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Bihar Assembly Election 2025: कार्यकाल पूरा होने पर ईवीएम और वीवीपैट को क्यों किया जाता है नष्ट, जानें क्या होती है प्रकिया

Bihar Assembly Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव की तैयारी चल रही हैं. इसी बीच आइए जानते हैं कि ईवीएम और वीवीपीएटी को सेवा अवधि समाप्त होने के बाद नष्ट क्यों कर दिया जाता है.

Bihar Assembly Election 2025: बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारी में जुटा है. यहां 6 और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान किया जाएगा. इसी बीच आज हम बात करने जा रहे हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) और वोटर वेरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) को उनकी सेवा अवधि समाप्त होने के बाद नष्ट क्यों कर दिया जाता है. इसी के साथ हम यह भी जानेंगे कि उन्हें नष्ट करने की क्या प्रक्रिया होती है. 

ईवीएम और वीवीपीएटी का जीवनकाल 

हर ईवीएम और वीवीपीएटी का औसत जीवन काल तकरीबन 15 साल का होता है. यह कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें अप्रचलित घोषित कर दिया जाता है. उस समय चुनाव आयोग उन्हें बदलने और सुरक्षित तरीके से निपटाने की प्रक्रिया को शुरू कर देता है. इससे यह पक्का होता है कि भविष्य के चुनाव में सिर्फ विश्वसनीय और अपडेटेड उपकरणों का ही इस्तेमाल किया जाए. 

तकनीकी अप्रचलन और अपग्रेडेशन 

स्मार्टफोन या फिर कंप्यूटर की तरह ईवीएम टेक्नोलॉजी भी समय के साथ विकसित होती रहती है. पुरानी मशीनों में नई पीढ़ी के मॉडल की एडवांस्ड सुविधाएं, तेज प्रदर्शन और बेहतर सिक्योरिटी मेकैनिज्म का अभाव होता है. अब पुरानी ईवीएम को नष्ट करने से किसी भी संभावित गलत इस्तेमाल को रोकने में मदद मिलती है और यह भी सुनिश्चित होता है कि चुनाव के दौरान सिर्फ सबसे सुरक्षित और तकनीकी रूप से एडवांस मशीन का ही इस्तेमाल किया जाए. 

बढ़ता रखरखाव और भंडारण चुनौती 

पुरानी मशीन का रखरखाव ज्यादा मुश्किल और महंगा होता है क्योंकि स्पेयर पार्ट्स की कमी रहती है. साथ ही भारत में बड़े पैमाने पर चुनाव होते हैं और लाखों मशीनों को इकट्ठा करके रखने के लिए विशाल और सुरक्षित सुविधाओं की जरूरत होती है. इसी वजह से अपनी सेवा अवधि को पूरा कर चुकी मशीनों को नष्ट किया जाता है ताकि स्थान खाली होता रहे और चुनाव आयोग के रखरखाव की लागत कम होती रहे.

डेटा गोपनीयता और सुरक्षा उपाय

आपको बता दें कि ईवीएम एक बार इस्तेमाल करने योग्य उपकरण है. इसका मतलब होता है कि निर्माण के बाद उनके डेटा में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता. उनके संचालन की अवधि के समाप्त होने के बाद उन्हें नष्ट करने से छेड़छाड़, डाटा निष्कर्षण या फिर अवैध रूप से दोबारा इस्तेमाल की किसी भी संभावना को रोका जा सकता है.

चुनाव के बाद प्रतीक्षा अवधि 

चुनाव होने के बाद ईवीएम और वीवीपीएटी को परिणामों की घोषणा के 45 दिन बाद तक एक सुरक्षित स्ट्रांग रूम में सील करके रखा जाता है. इस पूरी अवधि के दौरान उम्मीदवार जरूरत पड़ने पर अदालत में परिणाम को चुनौती भी दे सकते हैं. अगर इस समय सीमा के अंदर कोई चुनाव याचिका दायर नहीं की जाती तो मशीन निपटान के योग्य हो जाती है.

क्या होती है निपटान प्रकिया

ईवीएम और वीवीपीएटी का निपटान काफी कड़ी निगरानी में किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया को चुनाव आयोग के अधिकारियों, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और कभी-कभी ईवीएम के सार्वजनिक क्षेत्र के निर्माता के विशेषज्ञों की उपस्थिति में किया जाता है. इसी के साथ पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की जाती है. 

पर्यावरण अनुकूल निपटान

जैसी मंजूरी मिल जाती है मशीनों को पर्यावरण का ख्याल रखते हुए सुरक्षित तरीकों से नष्ट किया जाता है. इसमें प्लास्टिक और धातु के घटकों को रीसायकल किया जाता है और इलेक्ट्रॉनिक पुर्जो का निपटान प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करते हुए किया जाता है.

ये भी पढ़ें: 8वां वेतन आयोग लागू होने के कितने दिन बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों को मिलेगा इसका फायदा, क्या है नियम?

स्पर्श गोयल को कंटेंट राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग में चार साल का अनुभव है.  इन्होंने अपने करियर की शुरुआत नमस्कार भारत से की थी, जहां पर लिखने की बारीकियां सीखते हुए पत्रकारिता और लेखन की दुनिया में कदम रखा. इसके बाद ये डीएनपी न्यूज नेटवर्क, गाजियाबाद से जुड़े और यहां करीब दो साल तक काम किया.  इस दौरान इन्होंने न्यूज राइटिंग और स्क्रीनराइटिंग दोनों में अपनी पकड़ मजबूत की.

अब स्पर्श एबीपी के साथ अपनी लेखनी को निखार रहे हैं. इनकी खास रुचि जनरल नॉलेज (GK) बीट में है, जहां ये रोज़ नए विषयों पर रिसर्च करके अपने पाठकों को सरल, रोचक और तथ्यपूर्ण ढंग से जानकारी देते हैं.  

लेखन के अलावा स्पर्श को किताबें पढ़ना और सिनेमा देखना बेहद पसंद है.  स्क्रीनराइटिंग के अनुभव की वजह से ये कहानियों को दिलचस्प अंदाज़ में पेश करने में भी माहिर हैं.  खाली समय में वे नए विषयों पर रिसर्च करना और सोशल मीडिया पर अपडेट रहना पसंद करते हैं.

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