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Mohammad Zubair Case: जुबैर पर तीन नई धाराएं लगाई गई, पुलिस ने पाकिस्तान, सीरिया से चंदा लेने का भी लगाया आरोप

Mohammad Zubair Case: दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा कि आरोपी को विदेशों से फंड मिला है. डोनेशन पाकिस्तान, सीरिया और अरब देशों से आई है.

Mohammad Zubair Case: पटियाला हाउस कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज़ (Alt News) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) को दो सप्ताह के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. मोहम्मद जुबैर को 4 दिन की पुलिस रिमांड खत्म होने के बाद आज कोर्ट में पेश किया गया था. कोर्ट में दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने मोहम्मद जुबैर की 14 दिन की न्यायिक हिरासत की मांग की थी जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया. पुलिस ने आज पेशी के दौरान जुबैर पर नई धाराएं भी जोड़ी हैं. कोर्ट की सुनवाई के दौरान और क्या कुछ हुआ, किसने क्या दलील दी, आपको बताते हैं. 

जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने मोबाइल और हार्ड डिस्क जब्त कर लिया है, लेकिन अभी दिल्ली पुलिस को इस मामले में कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं. दिल्ली पुलिस इस मामले को केवल लंबा खींचना चाहती है. इस पर दिल्ली पुलिस ने कहा कि जुबैर जब पूछताछ के लिए दिल्ली पुलिस के दफ्तर अपना फोन लेकर आया था, इसकी जांच की गई तो पता चला कि वह उस दिन से पहले एक और सिम इस्तेमाल कर रहा था. नोटिस मिलने पर उसने उसे निकाल कर नए मोबाइल में डाल दिया. 

दिल्ली पुलिस ने कहा जुबैर चतुर व्यक्ति

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से कहा कि देखें कि वह व्यक्ति (जुबैर) कितना चतुर है. दिल्ली पुलिस ने कहा अभी इस मामले में जांच चल रही है. दिल्ली पुलिस के द्वारा इसमें 35 एफसीआरए की धारा भी जोड़ी गई है. यदि आप विदेश के किसी व्यक्ति से कुछ दान आदि स्वीकार करते हैं तो यह एक उल्लंघन है. सीडीआर विश्लेषण के अनुसार, इसने पाकिस्तान, सीरिया आदि से रेजर गेटवे के माध्यम से फंड स्वीकार किया है. इन सभी चीजों की आगे की जांच की आवश्यकता है. 

दिल्ली पुलिस मामले को लेकर कहीं और जा रही

जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि दिल्ली पुलिस कि यह सारी कहानी मनगढ़ंत है. ये पूरी कहानी साल 2018 की है और वह भी एक पुराने ट्वीट का मामला है और दिल्ली पुलिस इस मामले को लेकर कहीं और जा रही है. क्या मोबाइल फोन या सिम कार्ड बदलना अपराध है? क्या मेरे फोन को रिफॉर्मेट करना अपराध है? या फिर चालाक होना गुनाह है. इनमें से कोई भी दंड संहिता के तहत अपराध नहीं है. यदि आप किसी को पसंद नहीं करते हैं, तो कोई बात नहीं, लेकिन आप चालाक आदमी पर इस तरह आरोप नहीं लगा सकते है. दिल्ली पुलिस ने जिस तरह जुबैर को गिरफ्तार किया है ऐसे में न्यायालय द्वारा किसी भी अपराधी को गिरफ्तार करने के दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया है. पुलिस ने जुबैर को गिरफ्तार करके न्यायपालिका के नियमों का भी मजाक उड़ाया है. 

वृंदा ग्रोवर ने जब्त किए गए सामान की जानकारी दी

वृंदा ग्रोवर ने कहा कि दिल्ली पुलिस बेंगलुरु से एक लैपटॉप लाती है. जुबैर को चार अधिकारियों के साथ बेंगलुरु ले जाया गया, लेकिन एक भी तकनीकी व्यक्ति को नहीं ले जाया गया. ये सार्वजनिक संसाधन हैं. जांच एजेंसी के आचरण को देखिए. हैश वैल्यू भी जेनरेट नहीं की गई. कोर्ट समझ सकती है यह कितना गंभीर केस है. ग्रोवर ने दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए गए सामान की जानकारी कोर्ट को दी. दिल्ली पुलिस जुबैर द्वारा जनवरी 2022 में खरीदे गए फोन का टैक्स इनवॉयस लेती है. जहां तक ​​मुझे पता है, मोबाइल फोन खरीदना कोई अपराध नहीं है. ये कैसे संदेहास्पद है. कम से कम मेरे लिए चौंकाने वाला है. डाटा को संरक्षित किया जाना जरूरी है. कोर्ट को इसको अपने संज्ञान में लेना चाहिए. आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. लिहाजा उसको कोर्ट के द्वारा सुरक्षित किया जाना बेहद आवश्यक है. 

लैपटॉप को सीज करने की आवश्यकता नहीं 

वृंदा ग्रोवर ने कहा कि ट्वीट मार्च 2018 का है, इसके लिए एंड्रॉइड फोन का इस्तेमाल किया गया था. ये एक लैपटॉप से ​​नहीं किया जा सकता था. लैपटॉप को सीज कर दिया गया है. फिलहाल इसकी आवश्यकता नहीं थी. किसी भी चीज की हद होती है. सेक्शन 468 सीआरपीसी संज्ञान लेने पर रोक लगाता है. किसी भी मामले में जांच का उद्देश्य किसी को परेशान या फिर उसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना नहीं होना चाहिए. आज सुबह भी, मीडिया को इस मामले से जुड़े कुछ अपडेट दिए गए और इस प्रथा पर रोक लगाने की जरूरत है. 

जिस फोन से ट्वीट किया गया वो चोरी हो गया था

वृंदा ग्रोवर ने कहा कि बाइक पर सवार किसी ने व्यक्ति ने जुबैर का फोन छीन लिया था. कुछ भी असाधारण नहीं था. 2021 में एक शिकायत दर्ज कराई थी. ये वही फोन था जिसका जुबैर 2018 में उपयोग कर रहा था. फोन चोरी को लेकर मामला दर्ज किया था, जो रिकॉर्ड में है. हाल ही में इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने जुबैर को सुरक्षा प्रदान की है. वह फोन जुबैर के पास नहीं है, इसकी सूचना दिल्ली पुलिस को दी थी, लेकिन आपने उन्हें इस मामले में नहीं बुलाया, आपने उन्हें पूछताछ के लिए ऐसे मामले में बुलाया जिसमें आपने (दिल्ली पुलिस) कहा था कि जुबैर के खिलाफ कोई अपराध बनता है. ये जुबैर के खिलाफ एक दुर्भावनापूर्ण जांच है. कोर्ट को इसको अपने संज्ञान में लेना चाहिए. 

फंड कंपनी को मिला, जुबैर को नहीं

वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जुबैर को बताया गया कि उनका फोन को फॉर्मेट कर दिया है. ये एक निजी संपत्ति है, वे अपने फोन से कुछ भी कर सकते हैं. उनकी चालाकी उनकी स्वतंत्रता में बाधक नहीं हो सकती. जिस फिल्म का सीन लगाने के मामले पर दिल्ली पुलिस पूछताछ कर रही है वह फिल्म आज के समय में एक एप्लीकेशन पर ट्रेंड कर रही है. 2018 में किए जाने वाले एक ट्वीट पर आज यह कह रहे हैं कि हमने धार्मिक भावनाओं को भड़काया है. उनकी यह दलील समझ से परे. पुलिस के द्वारा बताया गया कि आरोपी ने विदेशी फंड प्राप्त किया है. दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को गुमराह किया गया. ऑल्ट न्यूज़ सेक्शन-8 के तहत एक कंपनी है. जुबैर एक पत्रकार हैं. फंड उन्होंने नहीं लिया है, फंड कंपनी को मिला है. इसमें दिल्ली पुलिस उन्हें कैसे घसीट रही है. यह विचार उन्हें एक ऐसे मामले में फंसाने का है जो अब खत्म होने के कगार में पर है. 

क्या कहा दिल्ली पुलिस ने?

दिल्ली पुलिस ने कहा कि 2018 में इस मामले में ट्वीट किया गया था और यह ट्वीट अभी भी है. सभी लोग इसको फॉलो कर रहे हैं यानी कि यह कहा जा सकता है कि लगातार इस मामले में अपराध का अनुसरण किया गया है. जब फिल्म रिलीज हुई तब इंटरनेट और ट्विटर नहीं था. तब फोन भी नहीं होते थे. ये इकोसिस्टम नहीं था. हमने जांच पूरी नहीं की है. जांच या पीसी की आवश्यकता क्यों है हम पहले ही बता चुके हैं. हम कुछ अपराधों को छोड़ सकते हैं या कुछ अपराधों को अंतिम चरण में जोड़ सकते हैं. इसलिए इस स्तर पर यह तर्क देना कि कुछ भी नहीं बनाया गया है, सत्य नहीं है. 

ट्वीट को हटा देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ

दिल्ली पुलिस ने कहा कि क्या हम ऐसी चीजों के वीडियो डाल सकते हैं और अपलोड कर सकते हैं? खासकर जब आप एक युवा पत्रकार हो तब जिम्मेदारी ज्यादा होनी चाहिए. आपको इसे हटा देना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बहुत सी वल्गर फिल्में हैं, क्या आप उसे अपलोड कर देंगे? आप पढ़े लिखें जर्नीलिस्ट हैं. जहां तक लैपटॉप के सीज होने की बात है, सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते थे. आरोपित को विदेशों से चंदा भी मिला. इसलिए विदेशी अभिदाय (विनियमन) अधिनियम, 2010 में धारा 35 को एफआईआर में जोड़ा गया. जुबैर पर पुलिस ने इस मामले में साजिश रचने और सबूतों को नष्ट करने का आरोप लगाया. इसलिए IPC 201, 120(B) के साथ सबूत मिटाने, साजिश रचने से जुड़ी नई धाराएं लगाई गई हैं. 

पाकिस्तान, सीरिया और अरब कंट्री से फंड लिया

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने कहा कि अभी भी बहुत जांच की जानी है. डोनेशन पाकिस्तान (Pakistan), सीरिया (Syria) और अरब कंट्री से आये हैं. इनको जमानत नहीं दी जानी चाहिए. जिस जुबैर (Mohammed Zubair) को डिफेंस काउंसिल यंग जर्नलिस्ट बताकर गर्व जता रही हैं, उनकी गतिविधियां संदिग्ध हैं, विदेशी फंडिंग है उनके पीछे, साजिश नजर आ रही है. पुलिस को सच लाने का समय दीजिए, इसलिए जमानत नहीं दी जानी चाहिए. 

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