अब दिल्ली के चुनाव में पाकिस्तान की एंट्री, कहीं बिहार वाला हाल तो नहीं होगा
बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने कहा आठ फरवरी को हिंदुस्तान और पाकिस्तान के बीच मुकाबला होगा. आठ फरवरी को दिल्ली में है विधानसभा चुनाव. बिहार चुनाव में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दिया था पाकिस्तान को लेकर बयान

नई दिल्ली: दिल्ली के चुनाव में भी आखिरकार पाकिस्तान की एंट्री हो गई है. बीजेपी की पूरी कोशिश माहौल गरमाने की है. वो भी इस तरह से कि हिंदू पाकिस्तान का खेल हो जाए. बीजेपी के कुछ नेताओं ने तो सारे घोड़े खोल दिए हैं. बीजेपी नेता कपिल मिश्र ने आज एक ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा है 8 फरवरी को दिल्ली की सड़कों पर हिंदुस्तान और पाकिस्तान का मुकाबला होगा. कपिल मॉडल टाउन से चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार वे आम आदमी पार्टी से विधायक चुने गए थे.
दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने सबसे पहले नारा राष्ट्रवाद बनाम अराजकता का दिया था. केंद्रीय मंत्री और पार्टी के चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने ये बात कही थी. लेकिन मामला जमा नहीं. न कार्यकर्ताओं में और न ही पब्लिक में. फिर मनोज तिवारी ने कहा, केजरीवाल सरकार जो फ्री दे रही है. हम उसका पांच गुना देंगे. जनता ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के इस वादे को भी अनसुना कर दिया. प्रकाश जावड़ेकर फिर एक नए थीम के साथ चुनावी बाजार में उतरे. उन्होंने "देश बदला, दिल्ली बदलो" का नारा दिया. हफ्ते-दस दिन गुजर गए. लेकिन पब्लिक बदलने को तैयार नहीं हुई.
अब पार्टी अपने सबसे धारदार हथियार के साथ विरोधियों से भिड़ने चुनावी अखाड़े में आई है. ये हथियार कभी चला, कभी नहीं भी चला. यूपी में इसी फार्मूले पर बीजेपी की छप्पर फाड़ जीत हुई. लेकिन बिहार में तो पार्टी पिट गई थी. आपको भी याद होगा. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा था, "अगर लालू यादव और नीतीश की जोड़ी जीत गई तो फिर पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे." पार्टी में पाकिस्तान के एक्सपर्ट कहे जाने वाले गिरिराज के बयान पर बड़ा हंगामा मचा. लेकिन बिहार में बीजेपी की लाज भी नहीं बची. पार्टी हार तो गई लेकिन पाकिस्तान में पटाखे नहीं फूटे.
दिल्ली की बीजेपी में कपिल मिश्रा की छवि भी हिंदू मुसलमान एक्सपर्ट की रही है. किस बात पर वे कहां ऊधम मचा दें कहा नहीं जा सकता है. दिल्ली के लिए पार्टी ने हर दांव आजमा लिए. लेकिन फिर भी कोई उम्मीद नहीं नजर आ रही है. तमाम चुनावी सर्वे में बीजेपी अपनी कट्टर विरोधी "आप" से बहुत पीछे है. कांग्रेस की हालत तो न तीन में है न तेरह में. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह तक चुनावी सभा कर चुके हैं. देश भर के बड़े-बड़े बीजेपी नेताओं की ड्यूटी लगा दी गई है. फिर भी बीजेपी को लेकर पब्लिक में कोई खास दिलचस्पी नहीं है. हरतरफ चर्चा केजरीवाल सरकार के फ्री बिजली- पानी और स्कूल अस्पताल की हो रही है.
अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी बीजेपी के प्रोपेगेंडा से अब तक बचती रही है. केजरीवाल ने बीजेपी के ध्रुवीकरण कराने की हर कोशिश नाकाम की है. लोगों ने उन्हें शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल होने को उकसाया. तो जेएनयू विवाद में भी आईशी घोष के समर्थन में उनसे कैंपस जाने की अपील की गई थी. लेकिन अरविंद कहीं नहीं गए. इस बात पर कुछ नेताओं ने उन्हें खरी खोटी भी सुनाई. लेकिन केजरीवाल राजनैतिक जाल में अब तक नहीं फंसे हैं.
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