इंसानी खोपड़ी का सूप पीने वाला नरभक्षी, मिली उम्रकैद की सजा; जानिए कौन है राजा कोलंदर?
राजा कोलंदर सिर्फ एक नाम नहीं था, बल्कि हैवानियत और आतंक का दूसरा नाम है, जिसने पूरी मानवता को झकझोर कर दिया था. 25 साल बाद उस नरभक्षी को उम्रकैद की सजा मिली है. चलिए आपको उसके बारे में बताते हैं.

अगर आप किसी ऐसे इंसान के बारे में सुनते हैं जो इंसान की खोपड़ी का सूप बनाकर पीता हो तो आपको सुनकर कैसे लगेगा? आप जब इस तरह के मामले सुनेंगे तो आपके मुंह से निकलेगा कि 'ये कोई नरभक्षी है क्या?'. इसका जवाब है हां. लखनऊ की एक अदालत ने इंसान को मारकर उसकी खोपड़ी का सूप पीने वाले नरभक्षी राम निरंजन कोल उर्फ राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा दी है. उसको सजा साल 2000 में हुए डबल मर्डर केस में दी गई है.
इस मामले में हुआ कुछ ऐसा था कि लखनऊ के चारबाग रेलवे स्टेशन पर टैक्सी चलाने वाले 22 वर्षीय मनोज कुमार सिंह और उनके साथ रवि श्रीवास्तव का अपहरण किया जाता है और बाद में उनकी हत्या करके उनकी खोपड़ी को उबालकर उसका सूप पी लिया जाता है. इस मामले में राजा कोलंदर और उसके साथी बच्छराज कोल पर मुकदमा किया जाता है और उनको दोषी ठहराया जाता है. अब राजा कोलंदर को उम्र कैद की सजा दी गई है.
क्या करता था राजा कोलंदर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राजा कोलंदर उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का रहने वाला था. उसकी असली नाम राम निरंजन कोल था. रिपोर्ट्स के अनुसार, वह प्रयागराज के नैनी में स्थित केंद्रीय आयुध भंडार छिवकी में काम किया करता था. वह ब्याज पर रुपये देने का काम करता था. इस पहचान के अलावा उसके पास एक पहचान राजनीतिक थी. वह राजनीति में काफी सक्रिए था और उसका परिणाम यह था कि उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य चुनी गई. उसने अपनी इसी पहचान के दम पर खूब पैसा बनाया और पैसे की इसी पावर ने उसे लोगों के बीच राजा नाम की छवि दिलाई और लोग उसे राजा कहने लगे, इस तरह राम निरंजन कोल राजा कोलंदर बन गया.
बेटी का नाम आंदोलन और बेटा- अदालत
नरभक्षी राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन कोल से जब पुलिस ने पूछताछ की थी कि तो उसने बताया था कि वह लोगों को मारकर उसके शव को पिपरी स्थित फर्म हाऊस लाता था और वहीं उनकी खोपड़ी का सूप बनाकर पी जाता था. इस फार्म हाऊस से काफी मात्रा में नरमुंड बरामद हुए थे. उसके इस दरिंदगी के ऊपर नेटफिलिक्स पर डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है. एक समय में वह केंद्र सरकार का कर्मचारी था. उसने अपने बेटी का नाम आंदोलन और बेटे का नाम अदालत रखा था और पत्नी का नाम फूलन देवी रखा था.
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