लंबित मामले, मुकदमेबाजी की महंगी फीस और झूठ... CJI संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट की चुनौतियां गिनाईं
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि संवैधानिक यात्रा शुरू होने के 75 साल बाद सुप्रीम कोर्ट बदल गया है, फिर भी अपने मूलभूत मिशन पर कायम है.

सुप्रीम कोर्ट के 75 साल पूरे होने पर एक रस्मी पीठ में मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष तीन बड़ी चुनौतियों के बारे में बात की. उन्होंने लंबित मामले, मुकदमेबाजी के लिए बढ़ती फीस और वकीलों में ईमानदारी की कमी को सबसे बड़ी चुनौतियों के तौर पर चिन्हित किया.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने कहा कि जहां भी और जब भी झूठ का सहारा लिया जाता है तो वहां न्याय नहीं पनप सकता है. उन्होंने कहा कि कहा कि यह जनता की सच्ची अदालत है जो 1.4 अरब लोगों की आकांक्षाओं को मूर्त रूप देते हुए दुनिया की सबसे जीवंत सुप्रीम कोर्ट के रूप में विकसित हुई.
उन्होंने कहा, 'जो संघीय अदालत के उत्तराधिकारी के रूप में 1950 में शुरू हुआ था, वह शायद दुनिया की सबसे जीवंत और गतिशील सुप्रीम कोर्ट में विकसित हुआ है, जो वास्तव में 1.4 अरब भारतीयों की आकांक्षाओं और विविधता का प्रतीक है. हमारे उच्चतम न्यायालय को वैश्विक मंच पर अलग पहचान मिलती है. लोगों की सच्ची अदालत के रूप में इसका अनूठा चरित्र है.'
सुप्रीम कोर्ट 26 जनवरी, 1950 को अस्तित्व में आया जब संविधान लागू हुआ और 28 जनवरी, 1950 को इसका उद्घाटन किया गया. शुरू में यह पुराने संसद भवन से कार्य करता था और 1958 में इसका कामकाज तिलक मार्ग स्थित वर्तमान भवन में स्थानांतरित हो गया. सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि संवैधानिक यात्रा शुरू होने के 75 साल बाद सुप्रीम कोर्ट बदल गया है, फिर भी अपने मूलभूत मिशन पर कायम है.
उन्होंने कहा, 'यह परिवर्तन एक गहरी मान्यता को दर्शाता है- कि न्याय सैद्धांतिक और व्यावहारिक दोनों होना चाहिए. ऐसा करने से, यह न्याय के संवैधानिक वादे- सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक- को लाखों भारतीयों के लिए एक जीवित वास्तविकता बनाता है.' सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि जहां सुप्रीम कोर्ट की यात्रा अधिकारों और पहुंच में उल्लेखनीय विकास को दर्शाती है, वहीं तीन चुनौतियों पर ध्यान देने की बात कही जाती है.
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा, 'सबसे पहले, लंबित मामलों का बोझ जो न्याय में देरी का कारण बनता है. दूसरा, मुकदमेबाजी की बढ़ती लागत (न्याय तक) सच्ची पहुंच को खतरे में डालती है. तीसरी और शायद सबसे बुनियादी बात यह है कि जहां और जब भी झूठ का सहारा लिया जाता है, वहां न्याय नहीं पनप सकता.'
सीजेआई संंजीव खन्ना शीर्ष अदालत के हीरक जयंती वर्ष को चिह्नित करने के लिए आयोजित रस्मी पीठ का हिस्सा थे. सीजेआई के अलावा, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष और सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अपने विचार साझा किए. कपिल सिब्बल ने कहा कि अपनी स्थापना के बाद से ही सुप्रीम कोर्ट को कानून के अनुसार मामलों का फैसला करने में कोई झिझक नहीं हुई है.
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Source: IOCL





















