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Holy Rivers: पवित्र नदियों में नहाने के क्या हैं नियम, स्नान करते समय किन बातों का रखना चाहिए ध्यान, जानें
Holy Rivers: कुंभ स्नान, संक्रांति स्नान आदि का खास महत्व है. कहते हैं कि नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और पुण्य भी मिलता है. आइए जानते हैं नदी में नहाने के लाभ और नियमों के बारे में.
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Holy Rivers: हिन्दू धर्म में प्रकृति का बड़ा महत्व है. प्रकृति को अहम दर्जा दिया गया है. गीता में तो स्वयं कृष्ण कहते हैं कि सृष्टि के कण कण में ईश्वर का वास है. प्रकृति पर ही मानव का जीवन निर्धारित है. इसलिए हमें प्रकृति की रक्षा करनी चाहिए. प्रकृति का ख्याल रखना चाहिए. प्रकृति में समाहिय पहाड़, झील , झरने, समंदर , जंगल सबका अपना महत्व है. इसी तरह प्रकृति में एक और संसाधन विराजमान है और वो है नदी. हिन्दुस्तान में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है. नदियों के नाम भी स्त्रीलिंग में हैं. सनातन परंपरा में नदियों में स्नान करने की विधा है. कहते हैं कि नदी में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है. परंतु नदी में स्नान करने को लेकर कुछ नियम महत्व और लाभ हैं, आइए जानते हैं-
नदी में स्नान का महत्व
भारत में नदियों को लोकमाता का दर्जा हासिल है. शास्त्रों में भी स्नान करते समय सप्त नदियों, गंगा, यमुना, सिंधु, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी को याद करने का विधान है. पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है साथ ही आरोग्य और समृद्धि भी हासिल होता है.
नदी में स्नान करने के लाभ
नदी में स्नान करने से तन-मन की शुद्धि तो होती ही है साथ ही भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. नदियों को पुण्यदायिनी माना गया है. नदी में स्नान करने से मन शांत होता है और व्यक्ति के दोष दूर हो जाते हैं. अगर आप नदी में स्नान करते हैं तो ग्रहों की दशा में सुधार आता है और नकारात्मकता भी दूर होती है.
नदी में स्नान करने के नियम
भोर भोर का नदी स्नान सबसे शुभ माना जाता है. इसलिए कोशिश ये करनी चाहिए कि नदी में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें. नदी में स्नान के समय सूर्य अर्घ्य अवश्य दें. स्नान के वक्त साबुन या शैम्पू का प्रयोग नहीं करना चाहिए. और वस्त्र कभी नहीं धोने चाहिए. नदी में स्नान करते वक्त भगवान का ध्यान करें और मन शांत रखकर इस मंत्र का जाप करें. आप चाहें तो घर पर भी नहाते वक्त इस मंत्र का जाप कर सकते हैं.
मंत्र- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु
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