1995 में पहली बार भारत आया था इंटरनेट! उससे पहले कैसे काम करता था ISRO?
इंटरनेट आने से पहले भारत में छोटे लेवल पर कंप्यूटर नेटवर्किंग मौजूद थी. लेकिन वह सीमित, धीमी और बहुत महंगी थी. 1986 में आईआईटी और एनसीएसटी के बीच डायल अप ईमेल सेवाओं का प्रयोग शुरू हुआ था.

भारत ने 1947 में आजादी के बाद तकनीक और संचार के मामले में एक लंबा सफर तय किया था. उस समय ने तो भारत में कंप्यूटर थे, न ही आधुनिक कम्युनिकेशन की व्यवस्था थी और न ही स्पेस टेक्नोलॉजी थी. लेकिन आने वाले दशकों में भारत ने साइंस टेक्नोलॉजी और स्पेस रिसर्च में इतनी तेज प्रगति की कि आज भारत दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल और स्पेस पावर देश में गिना जाता है. इस क्रांतिकारी सफर में एक बड़ा मोड वह था जब 1995 में आम लोगों के लिए भारत में पहली बार इंटरनेट आया. लेकिन कई बार यह सवाल उठता है कि भारत में इंटरनेट तो 1995 में आया था लेकिन उससे पहले देश में डिजिटल कम्युनिकेशन और इसरो कैसे काम करता था. चलिए तो आज हम आपको बताते हैं कि भारत में इंटरनेट तो पहली बार 1995 में आया था लेकिन उससे पहले इसरो कैसे काम करता था.
कैसे हुई इंटरनेट की शुरुआत?
भारत में इंटरनेट की पब्लिक सर्विस की शुरुआत 15 अगस्त 1995 को हुई, जब विदेश संचार निगम लिमिटेड ने देश में पहली बार आम लोगों को इंटरनेट की सेवा उपलब्ध करवाई. इससे पहले इंटरनेट का इस्तेमाल केवल सरकारी विभागों, एजुकेशन डिपार्टमेंट और रिसर्च नेटवर्क तक सीमित था. वहीं विदेश संचार निगम लिमिटेड की शुरुआत ने पहली बार इंटरनेट को आम नागरिकों की पहुंच में लाकर भारत को डिजिटल क्रांति के रास्ते पर खड़ा किया था. इंटरनेट आने से पहले भारत में छोटे लेवल पर कंप्यूटर नेटवर्किंग मौजूद थी. लेकिन वह सीमित, धीमी और बहुत महंगी थी.
1986 में आईआईटी और एनसीएसटी के बीच डायल अप ईमेल सेवाओं का प्रयोग शुरू हुआ था. इसके बावजूद आम लोगों के लिए ऐसा इंटरनेट मौजूद नहीं था जिसे वे अपने घरों में इस्तेमाल कर सके. वहीं कुछ लोग Bulletin Board System जैसी शुरुआती डिजिटल सेवाओं के जरिए कंप्यूटरों को जोड़ते थे. 1989 में मुंबई के पवई में छात्रों ने देश का पहला और सबसे बड़ा Bulletin Board System लाइव वायर शुरू किया. जिसने शुरुआती डिजिटल कम्युनिटी तैयार की थी. लेकिन उस समय यह सुविधा समिति थी और इंटरनेट अभी भी भारत के लिए दूर की चीज थी.
इंटरनेट से पहले इसरो कैसे करता था काम?
भारत का स्पेस प्रोग्राम इंटरनेट आने से बहुत पहले शुरू हो चुका था और पूरी तरह फ्री तकनीक पर चलता था. 1960 के दशक में इसरो के शुरुआती रॉकेट चर्च की लैब में असेंबल होते थे और कई बार साइकिल और बैलगाड़ी पर लॉन्च पैड तक ले जाए गए थे. उस समय भारत के पास न तो इंटरनेट था और न ही कंप्यूटर नेटवर्क. लेकिन वैज्ञानिक संचार और गणना मैन्युअल तकनीक और सीमित कंप्यूटरों की मदद हो मदद से होती थी.
इंटरनेट से पहले इसरो की वैज्ञानिक मजबूती
भारत में इंटरनेट आने से 20 साल पहले देश ने अपना पहला उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा था. इसके साथ ही इंटरनेट से पहले इसरो गांवों को जोड़ने के लिए सेटेलाइट से शैक्षणिक प्रसार करता था. देश के हजारों गांव में टीवी के जरिए पढ़ाई और कृषि के कार्य कार्यक्रम भी पहुंचाएं जाते थे. वहीं इसरो ने 1980 में एसएलवी 3 से अपना उपग्रह लाॅन् कर दिया था. इस समय भारत दुनिया का छठा देश बन गया था जो खुद का रॉकेट बनाकर सैटेलाइट भेज सकता था. वहीं 1995 में इंटरनेट आम लोगों तक पहुंचा लेकिन उससे पहले इसरो अपने फ्री कम्युनिकेशन सिस्टम, सैटेलाइट नेटवर्क, ग्राउंड स्टेशन्स और वैज्ञानिक कंप्यूटिंग सिस्टम के सहारे काम करता था. उस देश की स्पेस रिसर्च इंटरनेट के बिना भी लगातार आगे बढ़ रही थी.
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Source: IOCL
























