कभी पैसों के लिए सैनिकों की चिट्ठियां उनके परिवार को पढ़कर सुनाते थे देवानंद, फिर अनूठे स्टाइल से लाखों को बनाया अपना दीवाना
उनके गर्दन झटकाने की अदा, उनके कपड़े पहने का स्टाइल, उनकी हैट, उनका मफलर….यानि जो भी वो करते थे उस दौर में वो स्टाइल बन जाता था. कुछ तो जादू था उनमें. कुछ तो बात थी जो आज भी उन्हें उनके अंदाज के लिए पहचाना जाता है.

देवानंद….जो स्टार नहीं बल्कि सुपरस्टार थे, जो हीरो नहीं कलाकार थे. जिन्होंने हिंदी सिनेमा को देखने का अंदाज़ ही बदल दिया था. कितनी ही बेहतरीन फिल्में इन्होंने बॉलीवुड को दी और बदले में इंडस्ट्री ने भी उन्हें प्यार और सम्मान भरपूर दिया. यही कारण है कि आज 74 सालों बाद भी उन्हें याद किया जाता है. अगर आज वो हमारे बीच होते तो इंडस्ट्री में अपने 74 साल पूरा होने का जश्न मना रहे होते. लेकिन दुर्भाग्य कि वो आज हमारे साथ नहीं हैं. चलिए नज़र डालते हैं देवानंद(Devanand) के करियर पर
1946 में की पहली फिल्म
1923 में जन्मे देवानंद ने आर्थिक स्थिति को संभालने के लिए ही बॉलीवुड में करियर बनाने के बारे में सोचा था. वो मुंबई आए और उन्हें पहला मौका मिला 1946 में तब मिला जब उन्हें ‘हम एक हैं’ फिल्म ऑफर हुई. लेकिन इस फिल्म से इन्हें वो शौहरत नहीं मिली थी जिसके वो असल हकदार थे. बल्कि वो शौहरत उन्हें दिलाई ज़िद्दी फिल्म ने.
पैसों के लिए पढ़कर सुनाते थे चिट्ठियां
जब देवानंद मुंबई आए तो शुरुआती सालों में उन्हें काफी स्ट्रगल करना पड़ा. क्योंकि गुजर बसर के लिए उनके पास पैसे ही नहीं होते थे. तब उन्होने एक नौकरी करने की सोची. तब पैसों के लिए सैनिकों द्वारा भेजी गई उनके परिवारवालों के लिए चिट्ठियां उन्हें पढ़कर सुनाया करते थे.
100 से ज्यादा फिल्मों में किया काम
खैर, ये दौर अलग था और वो दौर अलग था जब वो सुपरस्टार बन चुके थे. अपने करियर में उन्होंने 100 से ज्यादा फिल्में की. जिनमें से ज्यादातर हिट रहीं. लेकिन उनकी बेहतरीन फिल्मों में गाइड, हरे कृष्णा हरे राम, ज्वैल थीफ, सीआईडी, काला पानी, बाज़ी, प्रेम पुजारी और गैम्बलर का नाम शामिल है.
अनूठे स्टाइल का चला जादू
देवानंद का स्टाइल ही कुछ अलग था. उनके गर्दन झटकाने की अदा, उनके कपड़े पहने का स्टाइल, उनकी हैट, उनका मफलर….यानि जो भी वो करते थे उस दौर में वो स्टाइल बन जाता है. कुछ तो जादू था उनमें... कुछ तो बात थी जो आज भी उन्हें उनके अंदाज के लिए पहचाना जाता है. लड़के उनकी हर अदा की नकल करते थे. तो लड़कियां मरती थीं उन पर. हर दिल में बसते थे वो. लेकिन जो उनके मन में बसी वो थीं सुरैया.
इस वजह से नहीं हो सके एक
सुरैया और देवानंद की जोड़ी को लोगों ने खूब पसंद किया. धीरे धीरे दोनों एक दूसरे को दिल दे बैठे. लेकिन इनकी लव स्टोरी में विलेन बनीं सुरैया की नानी. जिन्हें ये रिश्ता कबूल नहीं था. इसीलिए दोनों की राहें हमेशा हमेशा के लिए जुदा हो गई. बाद में देवानंद ने एक्ट्रेस कल्पना कार्तिक से शादी कर ली. लेकिन सुरैया को वो कभी भुला ना सके.
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