एक्सप्लोरर

दहेज लेने के बाद बेटी को पिता की संपत्ति में हक मिलना चाहिए या नहीं?

यह मामला चार बहनों और चार भाइयों के 10 लोगों के परिवार (माता-पिता को मिलाकर ) में हुए एक झगड़े से जुड़ा है. बड़ी बेटी ने याचिका दायर करके एक डीड का हवाला दिया था.

बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने पिता की संपत्ति में बेटियों के अधिकार को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट' ने तेरेज़िन्हा मार्टिन्स डेविड बनाम मिगुएल गार्डा रोसारियो मार्टिन्स मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि शादी के समय दहेज देने पर भी बेटी का पारिवारिक संपत्ति का अधिकार समाप्त नहीं होगा.

न्यायमूर्ति एमएस सोनक ने बेटी के हिस्से की संपत्ति को उसकी सहमति के बिना उसके भाइयों को हस्तांतरित करने के डीड को भी रद्द कर दिया है. न्यायमूर्ति सोनक ने अपने फैसले में कहा कि घर की बेटी को दहेज दिए जाने के कोई सबूत नहीं है. ये मामला हो या कोई और अगर किसी बेटी को कुछ दहेज दिया भी गया हो, तो इसका मतलब ये नहीं होगा कि बेटियों का पारिवारिक संपत्ति में कोई अधिकार नहीं है. 

पूरा मामला जानिए 

यह मामला चार बहनों और चार भाइयों को मिलाकर 10 सदस्यों वाले परिवार (माता-पिता को मिलाकर ) में हुए एक झगड़े से जुड़ा है. बड़ी बेटी ने याचिका दायर करके एक डीड का हवाला दिया था.जिसमें बेटी के दिवंगत पिता ने बेटी को संपत्ति का उत्तराधिकार घोषित किया था.

इस याचिका में 8 सितंबर, 1990 की एक दूसरी डीड का भी जिक्र किया गया था. इसमें मां ने परिवार की एक दुकान को भाइयों के नाम ट्रांसफर कर दिया था. याचिका में इस डीड को रद्द करने की मांग की गई थी. ये भी मांग की गई थी कि दुकान को उसकी मर्जी के बगैर भाइयों में ट्रांसफर ना किया जाए. 

कोर्ट में भाइयों ने क्या दलील दी

याचिकाकर्ता के भाइयों ने बहस के दौरान ये तर्क दिया कि सभी चार बहनों को शादी के समय पर्याप्त दहेज दिया जा चुका था.  ऐसे में याचिकाकर्ता और तीनों बहनों का न तो दुकान और न ही परिवार की किसी संपत्ति पर अधिकार है. मामले की सुनवाई पहले ट्रायल कोर्ट में हुई और फिर मामला हाईकोर्ट पहुंचा. 

ट्रायल कोर्ट में क्या हुआ

निचली अदालत ने 31 मई, 2003 को एक फैसले में बेटी के क्लेम को रद्द कर दिया था और पिता की संपत्ति पर बेटों को उत्तराधिकार बरकरार रखा था. 

हाईकोर्ट में अपने फैसले में क्या कहा

हाईकोर्ट ने ये संज्ञान लिया कि याचिकाकर्ता ने मुकदमा डीड ट्रांसफर के चार साल बाद दायर किया था क्योंकि उसे मुकदमा दायर करने के 6 हफ्ते पहले ही डीड ट्रांसफर होने की बात का पता लगा था. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि उसके चारों भाई इस बात को साबित करने में नाकाम रहे हैं कि बहन को डीड ट्रांसफर करने के बारे में पहले से जानकारी थी.

इस मामले में, परिसीमा अधिनियम 1963 के अनुच्छेद 59 के प्रावधानों के मुताबिक किसी भी संपत्ति के ट्रांसफर को रद्द करने की अवधि तीन साल है यानी अगर किसी की संपत्ति को किसी और को ट्रांसफर कर दिया जाए तो कानूनी तौर से तीन साल के अंदर ही इसे रद्द करने का प्रावधान है. 

कोर्ट ने कहा कि तीन साल के अंदर का समय वो वक्त होता है जब किसी लिखित डिक्री को रद्द करने का फैसला लिया जा सकता है. उसके बाद इसे अवैध माना जाता है. लेकिन इस मामले में बेटी को संपत्ति ट्रांसफर की कोई भी जानकारी 6 हफ्ते से पहले तक थी ही नहीं.   

अदालत ने भाइयों की तरफ से पेश किए गए सबूतों का जिक्र करते हुए ये कहा कि पेश किए गए सबूत इस बात को नहीं साबित कर पाए हैं कि बहनों को इसकी जानकारी पहले से थी. हाईकोर्ट ने मामले में 1961 में 'केएस नानजी एंड कंपनी बनाम जटाशंकर दोसा' मामले पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया. 

केएस नानजी एंड कंपनी बनाम जटाशंकर दोसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ये कहा था कि संपत्ति का ट्रांसफर तभी मुमकिन है जब याचिकाकर्ता तीन साल के अंदर ही डीड ट्रांसफर का केस दर्ज कराए. लेकिन अगर ये साबित हो जाए कि डीड ट्रांसफर कराने वाले याचिकाकर्ता को इस बात की जानकारी ही नहीं थी तो कोर्ट को अपना फैसला बदलना पडे़गा. 

बॉम्बे हाईकोर्ट की गोवा बेंच ने पुर्तगाली नागरिक संहिता (portuguese civil code) के आर्टिकल 1867, 2184, 1565, 2177, 2016 पर मामले की जांच की. 

इन प्रावधानों का मतलब समझिए

आर्टिकल 1565 में ये कहा गया है कि माता-पिता या दादा-दादी एक बच्चे की सहमति के बगैर दूसरे बच्चे को न तो संपत्ति बेच सकते हैं और न किराए पर दे सकते हैं.  कोर्ट ने सुनवाई में साल 2012 के 'पेमावती बसु नाइक एंड ओआरएस' बनाम सुरेश बसु के मामले का भी जिक्र किया. 

बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि इस मामले में भी आर्टिकल 1565 के तहत फैसला सुनाया गया था. जिसमें माता पिता को बच्चों की जानकारी के बगैर संपत्ति बेचे जाने को गैरकानूनी घोषित किया गया था. इसी तरह संहिता के अनुच्छेद 2177 में प्रावधान है कि एक संपत्ति के दो मालिक होने पर संपत्ति के किसी भी भाग में फेर बदल एक मालिक की मर्जी से नहीं किया जा सकता है.

न्यायालय ने अपने फैसले में 1999 के जोस एंटोनियो फिलिप पासकोल दा पीडाडे कार्लोस डोस मिलाग्रेस मिरांडा बनाम अल्बानो वाज मामले का जिक्र किया. 


" जोस एंटोनियो बनाम अल्बानो वाज मामले में अदालत ने कहा था कि अनुच्छेद 2177 के तहत दूसर मालिक की सहमति के बगैर एक मालिक  संपत्ति को लेकर कोई भी फैसला नहीं कर सकता. कोर्ट ने ये कहा कि ये नियम सबसे पहले गोवा में लागू किया गया था. फैसले में कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आर्टिकल 1565 और 1977 का उल्लंघन हुआ है. कोर्ट ने फैसला बेटी के पक्ष में सुनाया.

क्या बाप की संपत्ति में सिर्फ बेटों का ही अधिकार है ?

आमतौर पर हमारे समाज में बेटे को ही पिता का उत्तराधिकारी माना जाता है लेकिन साल 2005 के संशोधन के बाद कानून ये कहता है कि बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर हक मिलना चाहिए. साल 2005 से पहले तक हिंदू परिवारों में बेटे ही घर का कर्ता-धर्ता माना जाता था. इसलिए पैतृक संपत्ति के मामले में बेटी को बेटे जैसा दर्जा हासिल नहीं दिया जाता था. 

दिल्ली में वकील ज्योति ओझा ने बीबीसी को बताया कि 20 दिसंबर 2004 से पहले अगर किसी पैतृक संपत्ति का बंटवारा हो गया है तो उसमें लड़की का कानूनी तौर पर भी उस संपत्ति में हक नहीं बनेगा क्योंकि इस मामले में पुराना हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम लागू होगा. यह कानून हिंदू धर्म से जुड़े लोगों के अलावा बौद्ध, सिख और जैन समुदाय के लोगों पर भी लागू होता है.

पैतृक संपत्ति का मतलब समझिए

आमतौर पर किसी भी पुरुष को अपने पिता, दादा या परदादा से उत्तराधिकार में जो संपत्ति मिलती है उसे पैतृक संपत्ति कहते हैं. यानी बच्चा जन्म के साथ ही पिता की पैतृक संपत्ति का अधिकारी हो जाता है. संपत्ति दो तरह की होती है. पहली खुद से कमाई हुई यानी स्वर्जित संपत्ति, दूसरी विरासत में मिली हुई जिसे पैतृक संपत्ति कहते हैं. 

पैतृक संपत्ति में कौन होता है हिस्सेदार 

कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति की पैतृक संपत्ति में उनके सभी बच्चों और पत्नी का बराबर का अधिकार होता है. इसे ऐसे समझे कि अगर किसी परिवार में एक शख्स के तीन बच्चे हैं, तो पैतृक संपत्ति का बंटवारा पहले तीनों बच्चों में होगा. फिर तीसरी पीढ़ी के बच्चे अपने पिता के हिस्से में अपना हक ले सकेंगे.

तीनों बच्चों को पिता की संपत्ति का एक-एक तिहाई हिस्सा मिलता है और उनके बच्चों और पत्नी को बराबर-बराबर हिस्सा मिलेगा. वहीं मुस्लिम समुदाय में पैतृक संपत्ति का मालिकाना हक तब तक दूसरे को नहीं मिलता जब तक अंतिम पीढ़ी का शख़्स जिंदा हो.

कब मिलता है  बेटियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा

एक पिता की खुद से अर्जित की गई संपत्ति में बेटी और बेटों को उसके मरने के बाद ही अधिकार मिलता है. हिंदुओं के मामले में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम लागू होता है और मुसलमानों के मामले में मुस्लिम पर्सनल लॉ लागू होता है. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के तहत बेटे और बेटी को बराबर का अधिकारी माना है.  

बेटी शादी के बाद भी पिता की संपत्ति की हकदार होती है

मुसलमानों में  मुस्लिम पर्सनल लॉ  बोर्ड ने बेटी को बेटे से कम अधिकार दिया गया है, लेकिन आजकल न्यायालय इस अवधारणा को नहीं मान रहा है. मुस्लिम बेटियों को भी भारत के कानून भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम का इस्तेमाल करके बेटी को  बराबर हक दिलवाया जा रहा है.  

बेटियों को कब नहीं मिलता है उत्तराधिकार

कुछ मामलों में बेटियां पिता की संपत्ति की उत्तराधिकारी नहीं भी होती हैं. जैसे कि अगर कोई बेटी खुद को उत्तराधिकार में मिले हक को त्याग कर दे. ऐसे में संपत्ति भले ही उसके पिता की खुद की अर्जित संपत्ति हो या फिर उसके पिता को ये संपत्ति विरासत में ही क्यों ना मिली हो.

अगर बेटी में अपने हिस्से का त्याग कर दिया है और किसी पक्षकार को रिलीज डीड लिख दी है और उस रिलीज डीड को रजिस्टर्ड भी करवा दिया गया है तो बेटी किसी भी संपत्ति पर मालिकाना हक नहीं जता सकती है.

जब पिता अपनी संपत्ति बेटों को वसीयत कर दे

अगर कोई पिता खुद की कमाई सारी संपत्ति को बेटों के नाम वसीयत कर दे और वसीयतनामें में बेटियों को पूरी तरह से खारिज कर दे साथ ही  पिता अपने वसीयत को रजिस्टर्ड भी करवा ले तो पिता के न रहने के बाद बेटियों का संपत्ति में किसी भी तरह का कोई कानूनी हक नहीं माना जाता है.  

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

सऊदी पहुंचे शहबाज शरीफ का वेलकम करने क्राउन प्रिंस MBS ने भेजे F-15SA जेट, सैल्यूट करते नजर आए PAK पीएम
सऊदी पहुंचे शहबाज शरीफ का वेलकम करने क्राउन प्रिंस MBS ने भेजे F-15SA जेट, सैल्यूट करते नजर आए PAK पीएम
Asia Cup: 21 सितंबर को IND vs PAK मैच पर राजस्थान कांग्रेस का अल्टीमेटम, 'समझाने पर भी नहीं माने तो...'
एशिया कप: 21 सितंबर को IND vs PAK मैच पर राजस्थान कांग्रेस का अल्टीमेटम, जानें क्या कहा?
Mahavatar Narsimha OTT Release: अगले 24 घंटों में बनेंगे नए रिकॉर्ड, सबसे धमाल फिल्म इतने बजे से घर पर देख पाएंगे आप
अगले 24 घंटों में बनेंगे OTT पर नए रिकॉर्ड, 'महावतार नरसिम्हा' इतने बजे से घर पर देख पाएंगे आप
भारत के लिए फिर एक बार खेलेंगे रविचंद्रन अश्विन, टीम इंडिया की जर्सी में इस मैच से करेंगे वापसी
भारत के लिए फिर एक बार खेलेंगे रविचंद्रन अश्विन, टीम इंडिया की जर्सी में इस मैच से करेंगे वापसी
Advertisement

वीडियोज

The Bads of Bollywood Review: : आर्यन खान के शो ने समीर वानखेड़े को भी नहीं बख्शा
Delhi में Police की गाड़ी ने Divyang Tea Seller को कुचला, नशे का आरोप
Bulldozer Action: Meerut में Salawa कांड के आरोपियों के अवैध निर्माण पर चला 'बुलडोजर'
India-US Trade: America हटा सकता है 25% अतिरिक्त Tariff, 30 November के बाद फैसला संभव
Disha Patani Firing Case: 2 Shooters एनकाउंटर में ढेर, Gangster Ravi Godara की धमकी- 'बदला लेंगे'
Advertisement

फोटो गैलरी

Advertisement
Petrol Price Today
₹ 94.77 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.67 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
सऊदी पहुंचे शहबाज शरीफ का वेलकम करने क्राउन प्रिंस MBS ने भेजे F-15SA जेट, सैल्यूट करते नजर आए PAK पीएम
सऊदी पहुंचे शहबाज शरीफ का वेलकम करने क्राउन प्रिंस MBS ने भेजे F-15SA जेट, सैल्यूट करते नजर आए PAK पीएम
Asia Cup: 21 सितंबर को IND vs PAK मैच पर राजस्थान कांग्रेस का अल्टीमेटम, 'समझाने पर भी नहीं माने तो...'
एशिया कप: 21 सितंबर को IND vs PAK मैच पर राजस्थान कांग्रेस का अल्टीमेटम, जानें क्या कहा?
Mahavatar Narsimha OTT Release: अगले 24 घंटों में बनेंगे नए रिकॉर्ड, सबसे धमाल फिल्म इतने बजे से घर पर देख पाएंगे आप
अगले 24 घंटों में बनेंगे OTT पर नए रिकॉर्ड, 'महावतार नरसिम्हा' इतने बजे से घर पर देख पाएंगे आप
भारत के लिए फिर एक बार खेलेंगे रविचंद्रन अश्विन, टीम इंडिया की जर्सी में इस मैच से करेंगे वापसी
भारत के लिए फिर एक बार खेलेंगे रविचंद्रन अश्विन, टीम इंडिया की जर्सी में इस मैच से करेंगे वापसी
अकूत पैसा, सियासी ताकत और गंदे काम... बौद्ध भिक्षुओं के कांड से हिला चीन, जिनपिंग ने बदल डाले नियम
अकूत पैसा, सियासी ताकत और गंदे काम... बौद्ध भिक्षुओं के कांड से हिला चीन, जिनपिंग ने बदल डाले नियम
अरविंद केजरीवाल को सरकारी आवास दिए जाने का मामला, HC ने कहा, 'पारदर्शी प्रक्रिया हो'
अरविंद केजरीवाल को सरकारी आवास दिए जाने का मामला, HC ने कहा, 'पारदर्शी प्रक्रिया हो'
उपराष्ट्रपति के सेक्रेटरी बने रिटायर्ड IAS अमित खरे, जानें उन्हें मिलेगी कितनी सैलरी
उपराष्ट्रपति के सेक्रेटरी बने रिटायर्ड IAS अमित खरे, जानें उन्हें मिलेगी कितनी सैलरी
पेट्रोल पंप पर गड़बड़ी करते दिखें कर्मचारी, तो यहां करें शिकायत
पेट्रोल पंप पर गड़बड़ी करते दिखें कर्मचारी, तो यहां करें शिकायत
Embed widget