बर्बरीक के एक बाण से खत्म हो सकता था 'महाभारत' का युद्ध, श्रीकृष्ण को करना पड़ा था छल
बर्बरीक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर में से एक थे. बर्बरीक के बाण में इतनी ताकत थी कि वह एक बाण से 'महाभारत' का युद्ध खत्म कर सकते थे.

नई दिल्ली: 'महाभारत' में एक बेहद शक्तिशाली योद्धा था वो था बर्बरीक. हालांकि कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध में बर्बरीक ने हिस्सा नहीं लिया था. बर्बरीक भीम के पुत्र घटोत्कच की संतान थे. बर्बरीक को वरदान प्राप्त था कि वह तीन बाणों से तीनों लोक जीत सकते हैं. जिसकी वजह से युद्ध से पहले कौरव बर्बरीक को लेकर डरे हुए थे. बर्बरीक को उनकी मां ने बचपन से यही सिखाया था कि हमेशा हारने वाले की ओर से युद्ध लड़ना. ये बात श्री कृष्णा अच्छी तरह से जानते थे.
जब बर्बरीक युद्ध में सहायता देने पहुंचे, तब श्रीकृष्ण ने अपनी कूटनीति से इन्हें रणचंडी को बलि चढ़ा दिया. हालांकि बर्बरीक ने श्रीकृष्ण के वरदान से 'महाभारत' का पूरा युद्ध देखा. बर्बरीक का कटा सिर अंत तक युद्ध देखता रहा. श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में पूजित होने का वर दिया था. वर्तमान में बर्बरीक को खाटू श्याम के नाम से पूजा जाता है.
जब बर्बरीक युद्ध भूमि की तरफ से निकल रहे थे तब ब्राह्मण के भेष में कृष्ण उनके पास पहुंचे. श्रीकृष्ण बर्बरीक का मजाक उड़ाकर उन्हें चुनौती देने लगे. ताकि वह अपनी शक्ति का परिचय दे. कृष्ण ने बर्बरीक को एक वृक्ष दिखाते हुए कहा कि वह यदि पेड़ के सारे पत्तों को एक ही तीर से भेद देंगे. तो वह मानेंगे कि वह शक्तिशाली योद्धा हैं. बर्बरीक ने श्रीकृष्ण की चुनौती स्वीकार की और पेड़ पर तीर चलाया. जब एक-एक कर सारे पत्तों को तीर भेद रहा था तभी चुपके से श्रीकृष्ण ने एक पत्ता अपने पैर के नीचे दबा लिया.
बर्बरीक ने श्रीकृष्ण से कहा कि वह अपना पैर पत्ते पर से हटा लें ताकि तीर अपना कार्य पूरा कर सके. श्रीकृष्ण जानते थे कि युद्ध में कौरवों की हार होगी. लेकिन बर्बरीक कौरवों की तरफ से लड़ते हैं तो पांडवों की हार सुनिश्चित है.
इस घटना के बाद एक दिन भगवान श्रीकृष्ण ब्राह्मण का भेष धरकर बर्बरीक के पास गए और उससे दान में उनका सिर मांगा. बर्बरीक ने शीश काटने से पहले अनुरोध किया कि श्रीकृष्ण एक बार अपने वास्तविक रूप में आ जाएं. बर्बरीक ने इसके बाद शीशदान कर दिया था.
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Source: IOCL






















