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कठुआ गैंगरेप : ऋचा चड्ढा ने पूछा- आखिर ऐसा शख्स मंदिर का पुजारी कैसे बना?
कठुआ और उन्नाव दुष्कर्म जैसे घटनाओं पर ऋचा का कहना है कि इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, क्योंकि कानून लेकर पुलिस-प्रशासन व समाज हर किसी में कमी है
नई दिल्ली: बेबाक अंदाज व बेजोड़ अदाकारी के लिए मशहूर बॉलीवुड अभिनेत्री ऋचा चड्ढा अपने असल जिंदगी में भी उतनी ही सहज हैं. 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' हो या 'मसान' ऋचा ने अपनी अधिकांश फिल्मों में समाज से किसी न किसी रूप में जुड़े मुद्दों को पर्दे पर उतारा है. कठुआ और उन्नाव दुष्कर्म जैसे घटनाओं पर ऋचा का कहना है कि इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, क्योंकि कानून लेकर पुलिस-प्रशासन व समाज हर किसी में कमी है. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए इनसे सख्ती से निपटा जाना जरूरी है.
कठुआ गैंगरेप- किसने बनाया बलात्कारी को पुजारी?
20 अप्रैल को रिलीज हो रही फिल्म 'दास देव' के प्रचार के सिलसिले में नई दिल्ली पहुंचीं ऋचा से जब पूछा गया कि दुष्कर्म की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है- कानून, समाज या पुलिस? इस पर ऋचा ने कहा, "हर चीज में कमी है. सबसे पहले तो समाज में कमी है. लोगों की मानसिकता ऐसी हो गई है. कठुआ में जो हुआ है..मैं पूछती हूं कि ऐसा शख्स मंदिर का पुजारी कैसे बना..किसने बनाया उसे पुजारी..ऐसा शख्स पुलिसवाला कैसे बना..एक आठ साल की बच्ची से दुष्कर्म होता है..और आप कल्पना कर सकते हैं कि लोग इस मुद्दे पर भी सांप्रदायिकता फैला रहे हैं. क्या हमारी इंसानियत इतनी मर चुकी है?"
उन्होंने कहा, "दुष्कर्म के आरोपियों में राजनेता, पुलिसकर्मी और मंदिर में बैठने वाला शामिल हैं, अगर ये मुद्दे प्रकाश में नहीं आए होते, इनपर बवाल नहीं हुआ होता तो ये लोग छूट जाते. अगर इस मामले को सख्ती से डील नहीं किया गया तो यह अपराध बढ़ेगा, क्योंकि दुष्कर्म करने वाला सोचेगा कि मैं कुछ भी करूं..मैं तो बच ही जाऊंगा, और ऐसी स्थिति में कोई रेप पीड़िता आगे नहीं आएगी." उन्नाव गैंगरेप पर उठाई आवाज कठुआ दुष्कर्म मामले पर बॉलीवुड की ओर से भी कड़ी प्रतिक्रिया आई थी. ऋचा सहित कई कलाकारों ने पीड़िताओं के लिए न्याय की मांग की थी. इस बारे में ऋचा कहती हैं, "मैंने कठुआ और उन्नाव मुद्दे को ऑनलाइन पेटीशन के जरिए उठाया था. और एक वीडियो भी साझा किया था, जिसमें मैंने उन्नाव और कठुआ मामले पर न्याय की मांग की है. हम शहर में नहीं होते हैं, इसलिए हमारे लिए मार्च करना या धरने पर बैठना मुश्किल है, लेकिन हम जो कर सकते हैं वह कर रहे हैं. हम अपनी आवाज उठा रहे हैं."
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अवनीश पी. एन. शर्मा, ICCRसलाहकार सदस्य
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