इथियोपिया के ज्वालामुखी से उठी राख, दिल्ली की हवा को कर रही खराब! एक्सपर्ट्स ने क्या दी चेतावनी?
Delhi Pollution: अफ्रीका के इथियोपिया स्थित अफार क्षेत्र में मौजूद हायली गुबी ज्वालामुखी 12 हजार साल बाद अचानक फटा और हवा की तेज गति और दिशा के कारण ये राख यमन और ओमान होते हुए भारत पहुंच गई.

दिल्ली का AQI लेवल इस वक्त बहुत खराब स्थिति में है. इस बीच इथियोपिया के ज्वालामुखी विस्फोट से उठी राख दिल्ली पहुंची तो कई तरह की आशंकाएं चर्चा का विषय बन गई है. इस नई प्राकृतिक परिस्थिति ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों तक को चिंता में डाल दिया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी में बनी हुई है. सुबह उठते ही राष्ट्रीय राजधानी धुंध की मोटी चादर में लिपटी दिखती है.
12,000 हजार साल बाद अचानक फटा ज्वालामुखी
इथियोपिया में फटा हायली गुबी ज्वालामुखी स्थिति को और विषम बना सकता है. अफ्रीका के इथियोपिया स्थित अफार क्षेत्र में मौजूद हायली गुबी ज्वालामुखी 12 हजार साल बाद रविवार (23 नवंबर, 2025) को अचानक फटा. वैज्ञानिकों के अनुसार, विस्फोट ने लगभग 10-15 किलोमीटर ऊंचाई तक राख का गुबार हवा में पहुंचा दिया. हवा की तेज गति और दिशा के कारण ये राख यमन और ओमान होते हुए भारत पहुंच गई.
100-120 किलोमीटर प्रतिघंटा के रफ्तार से राख का गुबार दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, पंजाब और हरियाणा तक पहुंच गया. भारत मौसम विज्ञान विभाग की मानें, तो ये शाम 7.30 बजे तक चीन पहुंच जाएगा.
ज्वालामुखी की राख सांस लेने में दिक्कत को बढ़ा सकती है- डॉ. अभिषेक शंकर
दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिषेक शंकर ने कहा, ‘इथियोपिया से बहकर आ रही ज्वालामुखी की राख, बारीक कणों और जहरीले धातुओं को मिलाकर दिल्ली की हवा की गुणवत्ता को और खराब कर सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘ये बहुत बारीक कण फेफड़ों में जा सकते हैं, जिससे सांस की दिक्कतें बढ़ सकती हैं और अस्थमा हो सकता है. शहर में पहले से ही प्रदूषण से जुड़े हेल्थ रिस्क के बीच बच्चों, बुज़ुर्गों और कैंसर के मरीजों में खतरा बढ़ सकता है.’ बिगड़ते वायु प्रदूषण से दिल्ली वालों को सेहत से जुड़ी कई दिक्कतें हो रही हैं, जैसे आंखों से पानी आना, अस्थमा के लक्षण, त्वचा में खुजली और गले में जलन की शिकायत लोग कर रहे हैं. शंकर ने कहा कि एयर पॉल्यूशन कैंसर के रिस्क फैक्टर के तौर पर उभर रहा है. नॉन-स्मोकिंग महिलाओं और वयस्कों में लंग कैंसर के बढ़ते मामलों की बड़ी वजह एयर पॉल्यूशन, खासकर पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 है.
वायु प्रदूषण के कारण हो सकता है हार्ट अटैक या स्ट्रोक- डॉ. अनंत मोहन
वहीं, AIIMS दिल्ली के पल्मोनरी मेडिसिन और स्लीप डिसऑर्डर डिपार्टमेंट के प्रोफेसर और हेड, डॉ. अनंत मोहन ने कहा, ‘वायु प्रदूषण से शरीर का कोई भी हिस्सा बिना असर के नहीं रहता. हमारी श्वसन प्रणाली सबसे ज्यादा प्रभावित होती है. नाक, कान और फेफड़े हवा के सीधे संपर्क में रहते हैं, इसलिए सांस की बहुत सारी बीमारियां होती हैं.’ उन्होंने कहा, ‘दिमाग से लेकर शरीर के किसी भी हिस्से को दिक्कत हो सकती है. हार्ट अटैक या स्ट्रोक हो सकता है.’
एक्सपर्ट ने कहा, ‘खराब वायु गुणवत्ता का स्तर गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी असर डालता है. प्रदूषण के इस स्तर से कोई नहीं बच सकता, इसमें उम्र मायने नहीं रखती. न ही शरीर का कोई अंग इससे अछूता रह सकता है और मेरे हिसाब से राष्ट्रीय राजधानी में खराब एयर क्वालिटी को इमरजेंसी कंडीशन माना जाना चाहिए.’
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