कोरोना से हुई मौतों को लेकर दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने कराया विश्लेषण, जारी किए आंकड़े
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी किए गए मौत के आंकड़ों के विश्लेषण में ये भी बताया गया है कि जून की शुरुआत में अस्पतालों में भर्ती होने वाले अधिकतर लोगों की हालत काफी गंभीर थी और कई लोगों की 4 दिनों के अंदर मौत हो गई.

नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने दिल्ली में कोरोना के कारण हुई मौतों का विश्लेषण कराया है, जिसमें पाया गया है कि 1 से 12 जून और 1 से 12 जुलाई के दौरान मौतों में 44 प्रतिशत की गिरावट आई है. 1 से 12 जून के दौरान 1089 मौतें हुई थीं, जबकि 1 से 12 जुलाई के बीच 605 मौतें हुईं.
विश्लेषण के मुताबिक दिल्ली सरकार के कोविड अस्पतालों में जून से जुलाई तक मौतों में 58 प्रतिशत की कमी देखी गई. जून में 361 मौतें हुईं और जुलाई में 154. वहीं सरकारी अस्पतालों की तुलना में निजी कोविड अस्पतालों में जून से जुलाई तक 25 प्रतिशत की कमी देखी गई और केंद्र सरकार के कोविड अस्पतालों में 55 प्रतिशत की कमी देखी गई. केंद्र सरकार के आरएमएल अस्पताल में मृत्यु दर का प्रतिशत जून में 81 था, जो जुलाई में घट कर 58 प्रतिशत हो गया. केंद्र सरकार के ही सफदरजंग अस्पताल में जून में मृत्यु दर 40 प्रतिशत से घट कर जुलाई में 31 प्रतिशत हो गई.
दिल्ली सरकार के सबसे बड़े कोविड अस्पताल एलएनजेपी में जून की शुरूआत में मृत्यु दर 28 प्रतिशत थी, जो जुलाई की शुरुआत में घट कर 16 प्रतिशत हो गई. दिल्ली सरकार के राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल मृत्यु दर के मामले में दिल्ली के सबसे अच्छे कोविड अस्पतालों में से एक हैं, यहां जून की शुरुआत में मृत्य दर 6 प्रतिशत थी और जुलाई की शुरुआत में 7 प्रतिशत.
स्वास्थ्य विभाग द्वारा किए गए मौत के आंकड़ों के विश्लेषण में ये भी बताया गया है कि जून की शुरुआत में अस्पतालों में भर्ती होने वाले अधिकतर लोगों की हालत काफी गंभीर थी और कई लोगों की 4 दिनों के अंदर मौत हो गई, जबकि कुछ की मौत 24 घंटे के अंदर ही हो गई. 1 से 12 जून तक कुल मौतों का प्रतिशत पिछले चार दिनों में भर्ती हुए कुल मरीजों का 67 प्रतिशत था, जबकि अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर होने वाली मौतों का प्रतिशत 34 था. तुलना में, 1 से 12 जुलाई के बीच एडमिट होने के 4 दिनों के अंदर हुई मौतों का प्रतिशत केवल 35 प्रतिशत था, जबकि भर्ती होने के 24 घंटे के अंदर होने वाली मौतों का प्रतिशत 15 प्रतिशत था.
दिल्ली सरकार के दावे के मुताबिक राजधानी में कोविड के कारण होने वाली मौतों में कमी के लिए पांच प्रमुख कदम उठाए गए:-
1) व्यापक जांच: पहले प्रतिदिन औसतन 5,500 टेस्ट हो रहे थे, जिसे जुलाई की शुरुआत में बढ़ा कर 21,000 टेस्ट प्रतिदिन कर दिया गया. दिल्ली में मौजूदा जांच दर 50,000 प्रति मिलियन है, जो अब तक देश में सबसे अधिक है. इससे यह सुनिश्चित हो गया कि संदिग्ध कोविड मरीज बिना समय गंवाए या गंभीर हुए जांच सुविधाओं तक आसानी से पहुंच सकते हैं, क्योंकि ये इस तथ्य से दिखाई देता है कि जुलाई में भर्ती होने वाले मरीजों की मृत्यु, भर्ती होने के 24 घंटे या पहले 4 दिनों के भीतर कम हुई है.
2) ऑक्सीमीटर: दिल्ली सरकार ने शुरू से ही होम आइसोलेशन कार्यक्रम का समर्थन किया. यहां तक कि केंद्र सरकार के विरोध के खिलाफ गई और सभी होम आइसोलेशन रोगियों को मुफ्त में ऑक्सीमीटर प्रदान करने का निर्णय लिया. कुल 59,600 ऑक्सीमीटर खरीदे गए और मरीजों में बांटे गए. इससे ये सुनिश्चित हो गया कि होम आइसोलेशन में मरीज अपने पल्स रेट की निगरानी कर सकते हैं और हालत गंभीर होने की स्थिति में बिना समय गंवाए अस्पतालों में उन्हें शिफ्ट किया जा सकता है.
3) एम्बुलेंस सुविधा: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लॉकडाउन की शुरुआत में ही बड़ी संख्या में एंबुलेंस बढ़ाने का आदेश दिया और खुद ही एंबुलेंस की रिपोर्ट और उसके रिस्पॉन्स टाइम की निगरानी कर रहे हैं. लॉकडाउन की शुरुआत में एंबुलेंस के बेड़े में केवल 134 एंबुलेंस थीं, जो जुलाई तक बढ़ कर 602 हो गई हैं और रिस्पॉन्स टाइम 55 मिनट से घटकर 20-30 मिनट हो गया.
4) बेड की उपलब्धता और कोरोना एप: ये सुनिश्चित करने के लिए कि मरीज निजी या सरकारी अस्पतालों के बिना चक्कर लगाए और कागजी प्रक्रिया में अपना समय गंवाए बिना आसानी से अपनी पसंद के अस्पताल में बेड प्राप्त कर सकें, सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए. मई की शुरुआत में कोविड बेड की क्षमता 3700 से बढ़ कर जुलाई के अंत में लगभग 15,000 हो गई है. दिल्ली कोरोना एप लॉन्च करने का निर्णय लिया गया, जिससे मरीजों के लिए अस्पताल में उपलब्ध बेड का पता लगाने में कोई समय न गंवाया जाए.
5) आईसीयू बेड की संख्या बढ़ाई गई: जून की शुरुआत में मौतों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए और कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों और डॉक्टरों के साथ बातचीत के आधार पर आईसीयू बेड के विस्तार पर बल दिया गया. जून की शुरुआत में 500 से कम आईसीयू बेड थे, जबकि आज की तारीख में दिल्ली के कोविड अस्पतालों में 2200 से अधिक आईसीयू बेड हैं, जिनमें से लगभग 1400 खाली हैं.
दिल्ली सरकार के इस विश्लेषण के मुताबिक 1 से 23 जुलाई तक हुई मौतों के अध्ययन से पता चला है कि अधिक मृत्यु दर वाले सरकारी अस्पताल आरएमएल (39 प्रतिशत), सफदरजंग (35 प्रतिशत), जीटीबी (22 प्रतिशत), एम्स दिल्ली (20 प्रतिशत) और एलएनजेपी (15 प्रतिशत) हैं. वहीं, 1-23 जुलाई की अवधि में इन अस्पतालों के वार्डों में होने वाली मौतों का प्रतिशत आरएमएल में 43 प्रतिशत, जीटीबी में 42 प्रतिशत, एलएनजेपी में 38 प्रतिशत और सफदरजंग में 18 प्रतिशत था.
मृत्यु दर को और कम करने के उद्देश्य से सीएम अरविंद केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को आईसीयू के बजाय वार्डों में होने वाली मृत्यु दर या अधिक अनुपात वाले सरकारी अस्पतालों पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है और विशेष उपायों की सिफारिश करने की आवश्यकता पर बल दिया है.
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Source: IOCL





















