Southern Rising Summit 2025: 8 घंटे की शिफ्ट को लेकर डिबेट पर मालविका मोहनन ने किया रिएक्ट, शाहरुख खान संग पहली मुलाकात का किया जिक्र
एक्ट्रेस मालविका मोहनन ने हिंदी, तमिल और मलयालम सिनेमा में काम किया है. अब वो तेलुगू सिनेमा में भी डेब्यू करने वाली हैं. एबीपी सदर्न राइजिंग समिट 2025 में मालविका ने करियर के बारे में बात की.

एक्ट्रेस मालविका मोहनन ने एबीपी सदर्न राइजिंग समिट 2025 में अपनी करियर जर्नी को लेकर बात की. उन्होंने इंडस्ट्री में 8 घंटे शिफ्ट को लेकर चल रही डिबेट को लेकर भी रिएक्ट किया. साथ ही उन्होंने बताया कि फिल्मों के फ्लॉप होने पर वो कैसे हैंडल करती हैं.
मालविका ने फिल्म 'हृदयपूर्वम' में काम किया. इस फिल्म में उन्होंने मोहनलाल के साथ काम किया. मालविका मोहनन ने मोहनलाल के साथ काम करने के एक्सपीरियंस को लेकर भी रिएक्ट किया.
वन टेक एक्टर हैं मोहनलाल- मालविका मोहनन
एक्ट्रेस ने कहा, 'मैंने मलयालम सिनेमा से करियर शुरू किया था. लेकिन मैं हमेशा कहती हूं तमिल सिनेमा से मुझे बहुत प्यार मिला है. तमिल सिनेमा में काम करना मुझे बहुत अच्छा लगता है. एक्टर होने के नाते इतनी भाषाओं में काम करना अच्छा है. मेरी पिछली रिलीज हिंदी फिल्म थी. फिर मैंने मलयालम फिल्म की, मोहनलाल के साथ. मोहनलाल के साथ काम करना आर्टिस्ट के तौर पर थोड़ा डरने वाला होता है. वो वन टेक एक्टर हैं. उन्हें ज्यादा टेक की जरुरत नहीं होती है. मुझे तो कुछ टेक्स वॉर्मअप के लिए ही चाहिए होते हैं. मेरा बेस्ट शॉट 3-4 टेक के बाद आता है. मुझे मोहनलाल के साथ काम करने के लिए बहुत रिहर्सल करनी पड़ती थी. वो बहुत स्वीट हैं. वो बहुत हेल्प करते हैं. हम मोहनलाल सर की फिल्में देखते हुए बड़े हुए हैं. ये शानदार एक्सपीरियंस था.'
मालविका के पिता के यू मोहनन पॉपुलर सिनमैटोग्राफर हैं. मालविका ने फिल्म सेट और शाहरुख खान के साथ पहली मुलाकात को लेकर बात की.
शाहरुख खान के साथ पहली मुलाकात
मालविका ने कहा, 'मैं इंडस्ट्री से काफी दूर रही हूं और इंडस्ट्री से दूर ही बड़ी हुई हूं. मेरे पापा इंडस्ट्री का हिस्सा हैं. हमारे लिए ये ऐसा था कि वो बाकी लोगों की तरह ही काम पर जाते थे और घर वापस आते थे. इससे ज्यादा कुछ नहीं था. मैंने पहली बार किसी सुपरस्टार को क्लोज से देखा था तो वो शाहरुख खान थे. जब मेरे पिता डॉन के लिए शूट कर रहे थे तब मैंने शाहरुख खान को पहली बार देखा था. वो मुंबई में फिल्मसिटी में शूट कर रहे थे. रात का समय था. मैं, मम्मी और मेरा भाई सेट पर गए थे. कुछ समय बाद हम थक गए थे और हमें नींद आ रही थी. तो उस वक्त मैंने शाहरुख खान को देखा था और मैं उन्हें देखती ही रह गई थी. उन्होंने मुझे हाय-हैलो किया. जैसे ही वो गए तो मेरे पेरेंट्स ने कहा कि इतना बड़ा शख्स तुमसे हाय कर रहा है तुम खड़ी भी नहीं हुई. ऐसा नहीं था कि मैं रूड थी, मैं स्टारस्ट्रक हो गई थी.'
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आगे उन्होंने कहा, 'मुझे याद है कि जब मैं तमिल में फिल्म मास्टर कर रही थी तो मैंने थलापति विजय को पहली बार देखा था. वो लार्जर दैन लाइफ फिगर हैं. उन्हें पहली बार देखना स्टारस्ट्रक था. वो बहुत स्वीट थे. जब पहली बार किसी स्टार से मिलते हैं तो ये अलग होता है, इसके बाद फिर ये धीरे-धीरे काम, एक्टिंग और को-एक्टर के बारे में होता है. मुझे याद है कि जब मैं रजनीकांत सर से मिली, उनका ऑरा कुछ अलग ही है.'
इसके बाद मालविका ने अपकमिंग फिल्म राजासाहब और सरदार 2 के बारे में बात की.
मालविका ने कहा, 'प्रभास सर के साथ राजा साहब की है. फिल्म जनवरी में रिलीज हो रही है. मैं बहुत एक्साइटेड हूं. ये मेरा तेलुगू डेब्यू. सुपरस्टार्स की फिल्मों में अक्सर ऐसा होता है कि वुमेन को अच्छा रोल नहीं मिलता. लेकिन मुझे फिल्म में अच्छा रोल मिला है. कभी-कभी किसी फिल्म को करना क्राफ्ट, एक्टिंग के बारे में होता है और कभी कभी ये बिजनेस के बारे में होता है. जैसे किसी बड़े बजट की फिल्म में छोटा सा ही रोल मिले लेकिन वो ओके होता है.'
फिल्मों के फ्लॉप होने पर कैसे डील करती हैं मालविका?
फिल्मों के फ्लॉप होने पर मालविका ने कहा, 'फिल्म का फ्लॉप होना हार्टब्रेकिंग होता है. लेकिन मुझे फिल्म बनने की जर्नी बहुत पसंद है. आयुष्मान खुराना मेरी ही बिल्डिंग में रहते हैं. हम पड़ोसी हैं. हम अक्सर टकराते रहते हैं. हम सेम जिम में जाते हैं. कुछ समय पहले ही मेरी उनसे मुलाकात हुई तो मैंने उनसे पूछा कि आपकी फिल्म आने वाली है आप नर्वस हैं तो उन्होंने कहा कि एक प्वॉइंट पर आकर आप कुछ भी उम्मीद करना छोड़ देते हैं. आप जाते हैं अच्छा काम करते हैं. क्योंकि फिल्म का चलना हमारे हाथ में नहीं हैं. आप सिर्फ अच्छे आर्टिस्ट, अच्छे लोगों के साथ काम करते रहिए.'
इंडस्ट्री में 8 घंटे की शिफ्ट को लेकर चल रही डिबेट को लेकर मालविका ने बात की.
उन्होंने कहा, 'मेरे पिता इंडस्ट्री में काम करते हैं और जब मेरे पिता किसी फिल्म में काम शुरू करते थे तो बचपन से ही हम लोग माइंड को प्रिपेयर कर लेते थे कि अब हम पापा को अगले 5 महीने नहीं देखने वाले. क्योंकि काम 12-12 घंटे होता था. उसमें आप 1-2 घंटे पहले जाते थे. फिर जब शूट खत्म होती थी तो आप अगले दिन की भी प्लानिंग करते हैं. फिर पूरा मुंबई का ट्रैफिक झेलते घर आते थे. तो हम लोग इसके लिए तैयार होते थे. तो ऐसे में वो पेरेंट आपके साथ कम ही होता है. तो अगर मेरे अंदर की छोटी बच्ची से पूछा जाए तो बिल्कुल मैं चाहूंगी कि मेरे पापा थोड़ा और समय मेरे साथ बिताते. मुझे लगता है कि अगर आपके पास वर्क लाइफ और पर्सनल लाइफ में बैलेंस है तो ये बहुत अच्छा है. ये पूरी तरह से फेयर है. हर किसी को इसकी जरुरत होती है. वरना आप खत्म हो जाते हैं.'
Source: IOCL






















