चीन से नजदीकी भी नहीं आई काम, US हाई टैरिफ से इकोनॉमी का हो गया बड़ा नुकसान!
US High Tariffs Impact on India: सर्वेक्षण के अनुसार, सेवा क्षेत्र की सुस्ती की एक प्रमुख वजह नए ऑर्डर और कारोबारी गतिविधियों की धीमी रफ्तार है. इसके साथ ही भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में नरम सुधार देखने को मिला है.

India's Service Sector Growth Slows: देश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए किए जा रहे लगातार प्रयासों के बीच सेवा क्षेत्र (Service Sector) से निराशाजनक खबर आई है. हाल ही में हुए जीएसटी सुधारों से जहां घरेलू मांग और कारोबारी गतिविधियों में तेजी की उम्मीद जताई जा रही थी, वहीं सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर सितंबर में धीमी पड़ गई है.
एचएसबीसी द्वारा जारी भारत सेवा पीएमआई (HSBC India Services PMI) सर्वेक्षण के अनुसार, सितंबर 2025 में सेवा क्षेत्र का व्यावसायिक गतिविधि सूचकांक (PMI) घटकर 60.9 पर आ गया, जबकि अगस्त में यह 15 साल के उच्च स्तर 62.9 पर था. हालांकि यह स्तर 50 अंक के तटस्थ स्तर से ऊपर है, जो यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था में अभी भी वृद्धि जारी है, लेकिन यह वृद्धि अब पहले की तुलना में धीमी गति से हो रही है.
मंदी के संकेत और अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी
सर्वेक्षण के अनुसार, सेवा क्षेत्र की सुस्ती की एक प्रमुख वजह नए ऑर्डर और कारोबारी गतिविधियों की धीमी रफ्तार है. इसके साथ ही भारतीय सेवाओं की अंतरराष्ट्रीय मांग में नरम सुधार देखने को मिला है.
सितंबर में निर्यात ऑर्डरों में वृद्धि तो दर्ज की गई, लेकिन यह मार्च के बाद से सबसे कमजोर स्तर पर रही. कंपनियों ने कहा कि अन्य देशों में कम कीमतों पर सेवाओं की उपलब्धता से प्रतिस्पर्धा बढ़ी है, जिससे भारत की बाहरी बिक्री पर दबाव पड़ा.
मूल्य स्तर के मोर्चे पर स्थिति थोड़ी बेहतर रही. सर्वेक्षण में बताया गया कि मुद्रास्फीति की गति मार्च के बाद से सबसे धीमी रही, और यह दीर्घकालिक औसत के अनुरूप थी. सितंबर में भारतीय सेवाओं की कीमतें कमजोर दर से बढ़ीं, जिससे उपभोक्ताओं को कुछ राहत मिली.
रोजगार सृजन में सुस्ती
सितंबर के दौरान रोजगार सृजन भी धीमा रहा. सर्वे में शामिल कंपनियों में से पांच प्रतिशत से भी कम ने नई भर्तियों की सूचना दी. इसका मतलब है कि सेवा क्षेत्र में रोजगार वृद्धि सीमित रही और नई नौकरियों के अवसर घटे.
कंपोजिट आउटपुट इंडेक्स में गिरावट
एचएसबीसी इंडिया का कम्पोजिट आउटपुट सूचकांक (Composite Output Index) — जिसमें विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों का प्रदर्शन शामिल है — सितंबर में 61.0 पर रहा, जो अगस्त के 63.2 से नीचे आया. यह जून के बाद से विस्तार की सबसे कमजोर दर को दर्शाता है. यह सूचकांक देश के विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में हिस्से के आधार पर तैयार किया जाता है.
पीएमआई (Purchasing Managers’ Index) 50 से ऊपर रहने का मतलब है कि अर्थव्यवस्था में विस्तार (Expansion) हो रहा है, जबकि 50 से नीचे का स्तर संकुचन (Contraction) को दर्शाता है. हालांकि सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर कुछ धीमी पड़ी है, लेकिन यह अभी भी विस्तार के क्षेत्र में है — जो संकेत देता है कि देश की अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत बनी हुई है, भले ही अल्पावधि में सेवा क्षेत्र पर दबाव दिखाई दे रहा हो.
विश्लेषकों की राय
एचएसबीसी इंडिया की चीफ इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी के मुताबिक, “अगस्त में रिकॉर्ड ऊंचाई छूने के बाद सितंबर में सेवा क्षेत्र की व्यावसायिक गतिविधियां कुछ धीमी हुई हैं. हालांकि, घरेलू मांग और नीतिगत स्थिरता के चलते आने वाले महीनों में यह सेक्टर फिर से रफ्तार पकड़ सकता है.”
कुल मिलाकर, यह रिपोर्ट बताती है कि भारत का सेवा क्षेत्र अभी भी लचीला और विकासशील है, लेकिन बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा और अंतरराष्ट्रीय मांग में कमी इसके लिए चुनौतियां पेश कर रही हैं.
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Source: IOCL






















