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इन स्टूडेंट्स को मिलता है यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद में रिजर्वेशन, जानें किस कैटेगरी को मिलता है कितना फायदा

यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद कई कैटेगरी के छात्रों को SC, ST, OBC, EWS, PWD और डिफेंस कोटे के तहत आरक्षण देकर उच्च शिक्षा का समान अवसर देती है.

यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद देश की टॉप यूनिवर्सिटीज में से एक है, जहां हर साल देशभर से हजारों छात्र पढ़ाई करने आते हैं. यहां एडमिशन को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा जिस बात की होती है, वह है रिजर्वेशन सिस्टम यानी आरक्षण की सुविधा.

केंद्रीय सरकारी नियमों के आधार पर यह यूनिवर्सिटी कई कैटेगरी के छात्रों को सीटों में रिजर्वेशन देती है, ताकि हर वर्ग के छात्रों को उच्च शिक्षा पाने का बराबर मौका मिल सके. लेकिन ज्यादातर छात्रों को यह नहीं पता होता कि किस कैटेगरी के लिए कितनी सीटें रिजर्व रहती हैं और किस आधार पर यह फायदा मिलता है. आज हम आपको पूरी जानकारी आसान भाषा में बताएंगे.

सबसे पहले बात करते हैं SC और ST कैटेगरी की. यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद अपने हर कोर्स में 15% सीटें अनुसूचित जाति (SC) और 7.5% सीटें अनुसूचित जनजाति (ST) के छात्रों के लिए आरक्षित रखती है. जरूरत पड़ने पर SC और ST सीटों में आपस में बदलाव भी किया जाता है, ताकि कोई सीट खाली न रहे. इन कैटेगरी के उम्मीदवारों को इंटरव्यू या काउंसलिंग के समय अपना जाति प्रमाण पत्र दिखाना होता है, जो तहसीलदार या मंडल राजस्व अधिकारी द्वारा जारी किया जाता है. अगर किसी छात्र को पढ़ाई में परेशानी होती है, तो ऐसे छात्रों के लिए यूनिवर्सिटी रेमेडियल क्लास भी चलाती है.

PG और Integrated कोर्स में SC/ST छात्रों को अतिरिक्त राहत

PG कोर्स यानी MA, MSc, MCA, MBA, MPA, MFA और 5-Year Integrated Programmes में SC/ST उम्मीदवारों को बड़ी राहत दी गई है. जनरल, EWS और OBC की तुलना में इन छात्रों के लिए न्यूनतम अंक की जरूरत 5% कम होती है. इतना ही नहीं, अगर सीटें खाली रह जाती हैं तो SC/ST छात्रों के लिए सिर्फ पास होना भी पर्याप्त माना जाता है. यानी अगर आप SC/ST कैटेगरी से हैं, तो आपके पास एडमिशन पाने का ज्यादा मौका रहेगा.

OBC (Non-Creamy Layer) छात्रों के लिए 27% आरक्षण

अब बात करते हैं OBC कैटेगरी के छात्रों की. केंद्र सरकार के नियमों के अनुसार यूनिवर्सिटी में 27% सीटें OBC (Non-Creamy Layer) उम्मीदवारों के लिए रिजर्व रहती हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि राज्य सरकार द्वारा जारी OBC सर्टिफिकेट मान्य नहीं होता. केवल वही OBC-NCL सर्टिफिकेट स्वीकार किया जाता है जो केंद्र सरकार के फॉर्मेट में और सक्षम अधिकारी द्वारा जारी किया गया हो. M.Phil और PhD के लिए SC/ST/OBC और PH उम्मीदवारों को 5% की छूट दी जाती है, ताकि वे आसानी से पात्रता पूरी कर सकें.

EWS कैटेगरी को 10% सीटों का फायदा

इसके बाद आता है EWS यानी आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग. सरकार के मुताबिक यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद में 10% सीटें EWS कैटेगरी के छात्रों के लिए आरक्षित हैं. इस कैटेगरी में आने के लिए भी उम्मीदवारों को सरकारी फॉर्मेट में बनाया गया EWS प्रमाणपत्र जमा करना होता है. 2019–20 से यूनिवर्सिटी ने PG और Integrated कोर्स की सीटों में बढ़ोतरी की और EWS छात्रों के लिए भी आरक्षण लागू किया, जिससे हजारों छात्रों को फायदा मिला.

PWD छात्रों को 5% सुपरन्यूमरी सीटें

आरक्षण की लिस्ट में अगला है दिव्यांग (PWD) कैटेगरी. यूनिवर्सिटी 5% सीटें दिव्यांग छात्रों को देती है. यह सीटें सुपर न्यूमरो यानी अतिरिक्त होती हैं, पर M.Tech, M.Phil और PhD में इन्हें कोर्स की कुल सीटों में शामिल किया जाता है. यहां 40% या उससे अधिक विकलांगता वाले छात्रों को प्रवेश में राहत दी जाती है. ये सीटें विजुअली चैलेंज्ड, हियरिंग इंपेयर्ड और ऑर्थोपेडिकली हैंडिकैप्ड छात्रों के लिए होती हैं. ऐसे छात्र एंट्रेंस टेस्ट में भी हिस्सा लेते हैं, और जरूरत पड़ने पर उन्हें एक्स्ट्रा टाइम और स्क्राइब की सुविधा भी दी जाती है.

इसके अलावा, यूनिवर्सिटी डिफेंस पर्सनल (सेना, वायुसेना, नौसेना, कोस्ट गार्ड) के बच्चों को भी 5% सुपरन्यूमरी सीटें देती है. हालांकि यह सुविधा पैरामिलिट्री फोर्सेज के लिए नहीं है. इन सीटों के लिए भी स्टूडेंट्स को एंट्रेंस परीक्षा देनी होती है और सभी जरूरी प्रमाणपत्र जमा करने होते हैं.

यूनिवर्सिटी कश्मीरी माइग्रेंट्स और जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए भी अलग से सीटें देती है. कश्मीरी माइग्रेंट्स के लिए Integrated और PG कोर्स में सुपरन्यूमरी सीटें होती हैं, जबकि J&K स्पेशल स्कॉलरशिप स्कीम के तहत AICTE द्वारा 2 अतिरिक्त सीटें दी जाती हैं.

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रजनी उपाध्याय बीते करीब छह वर्षों से पत्रकारिता की दुनिया में सक्रिय हैं. उत्तर प्रदेश से ताल्लुक रखने वाली रजनी ने आगरा विश्वविद्यालय से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. बचपन से ही पढ़ने-लिखने में गहरी रुचि थी और यही रुचि उन्हें मीडिया की दुनिया तक ले आई.

अपने छह साल के पत्रकारिता सफर में रजनी ने कई प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों में काम किया. उन्होंने न्यूज, एंटरटेनमेंट और एजुकेशन जैसे प्रमुख वर्टिकल्स में अपनी पहचान बनाई. हर विषय में गहराई से उतरना और तथ्यों के साथ-साथ भावनाओं को भी समझना, उनकी पत्रकारिता की खासियत रही है. उनके लिए पत्रकारिता सिर्फ खबरें लिखना नहीं, बल्कि समाज की धड़कन को शब्दों में ढालने की एक कला है.

रजनी का मानना है कि एक अच्छी स्टोरी सिर्फ हेडलाइन नहीं बनाती, बल्कि पाठकों के दिलों को छूती है. वर्तमान में वे एबीपी लाइव में कार्यरत हैं, जहां वे एजुकेशन और एग्रीकल्चर जैसे अहम सेक्टर्स को कवर कर रही हैं.

दोनों ही क्षेत्र समाज की बुनियादी जरूरतों से जुड़े हैं और रजनी इन्हें बेहद संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ संभालती हैं. खाली समय में रजनी को संगीत सुनना और किताबें पढ़ना पसंद है. ये न केवल उन्हें मानसिक सुकून देते हैं, बल्कि उनकी रचनात्मकता को भी ऊर्जा प्रदान करते हैं.

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