क्या जानवर के कटने के बाद भी मांस से लगाया जा सकता है हलाल और झटके का फर्क
काटे गए मांस को देखकर या उसकी सामान्य जांच से हलाल और झटके में फर्क काफी हद तक किया जा सकता है. हालांकि सही जांच के लिए लेबोरेटरी टेस्ट करना पड़ता है.

झटका मीट में छुरी से जानवर की गर्दन की नस और सांस लेने वाली नली को काट दिया जाता है. गर्दन पर छुरी चलाने के बाद जानवर का पूरा खून निकलने का इंतजार किया जाता है. हलाल करने के दैरान जानवर की गर्दन को फौरन अलग नहीं किया जाता बल्कि जब वह मर जाता है तब उसके हिस्से किए जाते हैं. इस तरह इस्लाम में मान्यता है कि हलाल मीट को खाने से जनवर की गोश्त से बीमारी नहीं फैलती. दूसरी ओर, झटका में जानवर को एक ही झटके में तेजी से काटा जाता है, जिसमें सिर को धड़ से अलग कर दिया जाता है. यह माना जाताहै कि इस प्रक्रिया में जानवर को कम दर्द होता है. अब सवाल ये है कि क्या जानवर के कटने के बाद भी हलाल और झटके का फर्क पता लगाया जा सकता है? तो कुछ तरीकों से काफी हद तक पता लगाया जा सकता है चलिए जानते हैं.
खून की मौजूदगी
हलाल मांस में इस्लामी तरीके में गले की नस काटकर जानवर का खून पूरी तरह बहा दिया जाता है, इसलिए मांस में खून बहुत कम होता है. जबकि झटका में जानवर को एक झटके में मार दिया जाता है जिससे उसका पूरा खून शरीर में रह जाता है, इसलिए झटका मांस हलाल की तुलना में थोड़ा ज्यादा लाल और गाढ़ा दिख सकता है.
टेक्सचर और नरमी
हलाल मांस अपेक्षाकृत ज्यादा नरम और मुलायम होता है. जबकि झटका मांस में खून जमे रहने की वजह से यह कभी-कभी थोड़ा सख्त या चबाने में हार्ड हो सकता है.
गंध से लगाया जा सकता है पता
हलाल और झटका मांस को गंध से भी पता लगाया जा सकता है हलाल मांस से आमतौर पर बदबू कम आती है. जबकि झटका मांस में खून बचा होने की वजह से कभी-कभी गंध जल्दी आने लगती है. हालांकि प्रैक्टिकल तौर पर पक्का पता लगाने के लिए लेबोरेटरी टेस्ट करना पड़ता है. सिर्फ आंखों से देखकर हमेशा सही पहचान करना संभव नहीं होता.
Source: IOCL
























