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G N Saibaba: 'आश्चर्य है... मैं जेल से जिंदा बाहर आ गया', बोले बंबई हाई कोर्ट के फैसले पर रिहा हुए डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा
Bombay High Court: जेल में बिताये 8 साल के समय को याद करते हुए साईंबाबा ने कहा कि वह अपनी व्हीलचेयर से बाहर नहीं निकल सकते थे. बंबई हाई कोर्ट ने उनके आजीवन कारावास की सजा रद्द की थी.
![G N Saibaba: 'आश्चर्य है... मैं जेल से जिंदा बाहर आ गया', बोले बंबई हाई कोर्ट के फैसले पर रिहा हुए डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा EX du professor GN saibaba said surprise I got out of jail alive released from nagpur jail in maoist link case Bombay High Court G N Saibaba: 'आश्चर्य है... मैं जेल से जिंदा बाहर आ गया', बोले बंबई हाई कोर्ट के फैसले पर रिहा हुए डीयू के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/03/08/342901fb794efdc7d3e0462f4df40dea1709918917234708_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Maoist Link Case: माओवादियों से कथित संबंध के मामले में बंबई हाई कोर्ट से बरी किए गए दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को गुरुवार को नागपुर केंद्रीय कारागार से रिहा कर दिया गया. उन्होंने कहा कि यह हैरानी की बात है कि जेल में भयानक जीवन काटने के बावजूद जीवित बाहर आ सके.
कोर्ट ने साईंबाबा को मंगलवार को बरी किया था. उन्हें कथित माओवादी संबंध मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. साईंबाबा ने कहा, ‘‘मेरे जीवित बाहर नहीं आने की पूरी आशंका थी.’’ शारीरिक अक्षमता के कारण व्हीलचेयर का इस्तेमाल करने वाले साईंबाबा ने जेल से बाहर आने के बाद कहा, ‘‘मेरा स्वास्थ्य बहुत खराब है. मैं बात नहीं कर सकता. मुझे पहले इलाज कराना होगा और उसके बाद ही मैं बात कर पाऊंगा.’’
'आश्चर्य है कि मैं जेल से जीवित बाहर आ गया'
डीयू के पूर्व प्रोफेसर ने कहा कि वकीलों और पत्रकारों के अनुरोध के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया. उन्होंने कहा कि वह जल्द ही डॉक्टर्स से मिलेंगे. जेल में बिताये 8 साल के समय को याद करते हुए साईंबाबा ने कहा, ‘‘मैं ऊपर नहीं उठ सकता था, मैं अपनी व्हीलचेयर से बाहर नहीं निकल सकता था. मैं (खुद से) शौचालय नहीं जा सकता था, मैं स्नान नहीं कर सकता था. आश्चर्य है कि आज मैं जेल से जीवित बाहर आ गया.’’
पूर्व प्रोफेसर ने अपने खिलाफ मामले को मनगढ़ंत बताया. महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक अधीनस्थ कोर्ट की तरफ से दोषी ठहराए जाने के बाद साईंबाबा 2017 से यहां जेल में बंद थे. इससे पहले, वह 2014 से 2016 तक इस जेल में थे और बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी. जेल के बाहर उनका एक परिजन इंतजार कर रहा था.
बंबई हाई कोर्ट आजीवन कारावास की सजा रद्द की
बंबई हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने साईंबाबा की सजा रद्द करते हुए मंगलवार को कहा था कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ आरोपों को साबित करने में विफल रहा. कोर्ट ने 54 वर्षीय साईंबाबा को दी गई आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया और गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अभियोजन की मंजूरी को अमान्य ठहराया.
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले की एक सत्र अदालत ने कथित माओवादी संबंधों और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने जैसी गतिविधियों में शामिल होने के लिए साईंबाबा और एक पत्रकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक छात्र सहित पांच अन्य लोगों को मार्च 2017 में दोषी ठहराया था.
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