Chintan Shivir में उठी मांग- राहुल गांधी बनें अध्यक्ष, 'जनजागरण यात्रा' के जरिए जनता से करें बात
Congress Chintan Shivir: ये प्रस्ताव भी रखा गया है कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद संभालने के बाद भारत यात्रा निकालें और देश भर की आम जनता से सीधा संवाद करें.
Congress Chintan Shivir: राजस्थान के उदयपुर में चल रहे चिंतन शिविर के दौरान जहां एक तरफ राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को पूर्णकालिक अध्यक्ष बनने और कंसिस्टेन्ट लीडर बनने की सलाह दी गई है वहीं ये प्रस्ताव भी रखा गया है कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद संभालने के बाद भारत यात्रा निकालें और देश भर की आम जनता से सीधा संवाद करें. ABP News को सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक के मुताबिक इसे 'जनजागरण यात्रा' (Janjagran Yatra) का नाम देने का प्रस्ताव रखा गया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस प्रस्ताव पर तकरीबन सहमति भी बन गई है.
वहीं ये प्रस्ताव साथ में रखा गया है कि सोनिया गांधी UPA की अध्यक्षा बनीं रहें और UPA के कुनबे को बढ़ाने के लिए और सहयोगी दलों को साथ जोड़ना चाहिए. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि प्रस्ताव तो तमाम पेश कर दिए गए हैं मगर क्या राहुल गांधी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ेंगे, क्योंकि वो दोबारा अध्यक्ष तभी बन सकते हैं जब वो सितंबर में होने वाले अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ें और जीतें. इस बीच कुछ नेताओं ने ये प्रस्ताव भी दिया है कि अगर राहुल अध्यक्ष नहीं हीं बनते हैं तो प्रियंका गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए.
चिंतन शिविर में कांग्रेस के बड़े और छोटे नेता शामिल
आपको बता दें कि राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर जारी है. जिसमें पार्टी के तमाम बड़े और छोटे नेता हिस्सा ले रहे हैं. अब इस शिविर में मांग की गई है कि चुनावों के वक्त पार्टी नेतृत्व मंदिर, मस्जिद, चर्च या दूसरे धार्मिक स्थलों में ना घूमें. चिंतन शिविर में मौजूद कुछ सदस्यों ने ये प्रस्ताव रखते हुए कहा है कि ऐसा करने से कांग्रेस के वोटर भ्रमित होते हैं और इससे जनता के बीच सही संदेश नहीं जाता है.
धर्मनिरपेक्षता को लेकर भी स्टैंड लेने की बात
यही नहीं, इस प्रस्ताव में इस बात पर भी जोर दिया गया कि कांग्रेस को बीजेपी के सामने एक मजबूत धर्मनिरपेक्ष स्टैंड लेना चाहिए. बता दें कि बीजेपी के धार्मिक राजनीतिक रुख को देखते हुए पिछले कुछ सालों में हुए चुनावों में अक्सर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अलग-अलग धार्मिक स्थलों पर जाकर दर्शन करते देखा गया है. माना जाता है कि इसके पीछे कांग्रेस की सोची समझी रणनीति थी, लेकिन चुनाव नतीजों पर नजर डालें तो कांग्रेस को इसका कोई फायदा नहीं हुआ.
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