इस शख्स ने की थी टॉयलेट डे की शुरुआत, इसी दिन मनाने लगा था अपना बर्थडे
वर्ल्ड टॉयलेट डे की शुरुआत साल 2001 में सिंगापुर के सोशल वर्कर जैक सिम ने की थी. जैक सिम ने वर्ल्ड टॉयलेट आर्गेनाइजेशन की स्थापना की और 19 नवंबर को वर्ल्ड टॉयलेट डे घोषित किया था.

कल यानी 19 नवंबर को वर्ल्ड टॉयलेट डे मनाया जाएगा. यह दिन हर साल लोगों में यह जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है कि स्वच्छता केवल एक सुविधा नहीं बल्कि लोगों का बुनियादी अधिकार है. वहीं आज भी दुनिया भर में करोड़ों लोगों को साफ और सुरक्षित टॉयलेट नहीं मिल पाया है. जिसके कारण बीमारियां, संक्रमण और पर्यावरण प्रदूषण की गंभीर समस्याएं बढ़ती है. इसी जागरूकता को फैलाने के लिए यह दिन मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर वर्ल्ड टॉयलेट डे की शुरुआत किसने की थी. अगर नहीं जानते तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर वर्ल्ड टॉयलेट डे की शुरुआत किस शख्स ने की थी और वह टॉयलेट डे के दिन ही अपना बर्थडे क्यों मानने लगा था
किसने की वर्ल्ड टॉयलेट डे की शुरुआत?
वर्ल्ड टॉयलेट डे की शुरुआत साल 2001 में सिंगापुर के सोशल वर्कर जैक सिम ने की थी. जैक सिम ने वर्ल्ड टॉयलेट आर्गेनाइजेशन की स्थापना की और 19 नवंबर को वर्ल्ड टॉयलेट डे घोषित किया था. जैक सिम ने टॉयलेट को लेकर दुनिया में मौजूद सामाजिक झिझक को तोड़ने की कोशिश की थी. वहीं लोगों को खुले तौर पर टॉयलेट, साफ सफाई और सेनिटेशन पर बात करने के लिए प्रेरित किया था. सबसे दिलचस्प बात यह थी कि जैक सिम ने अपना जन्मदिन भी 19 नवंबर को ही मनाना शुरू कर दिया था, ताकि लोग इस दिन की महत्ता को समझें और इससे जुड़ें. जैक सिम के टॉयलेट डे की शुरुआत के बाद 2007 में Sustainable Sanitation Alliance ने भी वर्ल्ड टॉयलेट ऑर्गेनाइजेशन के अभियान का समर्थन किया. इसके बाद यह पहल विश्व स्तर पर तेजी से फैलने लगी थी.
संयुक्त राष्ट्र ने कब दी थी मान्यता?
2010 में संयुक्त राष्ट्र ने पानी और साफ-सफाई को बुनियादी मानव अधिकार घोषित किया था. इसके बाद 2013 में UN General Assembly ने वर्ल्ड टॉयलेट डे को आधिकारिक तौर पर इंटरनेशनल डे घोषित कर दिया था. वहीं आज 122 से ज्यादा देश वर्ल्ड टॉयलेट डे को सेलिब्रेट करते हैं और 19 नवंबर को साफ-सफाई के मुद्दे पर कई कार्यक्रम भी आयोजित करते हैं.
भारत में क्यों खास है यह दिन?
भारत में लंबे समय तक साफ-सफाई एक गंभीर समस्या रही है. 2011 की जनगणना के अनुसार ग्रामीण भारत के 67 प्रतिशत लोग और शहरी क्षेत्र में 13 प्रतिशत लोग खुले में शौच जाते थे. हालांकि आज इस स्थिति में काफी सुधार हुआ है. लेकिन फिर भी देश में कई जगहों पर आज भी साफ, सुरक्षित और प्राइवेट टॉयलेट की जरूरत अभी भी बनी हुई है. वहीं स्वच्छ भारत अभियान के बाद भारत में टॉयलेट को लेकर जागरूकता बढ़ी, लेकिन यह समस्या अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है. इसलिए टॉयलेट डे का महत्व भारत में भी बहुत जरूरी माना जाता है. वहीं टॉयलेट डे के दिन सरकार कई जगहों पर जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित कराती है.
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Source: IOCL






















