RS 84,000 Chappals: इस कंपनी ने बाजार में उतारी 84000 रुपये की चप्पल, जानें इसमें क्या है खास?
Luxury Kolhapuri Footwear: कोल्हापुरी चप्पलों की अपनी खास पहचान है, अब प्राडा ने इसको 84 हजार की कीमत पर लॉन्च किया है. चलिए आपको बताते हैं कि इसकी खासियत क्या है.

Traditional Kolhapuri Craftsmanship: इटली का लग्जरी ब्रांड प्राडा अब भारतीय "कोल्हापुरी चप्पल" को ग्लोबल फैशन की हाई-स्ट्रीट पर ले गया है. कंपनी ने महाराष्ट्र और कर्नाटक के कारीगरों के साथ मिलकर लगभग 2,000 जोड़ी लिमिटेड-एडिशन कोल्हापुरी चप्पल बनाने के लिए बड़ा करार किया है. खास बात यह है कि इन चप्पलों की कीमत लगभग 800 यूरो (करीब 84,000 रुपये) रखी गई है, जिससे ये दुनिया भर में चर्चा का विषय बन चुकी हैं.
लग्जरी कनेक्शन की तैयारी
प्राडा ने कहा कि यह कलेक्शन भारतीय परंपरा को मॉडर्न लग्जरी के साथ जोड़ने का एक खास प्रयास है. यानी हमारे यहां की पारंपरिक टेक्निक को प्राडा अपनी प्रीमियम क्वालिटी और मॉडर्न डिज़ाइन के साथ पेश करेगा. कारीगरों के मुताबिक, इससे न सिर्फ कोल्हापुरी चप्पल का ग्लोबल स्तर पर मूल्य बढ़ेगा, बल्कि स्थानीय कलाकारों को भी अपनी कला दिखाने का बड़ा मौका मिलेगा. प्राडा स्थानीय इंडस्ट्री बॉडीज के साथ मिलकर कारीगरों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाएगा. इन चप्पलों की बिक्री प्राडा के 40 इंटरनेशनल स्टोर्स और उनकी वेबसाइट पर फरवरी से शुरू होगी. दिलचस्प बात यह है कि प्राडा का भारत में कोई ऑफिशियल फैशन स्टोर नहीं है, इसलिए यह खास चप्पल खरीदने के लिए ग्राहकों को विदेश जाना पड़ेगा.
वहीं कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल का कहना है कि आने वाले समय में कोल्हापुरी चप्पलों का 1 बिलियन डॉलर तक एक्सपोर्ट संभव है और प्राडाका यह कदम उस दिशा में बड़ी शुरुआत साबित हो सकता है.
एक पुरानी कला को फिर से जिंदगी देने की कोशिश
कोल्हापुरी चप्पलें अपने शानदार हैंड-टूल्ड लेदर, मजबूती और पारंपरिक डिजाइन के लिए जानी जाती हैं. ये चप्पलें महाराष्ट्र के कोल्हापुर और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में पीढ़ियों से बनती आ रही हैं. मगर हाल के वर्षों में नकली, मशीन-निर्मित चप्पलों की भरमार और नई पीढ़ी की कम होती रुचि के कारण यह कला धीरे-धीरे खत्म होने लगी थी. प्राडा की भागीदारी इस पुराने हुनर को नया जीवन देने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
हर तरफ कीमत की चर्चा
सबसे ज्यादा चर्चा इसी बात की हो रही है कि हर जोड़ी की कीमत करीब 930 डॉलर, यानी लगभग 84,000 रखी गई है रुपये. प्राडा सिर्फ 2,000 जोड़ी ही बनाएगी, इसलिए यह कलेक्शन बेहद लिमिटेड रहेगा. यह कीमत पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलों से कई गुना ज्यादा है, जो आमतौर पर कुछ हजार रुपये में मिल जाती हैं और अपनी सादगी, मजबूती और किफायत के लिए मशहूर हैं.
पारंपरिक कोल्हापुरी चप्पलें खास क्यों होती हैं?
असली, GI-टैग वाली कोल्हापुरी चप्पलें महाराष्ट्र और कर्नाटक के आठ जिलों में बनती हैं. ये पीढ़ियों से एक ही तरह की तकनीक से तैयार होती हैं, पूरी तरह हैंडमेड, वेजिटेबल-टैंड लेदर से बनी, और खास तरह की चोटीदार डिजाइन तथा टो-लूप वाली पहचान के साथ. GI टैग यह सुनिश्चित करता है कि चप्पलें उसी क्षेत्र में पारंपरिक तरीकों से बनाई जाएं, ताकि उनकी असली पहचान और गुणवत्ता सुरक्षित रहे.
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