जलीकट्टू पर बैन के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी, पीएम मोदी से मिले सीएम पनीरसेल्वम

नई दिल्ली/चेन्नई: तमिलनाडु में बैलों पर काबू पाने के पारंपरिक खेल जलीकट्टू पर पाबंदी के खिलाफ चेन्नई में तीसरे दिन भी प्रदर्शन जारी है. जलीकट्टू पर सुप्रीम कोर्ट ने पाबंदी लगाई है, जिसके खिलाफ राजधानी चेन्नई की सड़कों और मरीना बीच पर हजारों युवक तीन दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं.

चेन्नई से लेकर दिल्ली तक आंदोलन
छात्र न सिर्फ जलीकट्टू पर पाबंदी हटाने की मांग कर रहे हैं, बल्कि वो ये भी चाहते हैं कि पशुओं के अधिकार के लिए काम करने वाली संस्था 'पेटा' पर पाबंदी लगाई जाए. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम आज इसी मामले को उठाने के लिए दिल्ली पहुंचे और पीएम मोदी से मुलाकात भी की. दिल्ली में भी लोग इससे प्रतिबंध हटाने के लिए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.
Delhi: Tamil Nadu Chief Minister O. Pannerselvam meets Prime Minister Narendra Modi to urge ordinance on #Jallikattu. pic.twitter.com/KnTgV9YKhR
— ANI (@ANI_news) January 19, 2017
2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगाया
साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने जल्लीकट्टू पर प्रतिबंध लगा दिया था. इसके बाद पिछले साल केंद्र सरकार ने अध्यादेश जारी कर इस पारंपरिक खेल को इजाजत दे दी थी, लेकिन सरकार के इस अध्यादेश को फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई जिस पर अंतिम फैसला आना बाकी है. इसी कारण अभी तक केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर अंतिम निर्णय आना अभी बाकी है.
इधर, आम लोगों से लेकर दिग्गज हस्तियों ने जल्लीकट्टू का समर्थन किया है. दिग्गज फिल्म अभिनेता रजनीकांत, अभिनेत्री नयनतारा और अभिनेत्री तृषा ने भी जलीकट्टू का समर्थन किया है.
क्या है जल्लीकट्टू ?
जलीकट्टू तमिलनाडु में एक बहुत पुरानी परंपरा है. जलीकट्टू तमिलनाडु में 15 जनवरी को नई फसल के लिए मनाए जाने वाले त्योहार पोंगल का हिस्सा है. जलीकट्टू त्योहार से पहले गांव के लोग अपने अपने बैलों की प्रैक्टिस करवाते हैं. जहां मिट्टी के ढेर पर बैल अपनी सींगो को रगड़ कर जलीकट्टू की तैयारी करता है. बैल को खूंटे से बांधकर उसे उकसाने की प्रैक्टिस करवाई जाती है ताकि उसे गुस्सा आए और वो अपनी सींगो से वार करे.

खेल के शुरु होते ही पहले एक एक करके तीन बैलों को छोड़ा जाता है. ये गांव के सबसे बूढ़े बैल होते हैं. इन बैलों को कोई नहीं पकड़ता, ये बैल गांव की शान होते हैं और उसके बाद शुरु होता है जलीकट्टू का असली खेल. मुदरै में होने वाला ये खेल तीन दिन तक चलता है.
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