Mohini Ekadashi 2021 Date: मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त और व्रत कथा, चंद्रमा को गोचर कन्या राशि में होगा
Mohini Ekadashi 2021 Vrat Date Shubh Muhurat: मोहिनी एकादशी व्रत पंचांग के अनुसार 23 मई रविवार को रखा जाएगा. इस दिन ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति से विशेष संयोग भी बन रहे हैं. जो एकादशी व्रत के महत्व को बढ़ाते हैं.
Mohini Ekadashi Significance: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. शास्त्रों में एकादशी का व्रत सभी व्रतों में कठिन बताया गया है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना की जाती है. माना जाता है कि एकादशी का व्रत जीवन में आने वाली कठिनाइयों को दूर करता है. यह व्रत सभी प्रकार की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है. इस व्रत को विधि पूर्वक करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है.
मोहिनी एकादशी कब है?
पंचांग के अनुसार 23 मई 2021 रविवार को वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है. इस एकादशी की तिथि को मोहिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज को बताया था एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी व्रत का वर्णन महाभारत काल में भी मिलता है. पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं धर्मराज युधिष्ठिर और अर्जुन को एकादशी के महत्व के बारे में बताया था. भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर ही युधिष्ठिर ने इस व्रत को विधि पूर्वक पूर्ण किया था.
मोहिनी एकादशी व्रत की पूजन विधि
22 मई 2021 से एकादशी की तिथि का आरंभ होगा. एकादशी का व्रत 23 मई को रखा जाएगा. एकादशी व्रत में नियम और अनुशासन का विशेष महत्व बताया गया है. इसलिए इनका गंभीरता से पालन करना चाहिए. एकादशी व्रत में सुबह स्नान करने के बाद पूजा आरंभ करनी चाहिए. एकादशी के व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान विष्णु की प्रिय चीजों को भोग लगाना चाहिए. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी की तिथि में करना चाहिए.
शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि प्रारम्भ: 22 मई 2021 को 09 : 15 ए एम बजे से.
एकादशी तिथि समाप्त: 23 मई 2021 को 06 : 42 ए एम बजे तक.
पंचांग 23 मई 2021
नक्षत्र: हस्त
चंद्रमा: कन्या राशि
योग: सिद्ध
राहु काल: 17:26:26 से 19:09:17 तक
शुभ मुहूर्त-अभिजीत मुहूर्त: 11:50:29 से 12:45:20 तक
मोहिनी एकादशी व्रत कथा
मोहिनी एकादशी की कथा देवताओं और असुरों के मध्य हुए समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है. समुद्र मंथन से जब अमृत कलश की प्राप्ति हुई तो देवताओं और असुरों में अमृत कलश को लेकर विवाद आरंभ हो गया. तब स्वयं भगवान विष्णु ने इस विवाद को हल करने के लिए मोहिनी रूप धारण किया. मोहिनी का रूप धारण कर भगवान विष्णु ने असुरों को अपने मोह में फांसा लिया और अमृत देवताओं को पिला दिया, जिससे देवताओं को अमरत्व प्राप्त हुआ. इस कारण ही इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा गया.
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