ये हैं नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाले सबसे विवादित चेहरे, क्या इनसे वापस नहीं लिया जा सकता है यह प्राइज?
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप का नॉमिनेशन विवादों में है, लेकिन इस पुरस्कार का इतिहास ही विवादों से भरा रहा है. ऐसी कई शख्सियतों को नोबेल पुरस्कार दिया गया, जिनके नाम पर विवाद हुआ.

पाकिस्तान और इजरायल की तरफ से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट किया गया है. दोनों देशों का दावा है कि डोनाल्ड ट्रंप कई देशों और क्षेत्रों में छिड़े युद्धों को रोकने और शांति लाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. हालांकि, समाज का एक वर्ग इन युद्धों के लिए अमेरिका की नीतियों को ही कसूरवार मानता है. जहां तक डोनाल्ड ट्रंप की बात है तो समाज के बड़े वर्ग का मानना है कि ट्रंप की नीतियां समाज में आर्थिक अस्थिरिता का कारण बन गई हैं, जिस कारण युद्ध भड़क रहे हैं.
बहरहाल, नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप का नॉमिनेशन विवादों में है, लेकिन इस प्रतिष्ठित पुरस्कार का इतिहास ही विवादों से भरा रहा है. पूर्व में ऐसी कई शख्सियतों को नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया, जिनके नाम पर काफी विवाद हुआ. इस आर्टिकल में हम यह उन विवादित शख्सियतों के बारे में जानेंगे, जिन्हें नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया और यह भी जानेंगे कि क्या नोबेल शांति पुरस्कार वापस लिया जा सकता है? इसको लेकर किस तरह के नियम हैं?
इन शख्सियतों के नामों पर रहा विवाद
- नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली विवादित शख्सियतों में पहला नाम पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का है. उन्हें 2009 अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के महज 9 महीने बाद ही यह प्रतिष्ठित अवॉर्ड मिला था, जिससे दुनिया हैरान रह गई थी. ओबामा के नाम इसलिए भी विवादों में आया क्योंकि उनके राष्ट्रपति रहते अफगानिस्तान, इराक और सीरिया के सैन्य संघर्षों में अमेरिका सक्रिय रूप से शामिल रहा था.
- इस लिस्ट में दूसरा नाम फिलिस्तीनी नेता यासिर अराफात का नाम शामिल है, उन्हें 1994 में नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था. हालांकि, अराफात सशस्त्र संघर्ष और छापामार गतिविधियों में शामिल रहे थे, जिससे उनके नाम पर काफी विवाद हुआ था.
- पूर्व अमेरिकी विदेश मंत्री हेनरी किसिंजर को 1973 में वियतनाम में युद्धविराम में अहम भूमिका के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला था. जबकि कंबोडिया में बमबारी कराने, दक्षिण अमेरिका में सैन्य तानाशाहों को समर्थन देने में भी उनकी भूमिका रही थी, जिसको लेकर नोबेल कमेटी की काफी आलोचना हुई थी.
- इस लिस्ट में इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद का नाम भी शामिल है. 2019 में उन्हें यह पुरस्कार मिला था. हालांकि, महज एक साल बाद ही उन्होंने टिग्रे के उत्तरी इलाके में सेना भेजी थी, जिससे गृहयुद्ध छिड़ गया था.
- ऐसा ही एक नाम आंग सान सू की का भी है. म्यांमार में लोकतंत्र स्थापित करने के प्रयासों के चलते 1991 में उन्हें नोबेल पुरस्कार दिया गया था. हालांकि, उनके नाम पर इस बात को लेकर विवाद हुआ क्योंकि म्यांमार में मुस्लिम रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ मानवाधिकारों के उल्लंघन पर वह चुप रही थीं.
क्या वापस लिया जा सकता है नोबेल प्राइज?
नोबेल शांति पुरस्कारों के चयन के लिए नोबेल प्राइज कमेटी की कई बार आलोचना हो चुकी है. कई बार तो स्थिति ऐसी आई कि कमेटी के सदस्यों ने इस्तीफा तक दे दिया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या नोबेल पुरस्कार वापस भी लिया जा सकता है? जवाब है-नहीं, ऐसा संभव नहीं है. दरअसल, न तो अल्फ्रेड नोबेल की वसीयत और न ही नोबेल फाउंडेशन के नियमों में ऐसा कोई प्रावधान है कि किसी से नोबेल पुरस्कार वापस लिया जाए. ऐसे में कुछ नामों पर विवाद होने के बावजूद चाहकर भी नोबेल फाउंडेशन उनसे पुरस्कार वापस नहीं ले सकता है.
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Source: IOCL























