पाकिस्तान की कैद से लौटे BSF जवान की क्या चली जाएगी नौकरी? ये है प्रोटोकॉल
BSF Jawan Return: गलती से पाकिस्तान पहुंच गए बीएसएफ के जवान को 20 दिन के बाद पाकिस्तान ने छोड़ दिया है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या उस जवान की नौकरी अब चली जाएगी, या फिर उसके लिए क्या प्रोटोकॉल है.

BSF Jawan Return: भारत और पाकिस्तान के बीच हुए तनाव के दरमियान बीएसएफल जवान पीके शॉ गलती से बॉर्डर क्रॉस करके पाकिस्तान चले गए थे. 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के अगले दिन 23 अप्रैल को उन्होंने बॉर्डर क्रॉस किया था और पाकिस्तानी रेंजर्स ने उनको अपनी हिरासत में ले लिया था. इसके करीब 20 दिन के बाद पड़ोसी मुल्क ने उनको अटारी वाघा बॉर्डर से भारत भेज दिया है. लेकिन गलती से बॉर्डर क्रॉस कर जाने वाले सैनिक के भारत वापस आने के बाद क्या प्रोटोकॉल होते हैं. क्या उनको अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. चलिए इस बारे में जानें.
अभिनंदन के वक्त भारत ने किन प्रोटोकॉल्स को किया था फॉलो
गलती से बॉर्डर क्रॉस कर गए सेना के जवान के लिए भारत वापस आने पर उसे कुछ प्रोटोकॉल्स फॉलो करने पड़ते हैं. इसे विंग कमांडर अभिनंदन के उदाहरण के जरिए समझ सकते हैं कि जैसे कि जब बालाकोट एयरस्ट्राइक के दौरान पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमान को मारते हुए मिग-21 भारत लौट रहा था, उस वक्त विंग कमांडर जिस मिग-21 को उड़ा रहे थे, वह क्रैश हो गया था. यह विमान पाकिस्तानी सीमा से 10-12 किलोमीटर अंदर जाकर गिरा था. तब पाकिस्तानी सेना ने उनको बंदी बना लिया था.
कुछ वक्त के लिए ग्राउंडेड कर दिया जाता है सोल्जर
भारत सरकार ने उनकी वतन वापसी के लिए बहुत प्रयास किए तब जाकर विंग कमांडर अभिनंदन को पाकिस्तान ने पूरे सम्मान के साथ भारत को सौंपा था. लेकिन क्या अपने देश वापस आने के बाद तुरंत उनको फिर से ड्यूटी पर कमान सौंपकर जहाज उड़ाने के लिए रजामंदी दे दी गई थी. इसका जवाब है नहीं. ऐसा नहीं होता है. कुछ समय के लिए उस जवान को ग्राउंडेड कर दिया जाता है. प्रोटोकॉल कहता है कि सामान्य तौर पर जब एक पायलट विमान से बाहर की ओर कूदता है तो सुरक्षा प्रोटोकॉल के मद्देनजर कुछ वक्त के लिए उनको ग्राउंडेड कर दिया जाता है.
नहीं छीनी जाती है नौकरी
इस तरीके की घटना के बाद पाकिस्तान से लौटे किसी जवान की नौकरी नहीं छिनती है, लेकिन कुछ दिन के लिए उनको किसी ऑपरेशन में नहीं रखा जाता है. ऐसा उनकी सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के लिहाज से किया जाता है. ताकि जब वे पूरी तरह से शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक हो जाएं तब अपनी ड्यूटी पर वापस आ सकते हैं. लेकिन पड़ोसी मुल्क में फंसने के बाद अपने देश में लौटने पर तुरंत उनको ड्यूटी पर नहीं बुलाया जाता है.
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