क्या प्रशांत किशोर बनेंगे बिहार के मुख्यमंत्री? ग्रहों का खेल और 'जन सुराज' का भविष्य!
Prediction: प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) क्या मुख्यमंत्री बन सकते हैं? अंक ज्योतिष और कुंडली में बैठे ग्रह इस प्रश्न का क्या उत्तर दे रहे हैं, आइए जानते हैं.

Prediction: बिहार की राजनीति में अगर किसी एक नाम ने पिछले कुछ सालों में सबसे ज़्यादा हलचल मचाई है तो वह है प्रशांत किशोर. कभी नरेंद्र मोदी के प्रचार रणनीतिकार, तो कभी ममता बनर्जी और नीतीश कुमार के भरोसेमंद सलाहकार. प्रशांत किशोर हमेशा सत्ता के इर्द-गिर्द रहे हैं, लेकिन स्वयं उससे दूर. अब जब उन्होंने 'जन सुराज' का रास्ता चुना है, सवाल उठता है, क्या वे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं? ग्रहों और अंक-ज्योतिष दोनों ने इस रहस्य का दिलचस्प जवाब दिया है.
कुछ वेबसाइट पर प्रशांत किशोर के जन्म की डेट 20 मार्च 1977 बताई जा रही है. इसके अनुसार उनका मूलांक 2 है, जो चंद्रमा ग्रह का प्रतीक माना जाता है. अंक 2 वाले व्यक्ति भावनात्मक, कल्पनाशील और रणनीति में बेहद निपुण होते हैं. वे सामने से नहीं, बल्कि पीछे रहकर इतिहास रचते हैं. यही वजह है कि प्रशांत किशोर का पूरा राजनीतिक सफर पर्दे के पीछे से सत्ता का चेहरा तय करने में बीता है. लेकिन अब जब उनके सितारे बदल रहे हैं, तो भाग्य कहता है कि यह शख्स अब खुद केंद्र में आ सकता है.
उनकी कुंडली के अनुसार चंद्रमा मीन राशि में है और लग्न वृश्चिक का है. यह संयोजन व्यक्ति को गहरा सोचने वाला और परिस्थितियों में छिपे अवसरों को पहचानने में सक्षम बनाता है. इसीलिए वे 'जनभावना' और 'रणनीति' दोनों की नब्ज़ को एक साथ पकड़ लेते हैं. वृश्चिक लग्न उन्हें गहराई, रहस्य और नियंत्रण देता है जबकि मीन चंद्र उन्हें जनसंपर्क और भावनात्मक जुड़ाव की शक्ति देता है. यही दो गुण किसी भी नेता को शीर्ष पर पहुंचाने की कुंजी होते हैं.
अंक-ज्योतिष के हिसाब से आने वाला समय, यानी 2026-27, उनके लिए निर्णायक साबित हो सकता है. उस समय वे शुक्र महादशा में प्रवेश करेंगे और शुक्र राजनीति में लोकप्रियता, करिश्मा और सार्वजनिक छवि का ग्रह है. यह ग्रह व्यक्ति को भीड़ से जुड़ने, सम्मान पाने और सत्ता तक पहुंचने का अवसर देता है. ग्रहों के संकेत कहते हैं कि अगर प्रशांत किशोर आने वाले दो वर्षों में अपनी संगठनात्मक शक्ति और जनता के भरोसे को ठोस रूप दें, तो मुख्यमंत्री बनने का मार्ग उनके लिए खुल सकता है.
हालांकि राह आसान नहीं है. इंटरनेट पर उपलब्ध उनकी कुंडली में बुध नीच का है और शनि वक्री स्थिति में. इसका अर्थ यह है कि कभी-कभी उनके विचार जनता तक देर से पहुंचते हैं या विरोध में गलत व्याख्या हो जाती है. यही ग्रह उन्हें सिखाते हैं, जल्दबाज़ी से नहीं, बल्कि दृढ़ रणनीति और संयम से आगे बढ़ना होगा. अगर वे व्यक्तिगत अहंकार से ऊपर उठकर सहयोगियों के साथ टीम बनाते हैं, तो यही लोग आने वाले समय में उनकी शक्ति का आधार बनेंगे.
वर्तमान ग्रह स्थिति कहती है कि अभी वे 'रणनीतिकार' से 'नेता' में बदलने की प्रक्रिया में हैं. वर्ष 2026-27 में यदि वे अपने 'जन सुराज' अभियान को व्यापक आंदोलन का रूप दे सके, तो भाग्य और ग्रह दोनों उनके पक्ष में होंगे. सिंह चंद्र और शुक्र की ऊर्जा उनके लिए 'राजयोग' का निर्माण कर सकती है. लेकिन अगर वे अकेले चलने की कोशिश करेंगे, तो राह कठिन होगी.
संक्षेप में कहा जाए तो प्रशांत किशोर मुख्यमंत्री बन सकते हैं, पर समय मांगता है धैर्य और संतुलन. उनका भाग्य अगले दो वर्षों में तय करेगा कि वे बिहार की राजनीति के 'किंगमेकर' रहेंगे या 'किंग' बन जाएंगे. ग्रहों ने संकेत दे दिए हैं, अब चाल उन्हें चलनी है.
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