इतनी तेजी से कैसे जल जाता है कपूर, आखिर इसमें क्या-क्या मिलाया जाता है?
How Does Camphor Burn: क्या आपने कभी सोचा है कि पूजा-पाठ में इस्तेमाल होने वाला कपूर इतनी तेजी से क्यों जलता है? जानिए उसके पीछे का विज्ञान और वह पौधा जिससे कपूर बनता है.

पूजा और धार्मिक अनुष्ठानों में कपूर का इस्तेमाल सदियों से होता आ रहा है. माचिस की तीली लगते ही कपूर जल उठता है और उसकी सुगंध चारों ओर फैल जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि यह कपूर आखिर कैसे बनता है और यह इतनी जल्दी क्यों जल जाता है? इसके पीछे की कहानी प्राकृतिक विज्ञान और इतिहास दोनों से जुड़ी हुई है. चलिए जानें.
कैसे बनाया जाता है कपूर?
कपूर मुख्यतः दो प्रकार का मिलता है- नेचुरल कपूर और आर्टिफिशियल कपूर. नेचुरल कपूर कैम्फूर के पेड़ Cinnamomum Camphora से प्राप्त होता है. यह पेड़ 50 से 60 फीट तक ऊंचा हो सकता है और इसकी पत्तियां गोल और लगभग 4 इंच चौड़ी होती हैं. कपूर बनाने के लिए पेड़ की छाल का इस्तेमाल किया जाता है. दरअसल जब छाल सूखने लगती है, तो उसका रंग भूरा-ग्रे जैसा हो जाता है. इसे पेड़ से अलग किया जाता है और फिर गर्म करके रिफाइन किया जाता है. इसके बाद छाल को पीसकर पाउडर बनाया जाता है और उसे कपूर का परंपरागत शेप दिया जाता है.
मुख्य रूप से कहां पाया जाता है यह?
कैम्फर का पेड़ मुख्य रूप से पूर्वी एशिया यानी चीन में पाया जाता है और मूलतः यह जापान का पेड़ माना जाता है. चीन में लोक चिकित्सा पद्धति में इसका इस्तेमाल सदियों से होता रहा है. नौवीं शताब्दी के आसपास इसे कपूर बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया और धीरे-धीरे यह दुनियाभर में प्रसिद्ध हो गया.
भारत में कैसे पहुंचा कपूर?
भारत में कपूर की खेती का इतिहास 19वीं शताब्दी के अंत से जुड़ा है. 1932 में प्रकाशित एक रिसर्च पेपर के अनुसार 1882-1883 के दौरान लखनऊ के हॉर्टिकल्चर गार्डन में कैम्फूर की खेती में सफलता मिली थी. हालांकि प्रारंभिक सफलता थोड़े समय तक ही रही, लेकिन बाद में बड़े पैमाने पर इस पेड़ की खेती शुरू हो गई.
इतनी तेजी से कैसे जलता है कपूर?
कपूर इतनी तेजी से जलने का कारण इसकी रासायनिक संरचना में छिपा है. इसमें कार्बन और हाइड्रोजन की मात्रा पर्याप्त होती है, जिससे इसका ज्वलन तापमान बहुत कम होता है. इसका मतलब है कि हल्की हीट या माचिस की छोटी चिंगारी भी इसे जलाने के लिए पर्याप्त होती है. कपूर की वाष्प हवा में फैलकर ऑक्सीजन से मिलती है और इसी कारण यह बहुत तेजी से जलने लगता है. यही वजह है कि पूजा-पाठ में कपूर का इस्तेमाल करते समय उसकी सुगंध और ज्वलनशीलता दोनों ही अनुभव किए जा सकते हैं.
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