Bihar Election Results 2025: नीतीश थे, नीतीश हैं और नीतीश ही... बिहार में 'बड़ा भाई कौन?', रुझानों ने ही खत्म कर दी बहस
Bihar Election Results 2025: बिहार में चुनाव जीतने के लिए नीतीश कुमार को होना बहुत जरूरी है, यही वजह है कि राजद हो या बीजेपी, चाहकर भी नीतीश कुमार से दूरी नहीं बना पाते हैं.

Bihar Election Results 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अस्तित्व पर कई सवाल खड़े हो रहे थे. विपक्षी दलों ने भी यह मुद्दा खूब जोर-शोर से उठाया कि बिहार में नीतीश कुमार अब प्रासंगिक नहीं रहे और चुनाव खत्म होते ही भाजपा नीतीश कुमार को 'दूध में पड़ी मक्खी' की तरह निकालकर बाहर कर देगी. राजद और कांग्रेस तक ने तो यहां तक कहा कि बिहार में भले ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हों, लेकिन सरकार 'दिल्ली' से चल रही है.
अब जब चुनाव परिणाम का दिन है और जैसे-जैसे रुझान सामने आ रहे हैं, नीतीश कुमार फिर से प्रासंगिक होते जा रहे हैं. भले ही चुनाव परिणामों की स्थिति पूरी तरह शाम तक साफ हो, लेकिन रुझानों ने साबित कर दिया है कि बिहार के लिए नीतीश कुमार इतने जरूरी क्यों हैं. बिहार चुनाव के अभी तक के परिणामों को देखें तो 243 सीटों के शुरुआती रुझान सामने आ चुके हैं और 'एनडीए' बहुमत के आंकड़े को पार कर गया है.
नीतीश का फिर चला 'जादू'
बिहार में नीतीश कुमार की छवि 'पलटू राम' वाली रही है, वह कभी इधर होते हैं तो कभी उधर. इसके बावजूद बिहार में चुनाव जीतने के लिए नीतीश कुमार को होना बहुत जरूरी है, यही वजह है कि राजद हो या बीजेपी, चाहकर भी नीतीश कुमार से दूरी नहीं बना पाते. बिहार में अभी तक के रुझानों को देखें तो नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू सबसे बड़ी पार्टी बनती नजर आ रही है. रुझानों में एनडीए को 193 सीटें मिलती दिख रही हैं तो महागठबंधन 47 सीटों पर सिमटता नजर आ रहा है.
रुझानों में कुछ ऐसी है स्थिति
- जदयू : 86
- बीजेपी : 81
- आरजेडी : 35
- कांग्रेस : 7
- लोजपा (रामविलास) : 21
खत्म हो गई 'बड़े भाई' की बहस
बिहार चुनाव से पहले 'एनडीए' में बड़ा भाई कौन? को लेकर जोरदार बहस उठी थी. खुद बीजेपी के अंदर ही सवाल उठने लगे थे कि नीतीश कुमार में अब दमखम नहीं बचा है. शायद यही वजह रही कि एक समय तक एनडीए ने नीतीश कुमार को गठबंधन का नेता तक घोषित नहीं किया, यहां तक यह तक कहने से हिचकते रहे कि चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. इसी सवाल पर जब विपक्षी दलों ने एनडीए को घेरना पड़ा तो नीतीश कुमार को आगे करना ही पड़ा. अब जब चुनाव के परिणाम सामने आए हैं, तो नीतीश ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि 'बिहार का मतलब नीतीश कुमार'.
फिर दिखा 2010 वाला जलवा
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इस चर्चा ने जोर पकड़ा कि शायद यह नीतीश कुमार का आखिरी चुनाव हो सकता है. बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के चलते उनका आगे चुनाव लड़ना भी मुश्किल है, ऐसे में जदयू ने अपनी पूरी ताकत इस चुनाव में झोंकी. नतीजा भी कुछ वैसा ही आता दिख रहा है. आलम तो यह है कि बिहार में 2010 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर जदयू अपना जलवा दिखा रही है. 2010 के चुनाव में जदयू ने 115 सीटें जीती थीं. इसके बाद 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार का प्रदर्शन गिरता दिखा और पार्टी 71 सीटों पर सिमट गई, 2020 के चुनावों तो पार्टी का प्रदर्शन सबसे बुरा रहा और पार्टी 43 सीटों पर सिमट गई थी. हालांकि, इस चुनाव में एक बार फिर नीतीश कुमार का करिश्मा दिख रहा है.
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Source: IOCL



















