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Explained: फिश नहीं चांदी! बांग्लादेश में मछलियों के लिए वॉरशिप तैनात, सरकार को डूबने से बचाएगी हिल्सा?

ABP Explainer: ORF की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश दुनिया के सबसे बड़े मछली उत्पादक देशों में से एक है. हिल्सा मछली इसका प्रमुख निर्यात उत्पाद है, जो वैश्विक आपूर्ति का 75% हिस्सा पूरा करता है.

बांग्लादेश में हिल्सा मछली को अवैध रूप से पकड़ने से बचाने के लिए सेना की तैनाती की गई है. न्यूज एजेंसी AFP के मुताबिक, इसके लिए 17 वॉरशिप, ड्रोन्स और गश्ती हेलिकॉप्टर तैनात किए गए. यानी मछलियों की हिफाजत किसी VVIP पर्सन से भी बढ़कर की जा रही है.

तो आइए ABP एक्सप्लेनर में समझते हैं कि हिल्सा मछली आखिर है क्या, इसकी हिफाजत सेना के जिम्मे क्यों और किन वजहों से यूनुस सरकार इन्हें खोना नहीं चाहती...

सवाल 1- हिल्सा फिश क्या है और यह कहां पाई जाती है?
जवाब- हिल्सा मछली को इलिश मछली भी कहा जाता है. यह चमकदार चांदी जैसी दिखने वाली समुद्री मछली है, जिसकी लंबाई आमतौर पर 50 सेंटीमीटर तक हो सकती है और वजह 3 किलोग्राम से ज्यादा. यह मछली समुद्र में, एस्टुअरीन (जहां नदी-समुद्र से मिलती है) और नदीयों में पाई जाती है. इसमें बहुत सारे छोटे कांटे होते हैं, जो इसे खाने में थोड़ा मुश्किल लेकिन लजीज बनाते हैं. हिल्सा को बंगाल में 'मछलियों की रानी' भी कहा जाता है, क्योंकि इसका स्वाद नमकीन-मीठा और मलाईदार होता है.

यह भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, मलेशिया और थाईलैंड समेत कई देशों में पाई जाती है. हिल्सा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है और इसे वहां पर ‘मां’ का दर्जा दिया गया है. हिल्सा हर साल प्रजनन के दौरान अंडे देने के लिए समुद्र (गर्म पानी) से नदियों (ठंडे पानी) की ओर लौटती है.

बांग्लादेश के ढाका में इसकी कीमत 2,800 से 3,000 टका यानी 2,050 से 2,200 रुपए प्रति किलोग्राम है.

यह भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, मलेशिया और थाईलैंड समेत कई देशों में पाई जाती है.
यह भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, मलेशिया और थाईलैंड समेत कई देशों में पाई जाती है.

सवाल 2- बांग्लादेश की सरकार ने इसकी हिफाजत के लिए क्या इंतजाम किए?
जवाब- बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने हिल्सा की हिफाजत के लिए 4 बड़े इंतजाम किए...

  1. 22-दिवसीय मछली पकड़ने पर प्रतिबंध: यूनुस सरकार ने 4 अक्टूबर से 25 अक्टूबर तक देशभऱ में हिल्सा पकड़ना, ले जाना, स्टोर करना, बेचना और मार्केटिंग करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया.
  2. नौसेना और वायुसेना की तैनाती: अवैध मछली पकड़ने से रोकने के लिए युद्धपोत, गश्ती हेलीकॉप्टर, पेट्रोलिंग व्हीकल और ड्रोन को 24 घंटे निगरानी पर लगाया. 17 युद्धपोत बंगाल की खाड़ी और नदी का समुद्र से मिलने वाली जगहों पर तैनात हैं.
  3. मछुआरों को मुआवजा: प्रतिबंध के दौरान हर मछुआरे परिवार को 25 किलोग्राम चावल मुफ्त दिया जा रहा है, ताकि उनका गुजारा हो सके. हालांकि, मछुआरे परिवार इससे खुश नहीं हैं. 60 वर्षीय मछुआरे सत्तार माझी ने AFP से कहा, 'तीन हफ्ते मछुआरों के लिए बहुत कठिन हैं, क्योंकि हमारे पास जीवनयापन का और कोई साधन नहीं है.'
  4. हिल्सा संरक्षण अभियान 2025: यह अभियान 2024 के सफल प्रयासों पर आधारित है, जिसमें चंद्रमा के चरणों को ध्यान में रखकर प्रजनन समय तय किया जाता है.

 

हिल्सा संरक्षण अभियान 2025 का उद्देश्य हिल्सा की घटती संख्या को रोकना है.
हिल्सा संरक्षण अभियान 2025 का उद्देश्य हिल्सा की घटती संख्या को रोकना है.

सवाल 3- बांग्लादेश सरकार इसे क्यों बचाना चाहती है, जिसके लिए आर्मी तैनात की?
जवाब- बांग्लादेश सरकार इस मछली को 3 बड़ी वजहों से बचाना चाहती है...

  1. राष्ट्रीय मछली और सांस्कृतिक महत्व: हिल्सा बांग्लादेश की राष्ट्रीय मछली है, जो देश की पहचान और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है. इसका संरक्षण राष्ट्रीय गौरव से जुड़ा है.
  2. आर्थिक मूल्य: ORF की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश दुनिया का सबसे बड़ा हिल्सा मछली उत्पादक देश है. दुनियाभर में मछली उत्पादन के मामले में तीसरे स्थान पर है. हिल्सा मछली इसका प्रमुख निर्यात उत्पाद है, जो वैश्विक आपूर्ति का लगभग 75% हिस्सा पूरा करता है. मछली पालन बांग्लादेश के जीडीपी में लगभग 3-4% योगदान देता है. बांग्लादेश के कुल मछली उत्पादन में हिल्सा की हिस्सेदारी 12 प्रतिशत है. यहां, हर साल 5.50 लाख से 6 लाख टन मछली पकड़ी जाती है, जिससे 5 लाख मछुआरों और इससे जुड़े उद्योगों में 20 लाख लोगों को आजीविका मिलती है. वित्तीय वर्ष 2023-2024 (FY24) में बांग्लादेश ने 71,477 टन मछली और मछली उत्पादों (जैसे झींगा, हिल्सा, अन्य समुद्री मछलियां) का निर्यात किया. इससे लगभग 4,376 करोड़ टका कमाए.
  3. प्रजनन संरक्षण: हिल्सा मछला का प्रजनन मौसम दक्षिण-पश्चिम मानसून यानी जुलाई से अक्टूबर और कभी-कभी जनवरी-मार्च में होता है. एक मादा हजारों अंडे देती है. अंडे से निकली छोटी मछलियां समुद्र लौटती हैं. यह 50-100 किलोमीटर या कभी 1200 किलोमीटर तक गंगा जैसी नदियों में चढ़ती हैं. भारतीय मछुआरे गंगा नदी और उसके डेल्टा के खारे पानी में मछली पकड़ते हैं, जिससे कोलकाता और पश्चिम बंगाल की जरूरतें पूरी होती हैं. लेकिन ज्यादा मछली पकड़ने से हिल्सा के प्रजनन के समय मछली का स्टॉक कम हो सकता है. ऐसे में प्रजनन के समय मछली पकड़ने पर रोक लगाई जाती है.

सवाल 4- क्या बांग्लादेश सरकार भारत को हिल्सा मछली देती है?
जवाब- हां. बांग्लादेश ने भारत को हिल्सा मछली देने के लिए 'हिल्सा डिप्लोमैसी' बनाई, जो दोनों देशों के बीच एक अनौपचारिक कूटनीतिक रणनीति है. इसमें बांग्लादेश अपनी राष्ट्रीय मछली हिल्सा भारत को निर्यात करता है, ताकि द्विपक्षीय संबंध मजबूत हों. यह मुख्य रूप से दुर्गा पूजा जैसे बंगाली त्योहारों के दौरान किया जाता है, जब पश्चिम बंगाल में हिल्सा की मांग चरम पर होती है. इस वजह से यह निर्यात सांस्कृतिक, आर्थिक और कूटनीतिक पुल का काम करता है.

यह परंपरा 1996 में तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गंगा जल-बंटवारे संधि से पहले शुरू की थी, जब उन्होंने पश्चिम बंगाल की पूर्व सीएम ज्योति बसु को तोहफे में हिल्सा मछलियां भेजी थीं. 2012 में शेख हसीना ने 'हिल्सा डिप्लोमैसी' को औपचारिक रूप दिया. ORF के मुताबिक, बांग्लादेश ने भारत को 2019 में 500 टन, 2020-2022 में 1,200 टन और 2023 में 5,000 टन हिल्सा निर्यात की. 2024 में बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद यूनुस सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया. लेकिन अब 2025 में 1,200 टन हिल्सा मछली निर्यात करने की मंजूरी दी है.

ज़ाहिद अहमद इस वक्त ABP न्यूज में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर (एबीपी लाइव- हिंदी) अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इससे पहले दो अलग-अलग संस्थानों में भी उन्होंने अपनी सेवाएं दी. जहां वे 5 साल से ज्यादा वक्त तक एजुकेशन डेस्क और ओरिजिनल सेक्शन की एक्सप्लेनर टीम में बतौर सीनियर सब एडिटर काम किया. वे बतौर असिस्टेंट प्रोड्यूसर आउटपुट डेस्क, बुलेटिन प्रोड्यूसिंग और बॉलीवुड सेक्शन को भी लीड कर चुके हैं. ज़ाहिद देश-विदेश, राजनीति, भेदभाव, एंटरटेनमेंट, बिजनेस, एजुकेशन और चुनाव जैसे सभी मुद्दों को हल करने में रूचि रखते हैं.

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