जानवरों के साथ 'गंदा काम' करने पर भारत में क्या मिलती है सजा, जानिए कितना सख्त है कानून?
इंसानों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण के खिलाफ हर देश में कानून हैं, लेकिन जानवरों के खिलाफ होने वाले यौन शोषण के खिलाफ कई देशों में कोई कठोर कानून नहीं है. चलिए जानते हैं इसके बारे में.

जानवर इंसान की तरह बोल नहीं सकते, न अपनी तकलीफ कह सकते हैं और इसी मजबूरी का फायदा कुछ लोग बेहद घिनौने तरीके से उठाते हैं. जानवरों के साथ यौन शोषण यानी ‘बेस्टियालिटी’ (Bestiality) जैसे अपराध को लेकर अक्सर लोग ये सवाल पूछते हैं कि क्या भारत में इसके लिए कोई सख्त कानून है? क्या ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा दी जाती है. चलिए जानते हैं कि जानवरों के साथ यौन अपराध को लेकर भारत में क्या कानून है.
भारत में जानवरों के खिलाफ यौन अपराध
फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन ऑर्गेनाइजेशन की तरफ से पशुओं के यौन अपराधों और क्रूरता को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में 2 याचिकाएं दायर की गई हैं. इन याचिकाओं में संविधान के अनुच्छेद 14, 21, 48A और 51A(g) का हवाला दिया गया है और इसमें पशुओं को एक संवेदनशील प्राणी बताते हुए उनके अधिकारों की रक्षा की मांग की गई है.
आपको बता दें कि दिल्ली के शाहदारा में एक इंसान को कई कुत्तों के साथ यौन शोषण के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. दिल्ली के साकेत में एक कुत्ते के निजी अंग में कंडोम मिला था कोयंबटूर में भी एक व्यक्ति को कुत्ते का यौन शोषण करते हुए पकड़ा गया. भारत में लोग जानवरों के खिलाफ हुए यौन शोषण को बहुत सीरियस नहीं लेते जब तक इस तरह के मामले में बड़ा विरोध न हो.
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, साल 2019 से 2022 के बीच 1 हजार के आसपास मामले धारा-377 में दर्ज हुए थे हालांकि इनमें से कितने जानवरों के साथ हुए यौन शोषण से जुड़े हैं इसके बारे में बता पाना मुश्किल है.
भारत में कानून
भारत में वर्तमान समय में जानवरों के यौन शोषण को लेकर कोई कठोर दंड देने वाला कानून नहीं है. ब्रिटिश शासन के दौरान साल 1860 में IPC धारा- 377 के तहत इसको अपराध माना जाता था और इसके खिलाफ केस दर्ज होते थे. साल 2018 में इसे सुप्रीम कोर्ट ने कुछ हद तक रद्द कर दिया था, जिसे भारतीय न्याय सहिंता के दौरान पूरी तरह से हटा दिया गया और इस तरह वर्तमान में भारत के अंदर ऐसा कोई कानून नहीं है जिसके तहत पशुओं के खिलाफ होने वाले यौन शोषण को दर्ज किया जा सके.
हालांकि आज भी पाकिस्तान और बांग्लादेश में अंग्रेजों के जमाने में शुरू किए IPC धारा- 377 को लागू किया गया है. भारत सरकार ने साल 2022 में पशु क्रूरता कानून में यौन हिंसा की परिभाषा को जोड़ते हुए एक मसौदा तैयार किया था हालांकि आज तक इसको संसद में पेश नहीं किया गया.
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