिव आजादी के बाद भी कायम रहा और अब यही यूनिट देश की राष्ट्रपति की सुरक्षा का जिम्मा संभालती है. 

महामहिम की सुरक्षा में जाट,सिख और राजपूतों का दबदबा

देश की राष्ट्रपति की हिफाजत करने वाले ये सुरक्षाकर्मी अंगरक्षक यानि प्रेसीडेंट्स बॉडी गार्ड्स कहलाते हैं. राष्ट्रपति भवन हो या फिर उसके बाहर के इलाके सभी जगह महामहिम इनकी निगहबानी में रहते हैं. ये भी बड़ी खास बात है कि इस दस्ते में केवल जाट, सिख और राजपूतों को ही प्राथमिकता मिलती है. इस दस्ते में मौजूदा वक्त में भी जाट, सिख और राजपूत अंगरक्षक हैं. करीब 170 जवान और दर्जन भर से अधिक अधिकारी महामहिम की सुरक्षा में हैं. इस दस्ते के चार ऑफिसर को खास प्रशासनिक समर्थन मिलता है. इस दस्ते में 11 जेसीओ यानि जूनियर कमीशंड ऑफिसर्स भी होते हैं. 

राष्ट्रपति की सुरक्षा में लंबाई का भी है दम

राष्ट्रपति की सुरक्षा दस्ते में तीन समुदायों को प्राथमिकता देने के पीछे एक बड़ी वजह शारीरिक गठन भी है. राष्ट्रपति का गार्ड होने के लिए लंबाई का भी बहुत योगदान होता है. इस दस्ते में शामिल होने वाले बॉडी गार्ड्स के लिए 6 फीट की लंबाई जरूरी होती है. यह दस्ता भारतीय सेना की घुड़सवार रेजिमेंट का अहम अंग होता है. हालांकि इसे लेकर साल 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका भी डाली गई थी. इसके जवाब में कोर्ट ने भी पीबीजी में तीन समुदायों को प्राथमिकता देने की बात को सही ठहराया था. इससे पहले भी कई बार इस तरह की याचिकाएं डाली गई, लेकिन ये हमेशा ही रद्द हुईं. गौरतलब है कि सेना की संस्तुति पर साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए जाट, सिख और राजपूतों को ही प्राथमिकता देने का आदेश दे चुका है.

आसान नहीं है राष्ट्रपति के दस्ते में जगह बनाना

पीबीजी दस्ता किसी मामूली शख्स की सुरक्षा का जिम्मा नहीं संभालता है. ये खास शख्स यानि देश के राष्ट्रपति की सुरक्षा की जवाबदेही लेने वाला दस्ता होता है तो स्वाभाविक है कि इसमें जगह बनाना भी आसान नहीं होता. इसके लिए कठोर ट्रेनिंग होती है, ये ट्रेनिंग केवल महीनों की नहीं बल्कि डेढ़ से दो साल की होती है. उसमें निखर कर जो खरा उतरता है वह पीबीजी गार्ड बनता है. इस दस्ते के जवानों को पैरा कमांडोज जैसी सख्त ट्रेनिंग दी जाती है. इसके लिए जवान को अपनी तलवार कमांडेंट को पेश करनी होती है. कमांडेंट इसे छूता है और फिर जवान इस दस्ते में शामिल हो जाता है. 

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