Ajmer Urs 2025: अजमेर दरगाह में ख्वाजा गरीब नवाज का 814वां उर्स 17 दिसंबर से शुरू
Ajmer Dargah Urs 2025: अजमेर में स्थित हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगार में 814वां उर्स 17 दिसंबर 2025 से शुरू हो रहा है. पंरपरा के मुताबिक झंडा चढ़ाने की रस्म के बाद उर्स की शुरुआत हो जाएगी.

Ajmer Dargah Urs 2025: राजस्थान में अजमेर शरीफ में हर साल आयोजित होने वाले ‘उर्स’ को ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है. हर साल रजब का चांद दिखने के बाद अजमेर में उर्स का आगाज होता है.
इस साल 2025 में 814वां उर्स (814th Urs) मनाया जाएगा, जिसकी शुरुआत 17 दिसंबर 2025 से हो रही है. इस मौके पर दुनियाभर से आए जायरीन हजरत ख्वाजा गरीब नवाज के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं.
अजमेर में उर्स 2025 की तारीख
राजस्थान के अजमेर शरीफ में उर्स का आयोजन हर साल इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) के अनुसार, रजब के महीने मनाया जाता है. रजब का चांद नजर आने के बाद उर्स की शुरुआत होती है. यदि किसी कारण चांद दिखाई नहीं देता है तो अगले दिन से छह दिनों तक उर्स की रस्में चलती हैं. छठे दिन को उर्स-ए-छठी शरीफ के नाम से जाना जाता है.
वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार, उर्स की शुरुआत झंडा चढ़ाने (परचम कुशाई) की रस्म के साथ होती है. बुलंद दरवाजे पर झंडा चढ़ाने के बाद उर्स की औपचारिक रूप से शुरुआत हो जाती है. झंडा चढ़ाने की रस्म भीलवाड़ा के गौरी परिवार द्वारा अदा की जाती है. साल 1944 से लेकर अब तक भीलवाड़ा का गौरी परिवार अजमेर उर्स में झंडे की रस्म अदा कर रहा है.
इस साल 2025 में अमजेर दरगाह में 814वां उर्स मनाया जाएगा, जिसकी शुरुआत 17 दिसंबर 2025 से होगी और 30 दिसंबर 2025 तक चलेगा. इस दौरान देश-विदेश से लाखों की संख्या में जायरीन शामिल होते हैं, दरगाह में रातभार महफिल-ए-समाअ, जिक्र, कव्वाली, चादर पेशा, लंगर और किस्मती दुआ जैसी कई रस्में अदा की जाती हैं.
कब खुलेगा जन्नती दरवाजा
उर्स के मौके पर पूरे 6 दिनों के लिए जन्नती दरवाजा (Jannat Door) खोला जाता है. 21 दिसंबर को चांद रात की रस्म के बाद जायरीनों के लिए जन्नती दरवाजे को खोल दिया जाएगा. अगर किसी कारण 21 दिसंबर 2025 को चांद का दीदार नहीं हो पाता तो अगले दिन 22 दिसंबर 2025 को जन्नती दरवाजा खोला जाएगा.
जायरीनों के लिए यह मौका बहुत खास होता है. ऐसा माना जाता है कि, इस दरवाज़े से गुजरने पर इंसान की दुआ कुबूल होती है, उसे रूहानी बरकत और जन्नत हासिल होती है. इसलिए लोगों को इस दरवाजे के भीतर प्रवेश करने का इंतजार रहता है.
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