Putin India Visit: कितने तरीके के हथियार खुद चला लेते हैं व्लादिमीर पुतिन, कौन देता है उन्हें ट्रेनिंग?
Putin India Visit: पुतिन कौन से हथियार चलाते हैं या नहीं यह रहस्य अब भी धुंध में लिपटा है, पर इतना तय है कि रूस की हर बड़ी सैन्य चाल पर उनका नाम अदृश्य स्याही से दर्ज रहता है.

Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 और 5 दिसंबर 2025 को दो दिन की सरकारी यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचने वाले हैं. उनका यह दौरा बेहद खास होने वाला है और इस दौरे पर सभी की नजर रहेगी. ट्रंप से लेकर अन्य दूसरे बड़े देश सभी यह देखना चाह रहे हैं कि आखिर पुतिन भारत में ऐसा क्या खास करने वाले हैं. इसी क्रम में आज हम आपको यह बताते हैं कि आखिर पुतिन खुद कितने तरीके के हथियार चलाने का हुनर जानते हैं.
युद्ध का रुख बदल सकते हैं पुतिन
रूस की सत्ता के केंद्र में बैठा एक नेता, जिसकी एक आवाज युद्ध का रुख बदल सकती है, जिसकी एक घोषणा दुनिया की कूटनीतिक धड़कनें तेज कर देती है, उनका नाम है व्लादिमीर पुतिन. उनके हथियारों के प्रति लगाव पर कई अंतरराष्ट्रीय मंचों में चर्चा होती रही है, लेकिन असल सवाल वहीं अटका रहता है कि क्या पुतिन वाकई हथियार चलाना जानते हैं, और अगर हां, तो कितने प्रकार के? और उनसे ज्यादा दिलचस्प प्रश्न यह है कि उन्हें यह ट्रेनिंग देता कौन है?
कौन से हथियार चला लेते हैं पुतिन
पुतिन की शुरुआती पृष्ठभूमि हमें संकेत जरूर देती है. 1975 में केजीबी में भर्ती होने के बाद उन्होंने खुफिया सेवा में 16 लंबे साल बिताए. इस दौरान वे ऐसे माहौल में रहे जहां हथियार चलाना, आत्मरक्षा तकनीकें और सामरिक तौर-तरीके रोजमर्रा की चीज थीं. हालांकि, दस्तावेजों में कहीं भी यह साफ तौर पर दर्ज नहीं है कि उन्होंने किस स्तर की हथियार विशेषज्ञता हासिल की. उनके पुराने सहयोगियों का भी कहना है कि पुतिन का मजबूत पक्ष शारीरिक प्रशिक्षण और मानसिक तैयारी थी, न कि एक पेशेवर सैनिक की तरह भारी हथियार चलाना.
राइफल के साथ सामने आई हैं पुतिन की तस्वीरें
फिर भी कभी-कभार सामने आने वाली उनकी तस्वीरें जैसे- राइफल के साथ, जंगलों में घुड़सवारी पर या सैन्य अभ्यास का निरीक्षण करते हुए, दुनिया में यह छवि जरूर बनाती हैं कि वे एक ऐसे नेता हैं जो आधुनिक हथियारों से परिचित हैं और कम से कम स्तर पर उनकी कार्यप्रणाली को समझते हैं. रूस में ऐसे नेता की छवि जनता में विश्वास पैदा करती है, और पुतिन इस मनोविज्ञान को अच्छे से जानते भी हैं, लेकिन बात जब ऑपरेशनल हथियार उपयोग की आती है, तो उनकी भूमिका अलग हो जाती है.
कौन चलाता है बड़े-बड़े हथियार
रूस की आधुनिक सैन्य तकनीक में जिस तेजी से बदलाव आया है, उसमें पुतिन की सक्रिय निगरानी तो स्पष्ट रूप से मौजूद दिखती है, लेकिन यह कहना कि वे खुद इन अत्याधुनिक हथियारों को चलाते हैं, इस दावे का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता है. चाहे Burevestnik जैसी परमाणु-संचालित मिसाइल हो या Poseidon जैसी समुद्र के भीतर चलने वाली मानव-रहित परमाणु ड्रोन टॉरपीडो इन हथियारों का संचालन बेहद विशेषज्ञ टीमों और वर्षों की तकनीकी ट्रेनिंग से जुड़े दलों के हाथ में होता है. किसी राजनीतिक नेता द्वारा इनका ‘खुद’ संचालन करना न तो संभव है और न ही व्यवहारिक है.
कहां से मिलती है ट्रेनिंग
जहां तक ट्रेनिंग की बात है, रूस के राष्ट्रपति की सुरक्षा और विशेष सेवाओं की जिम्मेदारी FSO (Federal Protective Service) और सेना की स्पेशल ऑपरेशन यूनिट्स के पास रहती है. पुतिन को उनकी सुरक्षा के अनुरूप हथियारों की बुनियादी जानकारी और उपयोग के प्राथमिक मानक सिखाए जाते हैं जितना किसी राष्ट्राध्यक्ष को जानना चाहिए. लेकिन यह ट्रेनिंग उन्हें फ्रंटलाइन फाइटर नहीं बनाती, बल्कि आत्मरक्षा और संकट-स्थिति में प्रबंधन की तैयारी भर करती है.
रूस की सैन्य रणनीति में पुतिन की पकड़
इसके बावजूद रूस की सैन्य रणनीति में पुतिन की पकड़ बेहद कसी हुई मानी जाती है. पश्चिमी खुफिया एजेंसियों की कई रिपोर्टें दावा करती हैं कि पुतिन यूक्रेन युद्ध के दौरान रणनीतिक और कुछ टैक्टिकल फैसलों में सीधे हस्तक्षेप करते रहे. इसका यह अर्थ तो नहीं कि वे बंदूक संभाले खड़े थे, पर इतना जरूर है कि वे युद्ध के हर ऑपरेशन की रीढ़ बन चुके थे. उनके राजनीतिक और सैन्य निर्णयों का प्रभाव इतना गहरा था कि मैदान में उतरने वाले सैनिक भी कभी-कभी इसे "कमान्डर-इन-चीफ की सीधी छाया" कहते थे.
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Source: IOCL























