'कौआ के कोसने से ढोर नहीं मरता...', वक्फ बिल का विरोध करने वालों से ऐसा क्यों बोले कथावाचक अनिरुद्धाचार्य?
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को दोनों सदनों से पारित कर दिया गया है. कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने इसको लेकर कहा है कि वक्फ बिल पास होना अच्छी सूचना है, इससे गरीबों और मुसलमानों को न्याय मिलेगा.

Waqf Amendment Bill 2024: वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 अब लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पास हो चुका है. सरकार का कहना है कि यह कानून लोगों के हित में है, जबकि विपक्ष इसे लेकर लगातार सरकार पर सवाल उठा रहा है. कई विपक्षी नेताओं ने इस विधेयक का विरोध किया है. इसी बीच प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि यह सबके लिए अच्छी खबर है कि वक्फ बिल पास हो गया है. अब गरीबों और मुसलमानों को उनका हक मिलेगा और उन्हें न्याय भी मिलेगा.
अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि पहले वक्फ बोर्ड की ताकत कुछ गिने-चुने लोगों के हाथ में थी, लेकिन अब यह संपत्ति गरीबों तक भी पहुंचेगी और वे इसका लाभ ले पाएंगे. उन्होंने केंद्र सरकार को इसके लिए बधाई दी और कहा कि सरकार ने आम लोगों के लिए बहुत अच्छा काम किया है. उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, "जैसे कहावत है, 'कौआ के कोसने से ढोर नहीं मरता'... जो लोग पहले इस पद का गलत फायदा उठा रहे थे, अब जब उनके हाथ से वह ताकत चली गई तो वे नाराज हो गए. लेकिन वे भूल गए कि इससे हजारों लोगों को फायदा होगा." उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई कोर्ट जाना चाहता है तो जा सकता है, लेकिन जो काम सरकार ने किया है, वह देश के हित में है.
#WATCH | Mathura | On #WaqfAmendmentBill, Spiritual orator Aniruddhacharya says, "It's good that the bill has been passed, and now the poor Muslims will get their rights. Earlier, the power was just in the hands of a few people. The central government has done praiseworthy work… pic.twitter.com/fT8tHw3y04
— ANI (@ANI) April 5, 2025
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने जताई आपत्ति
वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस विधेयक पर नाराज़गी जताई है. बोर्ड ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से मिलने का समय मांगा है. बोर्ड का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों में सरकारी दखल देता है और मुसलमानों की धार्मिक आज़ादी पर असर डाल सकता है. उन्होंने इसे संविधान के खिलाफ बताया है, खासकर धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के अधिकारों के विरुद्ध. बोर्ड चाहता है कि राष्ट्रपति से मिलकर वे अपनी बात रख सकें.
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Source: IOCL























