'थाईलैंड को हम अपना दीर्घकालिक मित्र और अत्यंत महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी मानते हैं', बोले विदेश मंत्री जयशंकर
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने रेखांकित किया कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति को थाईलैंड की लुक्स वेस्ट नीति से एक तरह से साझेदार मिल गया है.

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने सोमवार (2 दिसंबर, 2025) को कहा कि भारत, थाईलैंड को एक दीर्घकालिक मित्र और बहुत महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी के रूप में महत्व देता है. जयशंकर ने रेखांकित किया कि तेजी से उभरते भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक परिवेश के बीच, भारत का मानना है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचारों का नियमित आदान-प्रदान बहुत जरूरी है.
एस जयशंकर ने यहां थाईलैंड के विदेश मंत्री सिहासक फुआंगकेटकेओ के साथ द्विपक्षीय बैठक में अपने प्रारंभिक भाषण में यह टिप्पणी की. विदेश मंत्रालय ने इससे पहले बताया था कि थाईलैंड के विदेश मंत्री 28 नवंबर से दो दिसंबर तक भारत की यात्रा पर आए हैं.
विदेश मंत्री जयशंकर ने थाईलैंड के विदेश मंत्री के रूप में भारत की पहली आधिकारिक यात्रा पर आए फुआंगकेटकेओ का स्वागत किया. एस जयशंकर ने कहा, 'हमने (इससे पहले) आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान कुआलालंपुर में बैठक की थी और इस बात पर सहमति बनी थी कि हमें अधिक विस्तृत चर्चा के लिए मिलना चाहिए.'
उन्होंने हाल ही में थाईलैंड की राजमाता सिरीकित के निधन पर भारत की ओर से ‘गहरी संवेदना’ व्यक्त की. जयशंकर ने फुआंगकेटकेव को थाईलैंड के राष्ट्रीय दिवस की अग्रिम बधाई भी दी. उन्होंने कहा, 'भारत और थाईलैंड के बीच ऐतिहासिक रूप से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं. हम थाईलैंड को एक दीर्घकालिक मित्र के रूप में महत्व देते हैं, इसके अलावा यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समुद्री पड़ोसी भी है.'
विदेश मंत्री ने रेखांकित किया कि भारत की एक्ट ईस्ट नीति को थाईलैंड की लुक्स वेस्ट नीति से एक तरह से साझेदार मिल गया है. उन्होंने कहा, 'अप्रैल 2025 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बैंकॉक की आधिकारिक यात्रा की थी और इस दौरान हमारे संबंधों को रणनीतिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ाया गया... तेजी से विकसित हो रहे भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक माहौल को देखते हुए, जो हम दोनों को प्रभावित करता है, हमारा मानना है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचारों का नियमित आदान-प्रदान बहुत जरूरी है.'
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, 'हमारे कई साझा हित हैं. मैं आपके (फुआंगकेटकेओ के) प्रवास के दौरान म्यांमा की स्थिति पर विशेष रूप से गहन चर्चा की आशा करता हूं.'
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Source: IOCL






















