दुनिया का सबसे महंगा नारियल कौन-सा? साइज इतना बड़ा कि देखकर लगेगा डर
कोको डे मेर यानी डबल कोकोनट दुनिया का सबसे महंगा और विशाल नारियल है, जो सिर्फ सेशेल्स द्वीपों पर पाया जाता है. इसका वजन 25 से 40 किलो तक हो सकता है और कीमत लाखों में पहुंच जाती है.

2 सितंबर को वर्ल्ड कोकोनट डे मनाया जा रहा है. आमतौर पर हम जिस नारियल को जानते हैं वह सेहत और स्वाद दोनों के लिए खास होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया में एक ऐसा नारियल भी है, जिसकी कीमत लाखों रुपये तक पहुंच जाती है. इसका साइज देखकर लोग दंग रह जाते हैं. इसे कोको डे मेर के नाम से जाना जाता है जिसे डबल कोकोनट भी कहा जाता है.
25 किलो तक वजनी नारियल
हिंद महासागर में बसे खूबसूरत सेशेल्स द्वीपसमूह पर उगने वाला यह पाम ट्री पूरी दुनिया का सबसे बड़ा और भारी बीज देता है. इसका वजन औसतन 25 किलो होता है, जबकि कुछ मामलों में यह 40 किलो से भी ज्यादा पहुंच सकता है. इसकी लंबाई आधे मीटर तक हो सकती है.
लाखों में बिकता है एक नारियल
कोको डे मेर की कीमत भी इसके आकार जितनी ही बड़ी है. एक फल की कीमत आज की तारीख में 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक हो सकती है. यह इतना महंगा इसीलिए है क्योंकि यह केवल सेशेल्स की कुछ ही द्वीपों पर उगता है. यही वजह है कि इससे आईयूसीएन की रेड लिस्ट में Endangered Species यानी संकटग्रस्त बातचीत प्रजाति में शामिल किया गया है.
नारियल का है रहस्यमयी इतिहास
यूरोपीय नाविकों ने 15वीं शताब्दी में जब पहली बार इस नारियल को देखा तो वे मान बैठे की यह समुद्र की गहराइयों से निकलता है. लंबे समय तक लोगों को लगता रहा कि यह कोई समुद्री खजाना है जो लहरों के जरिए किनारों पर आ जाता है. पुर्तगाली नाविक इसे मालदीव का नारियल कहते थे. बाद में वह फ्रांसीसी और ब्रिटिश खोजकर्ताओं ने 18 वीं सदी में जाकर इसका असली रहस्य उजागर किया कि यह वास्तव में सेशेल्स का ही फल है. सदियों तक कोक डे मेर को लेकर तरह-तरह की कहानियां प्रचलित रहीं. कभी इसे जादुई औषधि माना गया तो कभी जन्नत का फल. कहा जाता था कि इसके चूर्ण से बुखार और अस्थमा तक ठीक हो सकता है, जबकि ब्रिटिश प्रशासक चार्ल्स गार्डन ने तो इसे बाइबल का निषिध्द फल तक कह दिया था.
अब रह गए हैं केवल 8000 पेड़
विशालकाय नारियल सेशेल्स का राष्ट्रीय प्रतीक है. इसके पेड़ों की संख्या मात्र 8,000 के आसपास रह गई है और इन्हें बचाने के लिए सरकार कड़े नियम लागू करती है. बीजों की निगरानी होती है, कई बार चोरी से बचाने के लिए इन्हें लोहे के पिंजरों में रखा जाता है.
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Source: IOCL
























