पश्चिम यूपी के इन चार सीटों पर BJP की राह आसान नहीं, मैनपुरी, फिरोजाबाद में सपा मजबूत तो फतेहपुर सीकरी में एंटी इनकम्बेंसी हो सकता है फैक्टर
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में यूपी में 10 सीटों पर चुनाव होने हैं. इनमें से कई सीटों पर बीजेपी और सपा में सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है. वहीं कई सीटों पर सपा मजबूत मानी जा रही है.
Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के तीसरे चरण (third phase) में पश्चिमी यूपी (west up) के 10 सीटों पर सात मई को मतदान होना है. इनमें से आंवला (aonla), बदायूं (budaun), संभल (sambhal) और फतेहपुर सिकरी सीट (fatehpur sikri) पर बीजेपी (bjp) और समाजवादी (samajwadi party) में कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है. वहीं मैनपुरी (mainpuri) और फिरोजाबाद (firozabad) सीट की बात करें तो इन दोनों सीटों पर सपा मजबूत मानी जा रही है. 2019 में भी इन दोनों सीटों पर अखिलेश यादव (akhilesh Yadav) की पार्टी ने कब्जा किया था.
जिन सीटों पर सपा है मजबूत
मैनपुरी
सबसे पहले बात करते हैं मैनपुरी सीट की. इस सीट को सपा का परंपरागत सीट माना जाता है. इस सीट से नेताजी यानि मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ते थे. उनके जाने के बाद वर्ष 2022 में हुए उपचुनाव में उनकी पुत्रवधू डिंपल यादव ने करीब 2,80,000 मतों से जीत हासिल की थी. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर से डिंपल यादव (dimple Yadav) चुनाव मैदान में उतर रही हैं. उन्होंने अकेले ही चुनावी प्रचार की कमान भी संभाली हुई है. समाजवादी पार्टी से यह सीट जीतना काफी चुनौती भरा नजर आता है. जातीय आंकड़ों की बात करें तो लोकसभा क्षेत्र में सर्वाधिक वोट यादव कम्युनिटी का है. जबकि दूसरे नंबर पर शाक्य और तीसरे नंबर पर क्षत्रिय मतदाता आते हैं.
मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा आती है जिसमें जसवंत नगर, करहल, किशनी, भोगांव व मैनपुरी सदर शामिल है. वर्तमान में मैनपुरी सदर व भोगांव विधानसभा पर बीजेपी के विधायक काबिज है, तो वही किशनी, करहल व जसवंत नगर पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है.
फिरोजाबाद
फिरोजाबाद सीट पर भी सपा मजबूत मानी जाती है, यहां से एक बार फिर अक्षय यादव सपा की तरफ से मैदान में हैं. 2014 के मोदी लहर के बावजूद अक्षय ने इस सीट से जीत हासिल की थी, वहीं 2019 में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था और 2014 की तुलना में उन्हें यहां पांच फीसदी कम वोट मिले थे. हालांकि हार के बाद भी वो लगातार क्षेत्र का दौरा करते रहे और लोगों का विश्वास हासिल करने के लिए मेहनत करते रहे. 2024 लोकसभा चुनाव में फिरोजपुर में प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव का सामना बीजेपी के ठाकुर विश्वदीप सिंह और बीएसपी के चौधरी बशीर से होगा.
अब बात करतें हैं उन सीटों की, जिसपर बीजेपी और सपा में टक्कर होने की उम्मीद है.
आंवला
बरेली जिले के तहत आने वाले आंवला लोकसभा क्षेत्र में मुस्लिम वोटरों का खासा प्रभाव है. जिले में करीब 35 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं, जबकि 65 फीसदी संख्या हिंदुओं की है. हालांकि लंबे समय से यहां मुस्लिम-दलित वोटरों का समीकरण नतीजे तय करता आया है, इनके अलावा क्षत्रीय-कश्यप वोटरों का भी यहां खासा प्रभाव है. पिछले दो चुनावों में यहां बीजेपी के उम्मीदवार धर्मेंद्र कुमार ने जीत हासिल की है. इसलिए बीजेपी ने उन्हें एक बार फिर टिकट दिया है. वहीं सपा ने नीरज मौर्या को और बसपा ने आबिद को मैदान में उतारा है. इस सीट पर बार बीजेपी को कड़ी टक्कर मिलने संभावना है.
बदायूं
2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव ने यहां एकतरफा जीत हासिल की थी. वहीं 2019 में यहां मुख्य मुकाबला सपा के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव और बीजेपी की संघमित्रा मौर्य के बीच थी और अंतत संघमित्रा मौर्य ने जीत हासिल की थी. 2024 की बात करें तो बसपा से मुस्लिम खां, सपा से आदित्य यादव और बीजेपी से दुर्विजय सिंह शाक्य मुख्य दावेदार माने जा रहे हैं. बदायूं यूपी की चर्चित सीटों में से एक है. क्योंकि यहां से इस बार शिवपाल यादव ने खुद चुनाव न लड़कर अपने बेटे आदित्य को सपा के टिकट पर उम्मीदवार बनवाया है. इस बार ये सीट बीजेपी के लिए आसान नहीं होने वाला है क्योंकि शिवपाल यादव और अखिलेश यादव में नाराजगी खत्म हो चुकी है.
संभल
संभल लोकसभा सीट 1977 में अस्तित्व में आई, इमरजेंसी के बाद देश में पहली बार चुनाव हुए और तब यहां से चौधरी चरण सिंह की पार्टी ने जीत दर्ज की थी. इस बार संभल लोकसभा क्षेत्र से 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. इनमें प्रमुख रूप से भाजपा से परमेश्वर लाल सैनी, सपा से जियाउर्रहमान बर्क, बसपा से चौधरी सौलत अली मैदान में हैं. भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में सीएम योगी आदित्यनाथ ने दो बार, मध्यप्रदेश के सीएम मोहन यादव, केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, और रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी एक-एक बार जनसभा कर चुके हैं. माना जा रहा है कि इस सीट पर दलित मतदाताओं का रुख ही प्रत्याशी की जीत तय करेगी.
फतेहपुर सिकरी
फतेहपुर सिकरी सीट पर इस बार एंटी इनकम्बेंसी एक बड़ा फैक्टर हो सकता है. फतेहपुर सीकरी में अच्छी खासी संख्या होने के बावजूद बीजेपी ने इस बार क्षत्रियों को टिकट नहीं दिया. क्षेत्र में क्षत्रिय समुदाय सबसे बड़ा मतदाता वर्ग है. इसके बावजूद राजकुमार चाहर (जाट) को फिर से टिकट दिया गया है. वहीं असंतोष को एक अवसर के रूप में देखते हुए इंडिया ब्लॉक ने क्षेत्र से क्षत्रिय उम्मीदवार रामनाथ सिकरवार को मैदान में उतारा है. आपको बता दें कि पिछले दो चुनावों में बीजेपी को यहां से जीत मिली है, लेकिन इस बार यहां एंटी इनकम्बेंसी का फैक्टर देखने को मिल सकता है.
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